नई दिल्ली, फरवरी 1 : बहरहाल, भारत के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बंगाल की ममता बनर्जी को चिढ़ाने और बंगाल की मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में करने के लिए सदन में बंगाल की लाल पार की साड़ी पहन कर आयी थीं जो विशेष अवसरों पर पहनी जाती है। इतना ही नहीं, सम्भवतः पहली बार कोई भी वित्त मंत्री देश का आम बजट कागजी दस्तावेज के बजाय टैबलेट से पढ़ा। सीतारमण अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है। सीतारमण ने सोमवार को आम बजट 2021-22 पेश करते हुए 2021-22 में पूंजीगत व्यय बढ़ाकर 5.54 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पूंजीगत व्यय का बजट 4.39 लाख करोड़ रुपये है।
निर्मला सीतारमण के 1 घंटा 50 मिनट में पढ़े गए बजट भाषण के दौरान सत्तापक्ष के सदस्यों ने 90 से अधिक बाद मेज थपथपाकर विभिन्न प्रस्तावों का स्वागत किया । कई घोषणाओं का प्रधानमंत्री मोदी ने भी मेज थपथपा कर स्वागत किया। इस बार का बजट कागज पर प्रिंट नहीं हुआ है। बजट दस्तावेज सभी सांसदों समेत आम जनता के लिये डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध कराया जाने वाला है।
उनका कहना है कि आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास उन महत्वपूर्ण स्तम्भों में से एक है जिस पर केन्द्रीय बजट 2021-22 आधारित है और इसके साथ ही इसमें असंगठित कामगारों, विशेषकर प्रवासी कामगारों एवं श्रमिकों के लिए आवश्यक प्रस्तावों को पेश करने के लिए सरकार का मार्गदर्शन किया गया है। बजट पेश करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड और श्रम संहिताओं को लागू करने पर विशेष बल दिया और इसके साथ ही असंगठित कामगारों से संबंधित सूचनाओं को एकत्रित करने के लिए एक पोर्टल की घोषणा की।
इधर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वर्ष 2021 का बजट असाधारण परिस्थितियों के बीच पेश किया गया है। इसमें यथार्थ का ऐहसास भी और विकास का विश्वास भी है। कोरोना ने दुनिया में जो प्रभाव पैदा किया, उसने पूरी मानव जाति को हिलाकर रख दिया है। इन परिस्थितियों के बीच, आज का बजट भारत के आत्मविश्वास को उजागर करने वाला है। और साथ ही दुनिया में एक नया आत्मविश्वास भरने वाला है। उनका कहना है कि आज के बजट में आत्मनिर्भरता का विजन भी है और हर नागरिक, हर वर्ग का समावेश भी है। हम इस बजट में जिन सिद्धांतों को लेकर चले हैं, वो हैं- ग्रोथ के लिए नए अवसरों, नई संभावनाओं का विस्तार करना, युवाओं के लिए नए अवसरों का निर्माण करना। मानव संसाधन को एक नया आयाम देना। इनफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए नए नए क्षेत्रों को विकसित करना, आधुनिकता की तरफ आगे बढ़ना, नए सुधार लाना।
मोदी जी यह भी विस्वास करते हैं कि नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर आम लोगों के जीवन में ‘ease of living’ को बढ़ाने पर इस बजट में जोर दिया गया है। ये बजट individuals, investors, industry और साथ ही Infrastructure sector में बहुत सकारात्मक बदलाव लाएगा। मैं इसके लिए देश की वित्तमंत्री निर्मला जी को और उनके साथी मंत्री, अनुराग जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
टेबलेट से पढ़ते हुए वित्त मंत्री ने कहा है कि एक अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.5 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंच सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने का प्रस्ताव है। सरकार व्यय और प्राप्तियों के अंतर को पूरा करने के लिए बाजार से जो कर्ज लेती है वह राजकोषीय घाटे का संकेतक होता है। वित्त वर्ष 2019-20 में राजस्व प्राप्तियां कम रहने की वजह से राजकोषीय घाटा 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की चालू वित्त वर्ष के शेष दो महीनों में 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना है।
जबकि, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आरोप लगाया कि सरकार की योजना भारत की संपत्तियों को ‘अपने पूंजीपति मित्रों’ को सौंपने की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘सरकार लोगों के हाथों में पैसे देने के बारे में भूल गई। मोदी सरकार की योजना भारत की संपत्तियों को अपने पूंजीपति मित्रों को सौंपने की है।’’
कांग्रेस नेता ने बजट पेश किए जाने से पहले कहा था कि बजट में छोटे एवं मझोले कारोबारियों की मदद करने के साथ स्वास्थ्य और रक्षा खर्च में बढ़ोतरी किए जाने की जरूरत है । उन्होंने कहा था, “बजट -2021 में एमएसएमई, किसानों और कामगारों की मदद की जानी चाहिए ताकि रोजगार का सृजन हो सके । कांग्रेस नेता ने कहा, “लोगों के जीवन बचाने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया जाए । सीमाओं की सुरक्षा के लिए रक्षा खर्च में बढ़ोतरी हो।” इस बजट में सरकार ने देश में बुनियादी अवसंरचना के सृजन के जरिए आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये वित्त वर्ष 2021-22 में पूंजीगत व्यय को 34.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है।
वित्त मंत्री ने सदन को बताया, ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना 32 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों मे कार्यान्वित की जा रही है जिसका फायदा लगभग 69 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंच रहा है, अर्थात 86 प्रतिशत लाभार्थियों को इसमें कवर किया जा चुका है।’ वित्त मंत्री ने इसके साथ ही आने वाले कुछ महीनों में शेष चार राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को भी इसमें एकीकृत करने के बारे में आश्वस्त किया। इस योजना के तहत लाभार्थी, विशेषकर प्रवासी श्रमिक पूरे देश में कहीं भी अपना राशन पाने का दावा कर सकते हैं। इसके तहत प्रवासी श्रमिक आंशिक राशन पाने का दावा उस स्थान पर कर सकते हैं जहां वे मौजूदा समय में रह रहे हैं, जबकि शेष राशन पाने का दावा उनके परिवार अपने-अपने मूल स्थानों पर कर सकते हैं।
प्रवासी श्रमिकों पर विशेष रूप से फोकस करते हुए असंगठित कामगारों के हित में किए जा रहे सरकारी प्रयासों को और आगे बढ़ाते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने एक पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की जो गिग, भवन निर्माण एवं निर्माण कामगारों, इत्यादि से संबंधित सूचनाओं को एकत्र करेगा। इसके साथ ही यह प्रवासी श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य, आवास, कौशल, बीमा, ऋण एवं खाद्य योजनाएं तैयार करने में भी मददगार साबित होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कामगारों की सभी श्रेणियों में न्यूनतम पारिश्रमिक को लागू करते हुए गिग एवं प्लेटफॉर्म कामगारों को सामाजिक सुरक्षा लाभ देने के लिए चारों श्रम संहिताओं को कार्यान्वित करने का काम पूरा करेगी। कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत मिलने वाली कवरेज इन कामगारों के लिए भी सुनिश्चित की जाएगी। महिलाओं को सभी श्रेणियों में काम करने की इजाजत दी जाएगी। इसके साथ ही महिलाओं को पर्याप्त संरक्षण के साथ रात्रिकालीन पालियों में भी काम करने की अनुमति दी जाएगी।
उधर, लोकसभा में सत्तापक्ष की सीट की दूसरी कतार में खड़ी वित्त मंत्री सीतारमण जब बजट पेश कर रही थीं तब शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल, सुखवीर सिंह बादल, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर विरोध दर्ज कराया। हरसिमरत, सुखवीर, बेनीवाल अपने हाथों में तख्ती लिये हुए थे जिसमें केंद्र सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग वाले नारे लिखे थे। हरसिरमत कौर बादल, सुखवीर बादल और हनुमान बेनीवाल से सदन से वाकआउट भी किया ।
बजट पेश किये जाने के समय सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह सहित केंद्रीय मंत्री मौजूद थे । कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अलावा सपा नेता मुलायम सिंह यादव, द्रमुक नेता टी आर बालू, एआईएमआईएम नेता असादुद्दीन ओवैसी, राकांपा नेता सुप्रिया सुले, बीजद नेता पिनाकी मिश्रा, नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला आदि सदन में मौजूद थे ।
उधर कांग्रेस के पंजाब के तीन सांसद सोमवार को केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध जताते हुए काले चोगा पहनकर बजट भाषण के दौरान लोकसभा पहुंचे। कांग्रेस के लोकसभा सदस्य बलबीर सिंह गिल, रवनीत सिंह बिट्टू और गुरजीत सिंह औजला ने जो चोगे पहन रखे थे उन पर ‘किसान की मौत का काला कानून वापस लो’ और ‘मैं किसान हूं, मैं खेत मजदूर हूं, मुझसे धोखा मत करो’ लिखा हुआ था। सदन में पहुंचने से पहले इन सांसदों ने लोकसभा परिसर में भी नारेबाजी की और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। ये सांसद इन कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए पिछले करीब दो महीनों से दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
काला चोगा पहनकर संसद पहुंचने के बारे में पूछे जाने पर बलबीर सिंह गिल ने कहा, ‘‘किसान महीनों से विरोध जता रहे हैं, लेकिन सरकार सुन नहीं रही है। हमने इन कानूनों का विरोध करने और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया।’’ उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह तीनों कानूनों को वापस ले।