पत्रकारिता के प्रति श्री जुगनू शारदेय जी की “खुद्दारी” ही उनसे “गद्दारी” कर रही है, पटना के एक वृद्धाश्रम में हैं श्री जुगनू जी 

वरिष्ठ पत्रकार श्री जुगनू शारदेय पटना के वृद्धाश्रम में - बिहार नरेश श्री नितीश कुमार जी सुन रहे हैं

देश के वरिष्ठ पत्रकार श्री जुगनू शारदेय का पत्रकारिता के प्रति खुद्दारी ही उनके साथ गद्दारी कर रही है। फिर देश के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को, या बिहार के मुख्य मंत्री श्री नितीश कुमार को, महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री श्री उद्धव ठाकरे को या फिर बिहार के तमाम विधायक या सांसद ,जो 60 वर्ष से अधिक के हैं, क्यों दोषी करार करें। वे सभी तो “अवसरवादी” हैं ही। परन्तु, इस लेख के माध्यम से आर्यावर्तइण्डियननेशन.कॉम बिहार ही नहीं, देश के सभी “मानवीय लोगों” से प्रार्थना करता है कि आप मदद के लिए आगे आएं। 

कल तक जो व्यक्ति जुगनू शारदेय की कलम की ओर टकटकी निगाह से देखता था की “जुगनूजी” दो शब्द उनके बारे में लिख दें, उनकी लेखनी से उनका भाग्य बदल सकता है, बदल गया है; आज जुगनू शारदेय के संवाद को भी नहीं सुनते, नहीं पढ़ते, नहीं लिखते, उन्हें देखने की बात, हाल-चाल पूछने की बात तो कोसों दूर रही। 

जीवन में शब्दों के शब्दकोष को धनाढ्य बनाने, शब्दों का विन्यास कर सकारात्मक कहानियों का महल बनाने के अलावे कुछ किया कहाँ जुगनू शारदेय ने जीवन में। अगर कुछ किया तो अपने शब्दों के सहारे मल-मूत्रों के दुर्गन्धित बिहार की गलियों से आवारा कुत्तों की तरह विचरण करने वाले ‘श्रमजीवी’ नेताओं को निकाल कर पटना के विधान सभा, विधान परिषद, लोक सभा, राज्य सभा में सुगन्धित इत्रों से नहलाकर बैठाया । आज वे भी नहीं पहचानते। चाहे नितीश कुमार हों, लालू प्रसाद हों, आर सी पी सिन्हा हों, लोहिया के लोग हों या जयप्रकाश नारायण के, कर्पूरी ठाकुर के लोग हों या सत्येन्द्रनारायण सिन्हा के। 

श्री जुगनू शारदेय आज गुलजारबाग (पटना) के एक राज्य सरकार द्वारा निर्मित और हेल्पऐज इण्डिया द्वारा संचालित वृद्धा-आश्रम में 3 फीट x 6 फीट के बिस्तर पर मानसिक रूप से बिक्षिप्त, सड़कों के किनारे निःसहाय, अनाथ पड़े बुजुर्गों के बीच सांस ले रहे हैं। @आर्यावर्तइण्डियननेशन.कॉम से बात करते श्री जुगनू शारदेय कहते हैं: “शिवनाथ, मैं पागलों के बीच नहीं रहना चाहता हूँ। मैं पागल हो जाऊंगा।” 

बिहार सरकार इस भवन का निर्माण वृद्धाश्रम सहारा पटना के नाम से की है।  यह भवन गुलजारबाग के कमलदह जैन पथ, संख्या – 2, महारानी कालोनी में स्थित है। 

वृद्धाश्रम सहारा पटना 

बिहार के मुख्य मन्त्री श्री नितीश कुमार, पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और जनता दल (युनाइटेड) ने वर्तमान अध्यक्ष के अलावे न जाने बिहार के कितने नेताओं को विभिन्न माध्यमों से सम्वाद पहुँचाया गया।  लेकिन बिहार के नेतागण “मूक” ही नहीं, “बधिर” तो हैं ही, “मानसिक रूप से दिव्यांग” भी हो गए हैं, जहाँ तक मानवीयता का प्रश्न है। समाज का एक ऐसा विद्वान लेखक/पत्रकार की दशा आज अगर ऐसी हो सकती है तो प्रदेश के आम नागरिकों के कल्याण के बारे में सोचना व्यर्थ है।

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मुद्दत पहले “राशन कार्ड का दुःख” किताब के किंडल संस्करण में बहुत बखूबी से श्री जुगनू शारदेय के लिखा था: “एक युग से आँसुओं; नारों; माँगों और फोटू कमेटी की बरसात हो रही थी। कल गरमी के बावजूद संसद् के एयरकंडीशन से कलेजे में ठंडक लिये वैसे ही मुसकराई देश की संसदीय महिलाएँ; जैसे कभी मुसकराती थीं टूथपेस्ट बेचनेवाली महिलाएँ। आखिर पेश हो गया राज्यसभा में संविधान संशोधन 108वाँ विधेयक। इसमें संसद् और विधानसभा में आबादी के 50 प्रतिशत को 33 प्रतिशत रिजर्वेशन मिल सकेगा।” 

कितना सच लिखा था उन्होंने क्योंकि आज आज़ादी के 75 साल बाद भी,  प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इण्डिया@75 का नारा देने के बाद भी, व्यवस्था और सरकार न तो आम लोगों की आंसू फोछ सकी और न ही महिलाओं को विधान सभा में या संसद में 33 फ़ीसदी आरक्षण दे सकी।  फिर पत्रकार किस खेत की मूली है। जब तक उसके कलम में ताकत है, जब तक पत्र-पत्रिकाओं-टीवी चैनलों का मालिक बिका नहीं है, तब तक ‘उसी टूथपेस्ट बेचती महिलाओं की तरह मुस्कुराकर उन पत्रकारों का शोषण करते रहो। “मीठी बोली पर तो पहले के पत्रकार, लेखक फ़िदा हो जाते थे। वो आज के पत्रकार थोड़े ही थे। 

यह लेख सन 1977 में माधुरी पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। 

कभी धर्मयुग और दिनमान जैसी पत्रिकाओं में “हस्ताक्षर” रहे, कभी “स्‍टार न्‍यूज” के शुरुआती दौर में स्‍टाइल शीट बनाने वाले जुगनू शारदेय कहते थे कि देश में आने वाले दिनों में पत्रकारों को तथ्‍य, तर्क और विश्‍लेषण को गम्‍भीरता से समझना होगा ताकि वे अपनी कलम को सशक्‍त बनाकर अपना जीवन पत्रकारिता की दुनिया में संवार सके”। आज इस वृद्धाश्रम के इस बिस्तर पर पड़े श्री जुगनू शारदेय को देखकर पत्रकारिता के स्वरुप पर आंसू निकतला है। कितना विस्वास था उन्हें,, आज भजि उतना ही विस्वास है। लेकिन ……

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जुगनू शारदेय यह भी मानते हैं कि एक पत्रकार को भाषायी जिम्‍मेदारी का अहसास होना बेहद जरुरी है क्‍योंकि पाठक और दर्शक संचार माध्‍यमों की भाषा से अपनी भाषा गढते है। किस तरह के शब्‍द का प्रयोग करना है और किस का नहीं इसका ध्‍यान हमेशा लिखने वाले को रखना चाहिए। जुगनू शारदेय यह भी कहते थे और आज भी कहते हैं कि “तथ्‍यों की भूल और तथ्‍यों से छेड़छाड” एक लेखक, पत्रकार के लिए अक्षम्य अपराध है लेकिन आज की पत्रकारिता में “भाषा” का क्या हश्र है यह तो पाठक और दर्शक जानते ही हैं, क्योंकि उस “अनर्गल भाषाओँ के बदौलत पत्रकार अब मालिक बा गए हैं। 

श्री जुगनू शारदेय पिछले लगभग एक साल से पटना के गुलजारबाग स्थित बिहार सरकार द्वारा निर्मित और  हेल्पऐज  इंडिया द्वारा संचालित “वृद्धाश्रम सहारा पटना” में रहते हैं। वे दिल्ली में भी किराये के मकान में अथवा मित्रों के साथ रहते थे। कोविड के समय वे दिल्ली से पटना चले गए। पटना में उनके एक अभिन्न मित्र विगत कई वर्षों से उनकी दिमारदारी करते आ रहे थे। इस पटना-यात्रा में भी वे भरपूर उनकी तीमारदारी किये। वे स्वयं दोनों प्राणी वृद्ध हैं।  

विगत  साल मई-जून के महीने में, बिहार में कोविड का प्रकोप उत्कर्ष पर था, श्री जुगनू शारदेय किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते थे उनके घर रहकर। तथापि तीन-चार दिन रहने के बाद, उन्हें इस वृद्धा आश्रम में प्रवेश दिला दिया गया हेल्पऐज  इंडिया के वृद्धाआश्रम सहारा पटना के श्री धर्मेंद्र के सिंह का कहना है की: “यहाँ अभी 56 वृद्ध लोग रहते हैं। इनमें कोई चार दर्जन से के करीब वैसे लोग हैं जिन्हे सड़क के किनारे से उठाकर लाया गया है। उन्हें देखने वाला कोई नहीं है। अब तक कोई उनके बारे में पूछताछ भी नहीं किया है। इसके अलावे चार-पांच ऐसे वृद्ध हैं जिनका मानसिक संतुलन बिगड़ा हुआ है।”

श्री धर्मेन्द्र के सिंह आगे कहते हैं: “श्री जुगनू शारदेय जब यहाँ आये थे, उनकी शारीरिक दशा अच्छीं नहीं थी। अभी थोड़ी ठीक हैं।  उनके जैसे विद्वान व्यक्ति को यहाँ रहना एक तरफ जहाँ हम सबों के लिए सम्मान की बात है, हमें उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है; वहीँ मानवीयता की दृष्टि से अपच हो रहा है। बचपन से देश – प्रदेश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनका लिखा लेख पढ़ते बड़ा हुआ हूँ। पटना के कुछ मित्रों, विशेषकर श्री ध्रुव नारायण जी, जो स्वयं वृद्ध हैं, के अलावे कोई भी हाल-चाल पूछने वाला, मदद करने वाला नहीं है। यह निश्चित रूप से वर्तमान काल की पत्रकारिता और समाज के लिए एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है, जहाँ तक मानवीयता का सवाल है।”

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विगत दिनों श्री जुगनू शारदेय इस वृद्धआश्रम से निकल कर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र (मुंबई) भी चले गए थे। श्री शारदेय दो भाई हैं। ये जीवन पर्यन्त विवाह नहीं किये।  जानकारी के अनुसार, मुंबई से लौटकर ये इस वृद्धाश्रम न आकर औरंगाबाद अपने सगे-सम्बन्धियों के पास गए थे, लेकिन कोई भी “सहारा” नहीं दिए। बाद में, दो रात औरंगाबाद स्टेशन पर बिताये। 

श्री ध्रुवनारायण जी से बात करने पर उन्होंने कहा कि “श्री जुगनू शारदेय हमारे लिए बहुत सम्मानित हैं। एक – दूसरे को दसकों से जानते हैं। हम दोनों पति-पत्नी के पास जब तक ईश्वर सामर्थ बनाये रखेंगे तब तक हम दोनों उनकी सहायता में उपस्थित रहेंगे।” श्री ध्रुवनराय जी “जय नारायण मिश्र @ जनम फॉउंडेशन” चलाते हैं। 

जब ध्रुवनारायण जी से पूछा की हम सभी कैसे मदद कर सकते हैं श्री जुगनू जी को, तो उन्होंने कहा की आप श्री जुगनू शारदेय जी का और जनम फॉउंडेशन का बैंक एकाउंट विवरण लिख दें।  यह किसी भी व्यक्ति के लिए आसान होगा। जरुरत होने पर श्री जुगनू जी के साथ चलकर हम बैंक से निकालकर उन्हें दे देंगे अथवा वे अपने बैंक से निकाल लेंगे। हम पटना हिंदुस्तान की सविता कुमार का ह्रदय से आभारी हैं जिन्होंने श्री जुगनू जी के विषय में लिखा। 
@आर्यावर्तइण्डियननेशन.कॉम तमाम पाठकों, मित्रों और मानवीय लोगों से प्रार्थना करता है कि आगे आएं। 

श्री जुगनू शारदेय जी का बैंक विवरण:

Name: Jugnu Shardeya
Bank: State Bank of India, 
A/c No. SB A/c 20087566929
Sector 63, Noida
IFSC — SBIN0013218

जनम फॉउंडेशन का बैंक विवरण:

Name: JAI NARAYAN MISHRA FOUNDATION ALIAS JANAM FOUNDATION 
Bank: Sate Bank of India, 
Main Branch, Patna, 
A/c No. 00000031120156473 
IFSC SBIN0000152

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