सन 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भारत वायु सेना द्वारा अधिगृहित हवाई-पट्टी – अब दरभंगा हवाई अड्डा – यात्री विमान सुविधा के लिए खुल गए । स्पाईस जेट का पहला यात्री विमान आज उतरा। और इस कार्य के लिए भारत सरकार के अलावे मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के कार्यकर्ता बधाई के पात्र हैं। उत्तर बिहार के मिथिलाञ्चल को हवाई सेवा से जोड़कर दिल्ली और विश्व से बहुत नजदीक लाना भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक और भारत के पूर्व उप-प्रधान मंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी को जन्मदिन का उपहार देने के सामान है।
इस हवाई पट्टी का निर्माण दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह दरभंगा एविएशन कंपनी के अधीन अपनी निजी विमान सेवा के लिए कराया था । महाराजा की मृत्यु 1962 के अक्टूबर महीने में हुआ था। तत्पश्चाय्त इस हवाई पट्टी पर भारतीय वायु सेवा का अधिपत्य हो गया। वर्तमान हवाई अड्डा अथवा हवाई सेवा की शुरुआत में दरभंगा राज परिवार की भूमिका “शून्य” है।
बहरहाल, उत्तर बिहार, मिथिलाञ्चल के लोग आज एक दूसरे को खुलकर बधाई दे रहे हैं। सबसे अधिक बधाई के पात्र हैं मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के कार्यकर्त्ता जिनके अथक और अनवरत परिश्रम के बाद दरभंगा हवाई अड्डा से मुद्दत बाद पहला यात्री विमान उड़ने जा रहा है।
केंद्र सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 12 सितंबर 2020 को दरभंगा एयरपोर्ट का जायजा लिया था। स्थानीय स्तर पर हुए कार्यों की समीक्षा करने के बाद कहा था कि बिहार में मनाए जानेवाले लोक आस्था के महापर्व छठ में लोग हवाई जहाज का सफर कर यहां आ सकेंगे। प्रधानमंत्री जी की इच्छा थी कि उड़ान योजना के तहत हवाई सेवाएं तत्काल शुरू कर दी जाएं।
आज भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक और भारत के पूर्व उप-प्रधान मंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी का जन्मदिन भी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार यह तय था कि दिल्ली-मुंबई-बंगलुरु-दरभंगा हवाई यात्रा की शुरुआत आडवाणी जी के जनदिन का उपहार होगा।
पार्टी के विस्वस्त सूत्र का कहना है कि “भाजपा में श्री आडवाणी जी की भूमिका और उनके समर्पण को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता है। अतः उत्तर बिहार के मिथिलाञ्चल को हवाई सेवा से जोड़कर दिल्ली और विश्व से बहुत नजदीक लाना उन्हें एक उपहार देना जैसा है।”
इस प्रयास में बिहार के वर्तमान मुख्य मंत्री नितीश कुमार की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है। नितीश कुमार श्री आडवाणी को अत्यधिक श्रद्धेय मानते हैं। दिल्ली की गद्दी पर कब्ज़ा करने हेतु अपने देशव्यापी रथयात्रा के दौरान आडवाणी की गिरफ्तारी उत्तर बिहार में ही हुआ था। तत्कालीन मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव श्री आडवाणी को गिरफ्तार करवाए थे।
आडवाणी जी का जन्म 8 नबम्बर, 1927 को करांची, पाकिस्तान में हुआ था। देश में राजनीतिक क्रांति लाने में आडवाणी की भूमिका अक्षुण है। आपको बता दूँ की फ़िनलैंड, नॉर्वे और एस्तोनिया में आठ नबम्बर “फादर्स डे” के रूप में भी मनाया जाता है। आडवाणी जून 29, 2002 से मई, 2004 तक भारत के उप-प्रधान मंत्री थे। आडवाणी लोक सभा में आठ बार चुनाव जीतकर आये ।
आर्यावर्त इन्डियन नेशन डॉट कॉम से बात करते हुए मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप मैथिल कहते हैं: “बधाई हो मिथिला, हम सब कामयाब हुए। हमने कर दिखाया। सं 2015 में मैंने जब दरभंगा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था, तो लोग कहते थे अपने घर पर एयरपोर्ट बना लो। मजाक करने के उत्कर्ष पर थे लोग। कोई भी क्षण ऐसा नहीं था जब लोग हंसी नहीं उड़ाते थे। लेकिन हमने अपने मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के साथियों के साथ संघर्ष करते रहे, लोगो को जगाते रहे। परिणाम यह हुआ कि न केवल मिथिआलञ्चल के लोग, बल्कि जिन्हे मिथिला से, दरभंगा हवाई अड्डा से कुछ भी लेना देना नहीं है, वे सभी इस अभियान में जुड़ते गए। हम में से कोई भी निराश नहीं हुआ। हम सभी किसी के टिका-टिपण्णी पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दिए, सभी अपने मकसद में लगे रहे। और अंत में नारा आया – नो एयरपोर्ट – नो वोट।” परिणाम सामने हैं।
दरभंगा एयरलाइन के नेटवर्क में शामिल होने वाला 55वाँ घरेलू गंतव्य है। इन मार्गों पर बोइंग 737-800 विमानों का परिचालन किया जायेगा। दरभंगा बिहार का पांचवा सबसे बड़ा शहर है और मिथलांचल क्षेत्र का केंद्र है। यहाँ से उड़ान शुरू होने से मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, चंपारण, सहरसा और पूर्णिया जिलों के लोगों को भी लाभ होगा जिन्हें अभी हवाई यात्रा के लिए पटना जाना पड़ता है। यहाँ से नेपाल के लिए भी कनेक्टिविटी आसान होगी।
बहरहाल, इसी आंदोलन से जुड़े एक सज्जन कहते हैं: “इस सम्पूर्ण अभियान में दरभंगा राज के वर्तमान पीढ़ियों में से किसी भी सदस्य का कोई सहयोग नहीं हैं। मिथिलांचल की पीढ़ियां, चाहे आज की हो या आने वाले समय की; दरभंगा राज और महाराजा की सामाजिक-परम्पराओं के कद्रदान रहेगी। मिथिलांचल के लोग कभी भी अपने प्राचीन इतिहास को नहीं भूल पाएंगे, खासकर जहाँ महाराजा साहेब और राजबहादुर का योगदान रहा। आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, यातायात, कृषि, शिक्षा इत्यादि के अलावे भी शायद ही कोई क्षेत्र अछूता रहा होगा, जिसके उथ्थान में दरभंगा राज का योगदान नहीं था। आज भी जिस जगह से हवाई यात्रा प्रारम्भ हो रही है, एक ज़माने में महाराजा साहेब का ही था, जिसपर बाद में भारतीय सेना का अधिपत्य रहा। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज दरभंगा राज की वर्तमान पीढ़ियां मिथिलांचल के सामाजिक-जीवन से, समाज से बहुत दूर चली गयी है। मिथिलांचल की बायतु छोड़िये, दरभंगा शहर में भी आम लोग उन्हें नहीं जानते, पहचानते हैं। यह सांस्कृतिक और परम्परा के पतन का पराकाष्ठा है।”
मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव आदित्य मोहन कहते हैं: “इस प्रयास को रोकने के लिए अनेकानेक यत्न किये गए। परन्तु, हमलोग हार नहीं माने। लगभग 12 प्राथमिकी दर्ज किया गया हमलोगों के खिलाफ, लेकिन हमारा आंदोलन नहीं रुका। सोसल मीडिया हमारे आंदोलन को बल दिया। सोसल मीडिया पर बिहार के सम्पूर्ण क्षेत्रों से लोगों ने साथ दिया। अनेकानेक ट्रेंड हुए। हमारी बात दिल्ली तक पहुंची। बिहार से बाहर विदेशों में रहने वाले लोगों ने भी इस अभियान में जबरदस्त सहयोग किये।”
मोहन आगे कहते हैं: “दरभंगा हवाई अड्डा के साथ साथ पूर्णिया में भी हवाई सेवा की शुरुआत होनी थी। लेकिन अभी तक पूर्णिया में एक-फीसदी कार्य की शुरुआत भी नहीं हुयी है। हमें ख़ुशी है की हम अपने प्रयास में सफल रहे।”
बेगूसराय के रजनीकांत पाठक, जो दरभंगा स्नातक क्षेत्र से विधान परिषद् हेतु चुनाव भी लड़े हैं, कहते हैं: “यह समग्र रूप से मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन और मिथिलांचल के प्रगतिशील युवकों जी जीत है। यह उन लोगों के सफल आंदोलन का ही परिणाम है जो एक समयबद्ध सीमा में प्रारम्भ होने जा रहा है।