​पत्रकारों पर किताब, ‘दिग्गज’ शब्द से ‘अलंकृत’ – ​हीरेन्द्र झा​ की ​एक नयी शुरुआत ​

"मीडिया के दिग्गज" किताब के लेखक हीरेंद्र झा

नई दिल्ली – आज के समय में कोई पत्रकार, चाहे किसी भी भाषा में लिखते हों, उन पत्रकारों को तबज्जों नहीं के बराबर देते हैं, जिन्होंने पत्रकारिता गुगुल-युग में न तो प्रारम्भ किये और न ही ‘गुगलई’ में विस्वास करते हैं। इतना ही नहीं, पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘नए आगंतुक’ स्वयं को पत्रकारिता-नरेश ​तो मानते ही हैं, दूसरों को गलियाने या आलोचना करने में तनिक भी संकोच नहीं करते। हाँ, अपवाद तो है ही। आज देश में ऐसे अनन्त पत्रकार हैं, जिनका मस्तष्क ही कम्प्यूटर का “डी -ड्राईभ” है, जहाँ न जाने कितने फाईल रखे हैं, जो गुगुल पर उपलब्ध नहीं है – और न जीवन में कभी होगा।

आज किसी भी पत्रकार से, विशेषकर जो सम्पादन का कार्य करते हैं, अखबार के पन्नों की लम्बाई-चौड़ाई पूछें, तो शायद नहीं बता पाएंगे। अगर उनके अपने ही अखबार में प्रयोग होने वाले फ़ॉन्ट के बारे में पूछें, उनसे यह पूछें की सिंगल-कॉलम में अपने अखबार के प्रयोग होने वाले न्यूनतम कितने शब्दों का समावेश होता है, नहीं बता पाएंगे। गुगुल महाराज उनके समस्त कार्यों को – हिज्जय से लेकर शब्दों की गिनती तक – करने का ठेका उठाये बैठे हैं।

ऐसे युग में अगर कोई नवयुवक पत्रकार, पत्रकारिता में अनेकानेक गोंता लगाए, कुछ नाम कमाए और अंततः एक हस्ताक्षर बने ‘बुजुर्ग पत्रकारों’ (उम्र से नहीं) को तबज्जो दे, उनके बारे में लिखे, लोगों को, आज की पीढ़ी को और इस क्षेत्र में आने वाली पीढ़ी को सुपुर्द करे – यह तो अपने आप में एक इतिहास है, और हीरेन्द्र झा ने एक इतिहास की शुरुआत कर दिए हैं “मीडिया के दिग्गज” नामक किताब से।

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पिछले दिनों राष्ट्रीय राजधानी के गांधी​ ​शान्ति प्रतिष्ठान में इस किताब का विमोचन किया गया। अवसर पर वेद प्रताप वैदिक, ओम थानवी, वर्तिका नंदा, ओपी राठौड़ और खुराफाती नितिन के अलावा शायर इरशाद ख़ान सिकंदर, प्रकाशक शाहिद ख़ान आदि उपस्थित ​​​थे। कार्यक्रम का सञ्चालन आर जे संतोष राव ने किया। माय बुक्स प्रकाशन, नयी दिल्ली के नायाब सीरीज के तहत इस किताब का प्रकाशन किया है।

जनसता के पूर्व संपादक और वर्तमान में राजस्थान पत्रिका से जुड़े हुए दिग्गज पत्रकार और लेखक ओम थानवी ने कहा कि हीरेंद्र की यह किताब ‘मीडिया के दिग्गज’ वरिष्ठ मीडियाकर्मियों के जीवन में झाँकने का मौका देती है। साथ ही उन्होंने बताया कि बहुत ही रोचक ढंग से इस किताब में सबकी यात्रा बताई गयी है और यह पत्रकारिता से जुड़े लोगों के अलावा अन्य पाठकों के लिए भी बेहद उपयोगी किताब है. साथ ही ओम थानवी ने बदलते समय में पत्रकारिता कैसी हो रही है इस पर भी अपनी बात मजबूती से रखी।

आकाशवाणी से दिग्गज आरजे ओपी राथौड़ ने कहा कि जब भी मीडिया की बात होती है तो दूरदर्शन का तो जिक्र हो भी जाता है लेकिन आकाशवाणी को सब भूल जाते है। एफ एम रेनबो ने उन्हें देश भर में एक पहचान दी और हीरेंद्र अपनी किताब पर काम करते हुए इस माध्यम को नहीं भूले ये काबिले तारीफ है. आज ओपी की पहचान देश के सबसे लोकप्रिय आर जे की है।

डॉ वर्तिका नंदा ने कहा कि किताब पर तो बहुत लोग काम कर रहे हैं लेकिन आज के दौर में इमानदारी से किताब प्रकाशित करवा लेना भी कम बड़ी चुनौती नहीं है।हीरेंद्र पांच साल से इस किताब पर लगे थे और आज लखनऊ और मुंबई के बाद जिस रंग से दिल्ली में ‘मीडिया के दिग्गज’ का विमोचन हुआ इससे यह साबित होता है कि अगर आप मेहनत करते रहे और जुटे रहे तो रास्ता अपने आप बन जाता है।

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भारत के राष्ट्रपति से सम्मानित डॉ नंदा आज भी खुद को मीडिया यात्री मानती हैं और पिछले कुछ वर्षों से जेल में रह रहे कैदियों पर काम कर रही हैं और उनकी दुनिया में अपने प्रयासों से रौशनी भरने की कोशिश लगातार कर रही है। गौरतलब है कि 12 सितंबर को उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में और 15 सितम्बर को मुंबई में भी इस किताब का विमोचन हो चुका है।

इस मौके पर लेखक हीरेंद्र झा ने कहा कि उनकी किताब ‘मीडिया के दिग्गज’ अपनी तरह की पहली कोशिश है जिसमें मीडिया के तमाम दिग्गजों के इंटरव्यू प्रकाशित हुए हैं। पुस्तक जनसंचार और पत्रकारिता के छात्रों के लिये मददगार साबित होगी। आप पुस्तक के जरिये टीवी, रेडियो और अखबारों की भीतरी दुनिया से परिचित हो सकेंगे।साथ ही दिग्गजों के इंटरव्यू के जरिये इस पुस्तक से आप मीडिया के वैभवशाली इतिहास, गौरवशाली वर्तमान और सुनहरे भविष्य की एक झलक भी देख पाएंगे।

‘हम पत्रकारों का काम है सबकी ख़बर देना लेकिन हीरेंद्र झा ने अपनी किताब में हम पत्रकारों और संपादकों पर जिस तरह से लिखा है, यह एक अद्भुत और बड़ा काम है, यह बात वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर वेद प्रताप वैदिक ने कहा। इस किताब में कुल 16 इंटरव्यू हैं। जहां रेडियो की दुनिया से अमीन सायानी, ओपी राठौड़ जैसे धुरंधर हैं तो टीवी मीडिया से पुण्य प्रसून बाजपेयी, दीपक चौरसिया और शम्स ताहिर ख़ान जैसे दिग्गज हैं। समाचार पत्रों की दुनिया का प्रतिनिधित्व शशि शेखर और ओम थानवी जैसे अनुभवी संपादक कर रहे हैं। साथ ही वेद प्रताप वैदिक, मुकेश कुमार, अजित अंजुम, वर्तिका नंदा, पराग छापेकर और आलोक पुराणिक जैसे मीडिया दिग्गजों के साक्षात्कार भी इस पुस्तक में हैं।

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