एक किसान के सुख-दुःख को समझने के लिए अपने अट्टालिकाओं में सब्जियाँ लगाएं, शुरुआत “चेरी-टमाटर” से करें, अच्छा लगेगा

चेरी टमाटर
चेरी टमाटर

यह कतई जरुरी नहीं है कि आपके पास जब तक 52 बीघा जमीन नहीं होगी, तब तक आप एक किसान के सुख-दुःख का अनुभव नहीं कर सकते हैं। एक किसान पौधे के बीज की रोपनी से फसल की कटाई तक किन-किन आर्थिक-मानसिक स्थिति से गुजरता है, इसका एहसास आप मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई और लखनऊ जैसे महानगरों के आलीशान अट्टालिकाओं के चौंतीसवें तल्ले पर भी कर सकते हैं।

जब किसान का फसल सूर्य के ताप से और पानी की किल्लत से जल जाता है, वह क्या अनुभव करता होगा; आप भी महसूस कर सकते हैं। तैयार फसल काटने से पूर्व जब कोई जीव-जन्तु मवेशी या चिड़िया उसके फसल को नोच-नोच कर खा जाता है, उस स्थति में वह कैसे अपने सपनो को चकनाचूर होते देखता है; आप भी देख सकते हैं। सवाल सिर्फ इतना है कि आपमें संवेदना है अथवा नहीं !

आप अगर शहर में रहते हैं, बड़े-बड़े अट्टालिकाओं में रहते हैं, आपके पास शहर में जमीन नाम की कोई चीज है अथवा नहीं – कोई फर्क नहीं पड़ता। आप फूल-पौधों-कैक्टस इत्यादि के शौक़ीन जरूर होंगे और अपने उपलब्ध स्थानों में से एक हिस्सा इन पौधों के लिए जरूर निकालते होंगे, चाहे सुंदरता के लिए, घर को सजाने के लिए या फिर स्वच्छ हवा के लिए। इन पौधों को देखकर आपके घर आने वाले आपके मित्र, सहकर्मी, सम्बन्धी या फिर पडोसी आपकी तारीफ़ किये बिना नहीं रहते होंगे। आप उसे सहर्ष स्वीकार कर मन-ही-मन अपने को, अपनी पत्नी को या फिर बच्चों को देखकर मुस्कुराते भी होंगे। इन मुस्कुराहटों में आप और भी चार-चाँद लगा सकते हैं – गमलों में मौसम के अनुसार सब्जियाँ लगाकर चाहे उपलब्ध स्थान कम ही क्यों न हो।

ये भी पढ़े   मौसम ने साथ दिया तो मुजफ्फरपुर की लीचियां होंगी और रसीली

अगर थोड़ा अधिक स्थान है जहाँ आप कुछ बड़े गमले गला सकते हैं, तो घरों में, उन गमलों में जब आलू, बैगन, मिर्ची, साग, लौकी, तोड़ी, करैला, सेम, टमाटर, बीन्स इत्यादि सब्जियाँ लटके देखेंगे, तो आप सोचिये, अपनी ख़ुशी, अपने पड़ोसन की खुशियां।

आज तो इंटरनेट का जमाना है और आप घर के कोने में बैठकर यह जान सकते हैं कि किस मौसम में कौन सी सब्जी की बीज बोया जाता है। इतना ही नहीं, अगर आप अपने इलाके के सब्जी मंडी तक जाना भी नहीं चाहते जहाँ से आप बीज खरीद सकें, वैसी स्थिति में भी, आप ऑन-लाईन अपने मन पसंद सब्जी की बीज मंगा कर उसे गमले में लगा सकते हैं। हाँ, समयानुसार उसमे पानी और खाद देना नहीं भूलेंगे।

मेरे पास न तो ​खेत है और न जमीन​, परन्तु शहर में रहकर भी गाँव जैसा हाथ में खुरपी रखना, गोबर और मिटटी को एक साथ मिलाकर पौधों में देना, सुवह-शाम पौधों में पानी देना, उसके पत्तों को धोना बहुत अच्छा लगता है। इन कार्यों को करते समय अपने मूल-कार्य को सोचने, समझने और उसे एक दिशा में ले जाने के लिए जो अवसर मिलता है, उससे जो सकून मिलता है, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता, शब्दों में लिखा नहीं जा सकता। सुवह-शाम जब पौधों के पास आप जायेंगे, आप एक बेहद आनंद का अनुभव करेंगे। आप पौधों से, उसकी टहनियों से, फूलों से, फलों से बात करने जैसा महसूस करेंगे। यह एक मनोविज्ञान भी है स्वयं को खुश और आनन्दित रखने का ।

दस साल पहले तक मैं अपने छत पर गुलाब बाटिका बना रखा था। सैकड़ों किस्म के गुलाब। एक दिन माँ (दिवन्गत) कही की फूल लगाना अच्छी बात है, देखने में भी अच्छा लगता है, लेकिन सब्जी लगाकर देखो, बहुत अच्छा ​लगेगा। माँ की बात ब्रह्मवाक्य था। उसके बाद गमला, कियारी सब बना और सब्जियों की खेती की शुरुआत हो गयी। लौकी, करैला, आलू, तोड़ी, मिर्ची, भिन्डी, सेम, निम्बू, पालक साग, लाल साग, धनिया, टमाटर, कढ़ी पत्ता, खीरा, बीन्स सभी लगाया। आज भी लगाता हूँ। अच्छा लगता है। आप भी कोशिश करें।

ये भी पढ़े   माले: बिहार में राजद गठबंधन की सरकार  बनी तो भूमि - कृषि में सुधार होगा, उद्योग लगेंगे, बंद मिलें खुलेंगे
चेरी-टमाटर
चेरी-टमाटर

बहरहाल, आज-कल चेरी टमाटर का युग है। यह टमाटर का एक नया प्रकार है जिसमे विटामिन सी 31 मिलीग्राम, कैल्शियम 20 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 15 मिलीग्राम, सोडियम 45 मिलीग्राम, पोटैशियम 114 मिलीग्राम और फॉस्फोरस 35 मिलीग्राम होता है। ​इसमें प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट के साथ विटामिन ऑक्जेलो एसिड की भी पर्याप्त मात्रा होती है। इसका आकार गोल और छोटा होता ​है। इस टमाटर की खास बात यह है कि यह गुच्छों में लगता है और गिरता भी नहीं है।

यह स्वाद में मीठा और स्वास्थ्यवर्धक होता है । कोल्ड चेन के बिना भी यह सामान्य अवस्था में 25 दिनों तक सुरक्षित ​रखा जा सकता है ​वैसे यदि ​एक एकड़ में ​इसकी खेती की जाय तो 250 से 300 क्विंटल उत्पादन ​मिल सकता है, परन्तु गमले में यदि दो पौधा भी है तो एक किलो फसल होगा ही । ​

आम तौर पर बाजार में इसकी उपलब्धि नहीं के बराबर है परन्तु बड़े-बड़े लोग बड़ी-बड़ी कारपोरेट वाली सब्जी की दुकानों से प्रति किलो 80 से 150 रुपए कीमत ​पर खरीदकर स्वाद चखते हैं । इस​ पौधे ​में बीमारी की संभावना नगण्य ​होती है। पौधे पांच मीटर तक लंबे हो सकते हैं। टमाटर की इस नई वेराइटी को पूर्वी क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है।

​आजकल कुछ राज्यों में किसान इसके बीज का इस्तेमाल कर रहे हैं। बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम आदि राज्यों में इस वेराइटी से अधिक उत्पादन ​मिलता है । पॉलीहाउस में इस वेराइटी से 9 माह तक उत्पादन लिया जा सकता है, जबकि खुले खेतों में पांच से छह माह तक उत्पादन मिलेगा। सितंबर-अक्टूबर में लगाने पर 60 दिनों में उत्पादन मिलने लगेगा।

ये भी पढ़े   अब नर्मदा का पानी गुजरात के कच्छ तक, 164 गांव नर्मदा कमांड में शामिल, एक नई मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी शीघ्र : अमित शाह

​वैसे ​टमाटर ​के सामान्य पौधों में मूर्छा रोग की बीमारी अधिक होती है, जबकि ​चेरी टमाटर का पौधा इस बीमारी से मुक्त ​होता है। लाइकोपेन अधिक होने से इसका कलर गहरा लाल होता है। काफी छोटा होने के कारण सलाद में इसे ​बिना ​काटे उपयोग किया सकता ​है।

आईसीएआररांची के वैज्ञानिकों ने डॉ. एके सिंह के नेतृत्व में चेरी टमाटर के साथ ही टमाटर की एक और वेराइटी ईसी 5967 वेराइटी विकसित की है। यह वेराइटी खाद्य प्रसंस्करण की दृष्टि से अधिक लाभकारी है। इसमें बीज की मात्रा नगण्य है।

अगर आपको बगीचे में बागवानी का ज्‍यादा अनुभव नहीं है तो आपको इसकी शुरुआत चेरी टमाटर से ​करें। इस पौधे की सबसे खास बात यह है कि आप इसे किसी भी कमले या कंटेनर में लगा ​सकते हैं। इसके लिये आपको किसी बडे़ से बगीचे की आवश्‍यकता नहीं है – तो एक शुरुआत करें न !!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here