माले: बिहार में राजद गठबंधन की सरकार  बनी तो भूमि – कृषि में सुधार होगा, उद्योग लगेंगे, बंद मिलें खुलेंगे

यह तस्वीर सन 1992 की है जब विनोद मिश्रा कलकत्ता में
यह तस्वीर सन 1992 की है जब विनोद मिश्रा कलकत्ता में "ओवरग्रॉउंड" हुए थे। इस कहानी में मैं भी हिस्सेदार था। कहानी संडे पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। आज दीपंकर साहेब की बात सुनकर विनोद  आगये 

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य भी अब “राजेनता” की भाषा बोलने लगे हैं। “अगर सरकार बनी तो हम फलाना कर देंगे, ठिकाना कर देंगे, प्रदेश में उद्योग लगा देंगे, रुग्ण-बंद उद्योगों को जीवित  कर देंगे।” 

श्री भट्टाचार्य सन 1998 में विनोद मिश्रा के बाद पार्टी के महासचिव बने थे। इससे पूर्व वे इण्डियन पीपुल्स फ्रंट और ऑल  इंडिया सेन्ट्रल कौन्सिल फॉर ट्रेड यूनियन के महा-सचिव थे। लेकिन आज बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) महागठबंधन के घटक भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने कहा कि यदि बिहार में उनके गठबंधन की सरकार बनी तो भूमि और कृषि सुधार के साथ ही प्रदेश में औद्योगिक विकास होगा तथा बंद बड़ी सरकारी चीनी मिलें फिर से चालू की जाएगी । भारत में नेता लोग ऐसे ही कहते हैं। 

भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य
भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य

भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने गुरुवार को यहां पार्टी का चुनावी घोषणा-पत्र जारी करने के बाद कहा कि राज्य में पार्टी के सहयोग से यदि महागठबंधन की सरकार बनी तो डी. बंदोपाध्याय आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में सीलिंग की जमीन घटाना, कानून का सख्ती से पालन, भूदान समितियों की पुनर्स्थापना, बटाईदारों का पंजीकरण, किसानी का हक, बिना आवास वाले परिवार को 10 डिसमिल आवासीय जमीन, कृषि में सरकारी निवेश पर जोर, सस्ते ऋण, नए कृषि विश्विद्यालय, हर पंचायत में खरीद केंद्र की गारंटी बन्द पड़े मिलों एवं सरकारी इलाके की बीमार इकाइयों को फिर से शुरू किया जाएगा। 

श्री भट्टाचार्य ने घोषणा-पत्र के हवाले से बताया कि रोजगारोन्मुख औद्योगिक विकास पर जोर दिया गया और कहा गया है कि अन्य छोटे-मध्यम उद्योगों का विकास, बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान, सभी रिक्त पड़े सरकारी पदों पर अविलंब बहाली, महात्म गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) में प्रति परिवार की बजाए प्रति व्यक्ति 200 दिन काम और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी, शहरी रोजगार गारंटी कानून पारित कर उसके तहत 300 दिन का काम और न्यूनतम जीवनयापन लायक मजदूरी की गारंटी होगी।

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माले के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि बिहार में पलायन और शिक्षा के निजीकरण पर रोक लगाई जाएगी। सरकारी विद्यालयों में बेहतर शिक्षा की व्यवस्था, सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) लागू करना, आशा कार्यकर्ताओं को सम्मान और वेतनमान तय होगा, स्किम वर्करों को सम्मान, शिक्षकों सहित सभी को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान किया जाएगा। (वार्ता के सौजन्य से) 

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