जगजीवन ‘बाबू’ के बाद बिहार में रघुवंश ‘बाबू’ ही दूसरे नेता थे, जिन्हें लोग श्रद्धा से ‘पूरा नाम’ भी नहीं लेते थे 

रघुवंश बाबू @ रघुवंश प्रसाद सिंह जो अब नहीं रहे 
रघुवंश बाबू @ रघुवंश प्रसाद सिंह जो अब नहीं रहे 

आप चाहे जितनी भी संवेदनाएं, श्रधांजलियाँ अर्पित कर दें लालू प्रसाद यादव जी, आप चाहे जितना भी मर्माहत होने सम्बन्धी बातें “जेल” से “ट्वीट” करें; रोएं, गाएं, कलेजा पीटें – लेकिन “वह कौन सी बात विगत दिनों राष्ट्रीय जनता दल के “वर्तमान आला पदाधिकारियों” द्वारा घटित हुई, जिससे आपके मित्र डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह “अन्तःआत्मा से इतना दुःखी हुए की उनकी आत्मा फिर आपके लिए, आपकी पार्टी के लिए खड़ी नहीं हुई” – विचार जरूर कीजियेगा। 

विगत पांच दसकों में, विशेषकर जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रान्ति के पश्चयात, बिहार में जितने नेताओं का अभुदय हुआ, सडकों से विधान सभा के रास्ते भारत संसद में पहुंचे; उन सभी नेताओं में (लालू प्रसाद यादव सहित) डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह “एकलौता” बिहार के नेता रहे, जिन्हे “रघुवंश बाबू” के नाम से बिहार ही नहीं दिल्ली  राजपथ पर भी लोगों ने संबोधित किया। यह “सम्मानित अलंकरण” बिहार के जगजीवन बाबू  (जगजीवन राम) रघुवंश बाबू को ही मिला। यह “श्रद्धा वाला अलंकरण” लालू प्रसाद यादव को भी नहीं मिला। 

ज्ञातब्य हो कि रघुवंश बाबू विगत दिनों राजद से इस्तीफा दिया था। वे लगातार पार्टी से खफा चल रहे थे और और दिल्ली के एम्स से ही लालू यादव के नाम अपना 30 शब्दों का इस्तीफा लिख कर भेजा था, जिसके बाद सियासत गरमा गई थी। लालू यादव ने रघुवंश प्रसाद को मनाने के लिए चिट्ठी लिखी थी और कहा था आप कहीं नहीं जा रहे हैं लेकिन उसके बाद भी रघुवंश प्रसाद लगातार बिना राजद का नाम लिए पार्टी के अंदर चल रही गतिविधियों के खिलाफ चिट्ठी लिख रहे थे।  

पारिवारिक सूत्रों ने यहां बताया कि फेफड़े के संक्रमण से जूझ रहे डॉ. सिंह को अभी हाल में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। इससे पूर्व कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें पटना एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गए थे। बाद में तबीयत खराब होने उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था । उनके परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं।   

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 राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार की राजनीति के महारथी रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर रविवार को गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने संतों जैसा सादा जीवन व्यतीत कर सार्वजनिक जीवन को विशेष गरिमा प्रदान की।  श्री सिंह का आज सुबह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) में निधन हो गया।श्री कोविंद ने रघुवंश प्रसाद के निधन पर शोक संदेश में कहा: “श्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन का समाचार दुखद है। जमीन से जुड़े व ग्रामीण भारत की असाधारण समझ रखने वाले रघुवंश बाबू का कद बहुत ऊंचा था। अपने संतों जैसे सादा जीवन से उन्होंने सार्वजनिक जीवन को विशेष गरिमा प्रदान की। उनके परिवार, समर्थकों व प्रशंसकों को मेरी शोक-संवेदनाएं!”  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। श्री मोदी ने श्री रघुवंश प्रसाद को जमीन से जुड़ा और गरीबी को समझने वाला व्यक्ति बताते हुए कहा कि बिहार के लिए संघर्ष में पूरा समय बिताने वाले रघुवंश बाबू के जाने से बिहार और देश की राजनीति में शून्य पैदा हुआ है। प्रधानमंत्री ने श्री सिंह के एम्स में भर्ती होने के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे आखिरी पत्र की बातें को पूरा करने पर भी जोर दिया। 
उन्होंने कहा,’उन्होंने (श्री प्रसाद ने) बिहार के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर विकास के कामों की लिस्ट भी दी थी। बिहार के लोगों और बिहार की चिंता चिट्ठी में थी। मैं नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि अपनी आखिरी चिट्ठी में श्री प्रसाद ने जो भावनाएं प्रकट कीं, उसे पूर्ण करने के लिए आप और हम मिलकर पूरा प्रयास करें।’ श्री मोदी ने इस दौरान उनसे अपने संपर्क को भी याद करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी संगठन में काम करने के दौरान उनसे नजदीक का परिचय रहा। जब वह केंद्रीय मंत्री थे तो मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर संपर्क में 

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 राजद सुप्रीमो ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया? मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे है। लेकिन आप इतनी दूर चले गए। नि:शब्द हूँ। दुःखी हूँ। बहुत याद आएँगे।’ पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने श्री सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा ‘रघुवंश बाबू की क्रांतिकारी समाजवादी धार राजद के हर कार्यकर्ता के चरित्र में है। उनकी गरीब के प्रति चिंता, नीति, सिद्धांत, कर्म, और जीवनशैली हमेशा हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रहेगी। राजद के मजबूत स्तम्भ, प्रखर समाजवादी जनक्रांति पुंज हमारे अभिभावक पथ प्रदर्शक श्री रघुवंश बाबू के दुःखद निधन पर मर्माहत हूँ।’ आप समस्त राजद परिवार के पथ प्रदर्शक, प्रेरणास्रोत व गरीब की आवाज बने रहे!।आपकी कमी राजद व देश को सदैव खलेगी।  

उन्होंने कहा, आदरणीय रघुवंश बाबू! अभी चंद दिन पहले तो एम्स में आपसे बात हुई थी। मेरे द्वारा जल्द स्वस्थ होने की बात कहने पर आपने कहा था जल्द बाहर आकर साथ में कड़ा संघर्ष करेंगे। पिता जी के जेल जाने के बाद आप चंद लोग ही तो ऊर्जा और प्रेरणा देते रहे हैं। अचानक चले गए आप और मुझे लगभग अकेला कर गए।श्री तेजस्वी यादव ने एक अन्य ट्वीट में कहा, राजद को अपनी मेहनत और वैचारिक दृष्टिकोण से सींचने वाले कर्म के धनी महान व्यक्तित्व को सादर नमन।  

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।  श्री गांधी और श्रीमती वाड्रा ने श्री सिंह के निधन को गरीबों और किसानों के लिए अपूरणीय क्षति बताया और कहा कि उनके निधन से खेत खलिहान और किसान की आवाज चली गई है। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रहे श्री सिंह ने हाल ही में राजद से इस्तीफा दिया था।

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गौरतलब है कि श्री प्रसाद ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर बिहार को लेकर कई मांगें कीं थीं। उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और राज्यपाल विश्व के प्रथम गणतंत्र वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराएं। इसी प्रकार 26 जनवरी को राज्यपाल पटना में और मुख्यमंत्री वैशाली गढ़ के मैदान में राष्ट्रध्वज फहराएं। उन्होंने मुख्यमंत्री को 26 जनवरी, 2021 को वैशाली में राष्ट्रध्वज फहराने की मांग की थी। श्री कुमार को लिखी चिट्ठी में एक और मांग करते हुए श्री प्रसाद ने कहा था, मनरेगा कानून में सरकारी और एससी-एसटी की जमीन में काम का प्रबंध है, उस खंड में आम किसानों की जमीन में भी काम होगा, जोड़ दिया जाए। इसके अलावा श्री प्रसाद ने भगवान बुद्ध के पवित्र भिक्षापात्र को अफगानिस्तान के काबुल से वैशाली लाने की भी मांग की थी। वहीं उन्होंने वैशाली के सभी तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोड़ने का आग्रह किया था। गांधी सेतु पर गेट बनाने और उसपर ‘विश्व का पहला गणतंत्र वैशाली’ लिखने का भी आग्रह किया था।    

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