कोई तो “झूठ” बोल रहा है दिल्ली सल्तनत में !!

लाखों-लाख मानव का सैलाव पूर्वी दिल्ली के आनन्द बिहार बस अड्डा पर
लाखों-लाख मानव का सैलाव पूर्वी दिल्ली के आनन्द बिहार बस अड्डा पर

कोई तो झूठ बोल रहा है दिल्ली सल्तनत में “राजनीतिक फ़ायदे” के लिए। अगर सभी “सच बोल रहा है” और उनका कानून “सख़्त” है तो फिर लाखों-लाख मानव का सैलाव पूर्वी दिल्ली के आनन्द बिहार बस अड्डा पर कैसे आ पहुंचा ? 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार में हेल्थ और फेमिली वेलफेयर विभाग का सचिव दिल्ली पुलिस के डिस्ट्रिक्ट पुलिस कमिश्नर्स को कैसे आदेश दे सकती है, जबकि दिल्ली पुलिस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के अधीन है ही नहीं और भारत सरकार का गृह मंत्रालय, जिसके अधीन दिल्ली पुलिस कार्य करती है, चुप बैठी थी। 

कहाँ गए पूर्वांचल के “राजनीतिक ठेकेदार” या बिहारियों के बल पर बिहार से दिल्ली तक राजनीतिक प्यादा की चाल चलने वाले कुर्ता-पैजामा-धोती-गमछीधारी, जो प्रवासित लोगों के बल पर दिल्ली सल्तनत में राजनीतिक दूकानदारी करते आ रहे हैं? 

कोई तो झूठ बोल रहा है दिल्ली सल्तनत में। 

दिनांक 24 मार्च 2020 को आदेश संख्या F.51/DGHS/PH-IV/COVID-19/2020/prsecyhfw/3331-45 के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली एपिडेमिक डिजीज, कोविड -19 रेगुलेशन्स के तहत इसके रोकथाम के लिए एक आदेश जारी होता है। इस आदेश में सोमवार, 23 मार्च. 2020 को प्रातः 6 बजे से मंगलवार, 31 मार्च, 2020 तक “लॉक डाउन” घोषित किया जाता है।  

इस आदेश के साथ ही, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से सटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश की भौगोलिक-सीमाएं भी “सील्ड” कर दी जाती हैं । परन्तु नागरिकों की सुविधा हेतु अन्य आवश्यक वस्तुओं/सेवाओं में किसी प्रकार का कोई अवरुद्ध नहीं हो, ध्यान  रखा जाता है । उसी दिन, यानि 24 मार्च को ही, आदेश संख्या F.51/DGHS/PH-IV/COVID-19/2020/prsecyhfw/3316-30 के तहत एक अन्य आदेश निर्गत किया जाता हैं जिसमे कहा गया की: “सरकार को अनेकानेक शिकायत मिली है जिसमे दिल्ली में रहने वाले डॉक्टर्स, पारा-मेडिकल स्टाफ, हेल्थ केयर कार्मिक इस बात की शिकायत दिल्ली सरकार को की हैं कि उनके मालिक मकान उन्हें तत्काल प्रभाव से मकान खाली करने की जबरदस्ती कर रहे हैं, जहाँ वे मासिक-किराये पर रहते हैं। सरकार का मानना है कि उनका ऐसा व्यवहार लोक सेवा में व्यवधान उत्पन्न कर रहा है जबकि  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली एपिडेमिक डिजीज, कोविड -19 रेगुलेशन्स के तहत इस के रोकथाम के लिए  एक आदेश जारी कर दिया है।”

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इसलिए, उपरोक्त कानून द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के सभी जोनल डिप्टी कमिश्नर्स/डिस्ट्रिक्ट डिप्टी कमिश्नर्स ऑफ़ पुलिस को एतद द्वारा आदेश दिया जाता है की इस दिशा में नियम के अधीन भवन-स्वामी/भू-स्वामी के विरुद्ध कठोर-से-कठोर क़ानूनी कार्रवाई करें और नित्य-के-आधार पर एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (गृह),  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को प्रस्तुत करें। 

अब सवाल यह उठता है कि अकस्मात् दिल्ली के भवन-स्वामी/भू-स्वामियों का व्यवहार उनके अपने किरायेदारों के लिए ऐसा “बेरुख”, “अमानवीय” कैसे हो गया?  ऐसी शिकायत दिल्ली के किस क्षेत्र से दिल्ली सरकार के पास, अधिकारीयों के पास आयी? ऐसी सूचना मिलते ही देश की परिस्थियों को देखते, दिल्ली सरकार “फिजिकली” क्या की? क्या यह दिल्ली में “अफवाह फ़ैलाने” की कोई “कूट-नीति” थी?

इतना ही नहीं, एक और महत्वपूर्ण सवाल उठता है :  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार तो अपने राज्य के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के सभी जोनल डिप्टी कमिश्नर्स को आदेश दे सकती है क्योंकि वे उनके अधीन हैं, उन अधिकारीयों का जबाबदेही दिल्ली  सरकार के प्रति है। 

लेकिन, डिस्ट्रिक्ट डिप्टी कमिश्नर्स ऑफ़ पुलिस को किस आधार पर “आदेश” निर्गत की है ? दिल्ली पुलिस तो   राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार  के अधीन है ही नहीं। क्या  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार भारत सरकार के गृह मंत्रालय,  जिसके अधीन दिल्ली पुलिस कार्य करती है, से इस दिशा में पहल करने के लिए किसी प्रकार की कोई मदद मांगी गयी ? क्या इस स्थिति के बारे में दिल्ली के मुख्य मंत्री भारत सरकार के गृह मंत्री/गृह मंत्रालय को सूचित की ?


आनन्द विहार बस अड्डा पर दिल्ली पुलिस के अधिकारी आलोक कुमार द्वारा दिए गए “गोलमोल कथन” से यह बात स्पष्ट है की “इस पूरे प्रकरण में दिल्ली पुलिस अपने-आप को अलग-थलग रखी है। वैसे अगर दिल्ली में हुए पूर्व की घटनाओं को खंगालें तो दिल्ली पुलिस की  भूमिका हमेशा प्रश्नवाचक चिन्ह के अंदर रही है। इसका वजह भी है – दिल्ली पुलिस भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है और किसी भी राज्य/शहर की कानून-व्यवस्था “स्टेट सब्जेक्ट” है। 

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यहाँ  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मुख्य मन्त्री अरविन्द केजरीवाल, उनके कनिष्ठ मनीष सिसोदिया, और अन्य सम्बद्ध अधिकारीगणों भूमिका प्रश्नवाचक चिन्ह  है। 

दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर शनिवार सुबह से रात लाखों की संख्या में लोग जुटे रहे। देर रात तक स्टेशन पर हजारों की संख्या में लाेग यूपी और बिहार के अलग अलग जिलों में जाने के लिए बसों का इंतजार कर रहे हैं। ​अनुमान अनुसार  सुबह छह बजे से रात आठ बजे तक दिल्ली बार्डर पर यूपी गेट के रास्ते करीब पांच लाख लोगों ने दिल्ली से पलायन किया है। इनमें से करीब साढ़े तीन लाख लोग कौशांबी और लालकुआं से बसों में बैठकर अपने गांव के लिए निकले हैं तो करीब डेढ़ लाख लोगों पैदल ही सफर शुरू कर दिया है। यह आंकड़ा शुक्रवार को हुए पलायन के सापेक्ष लगभग दो गुना है।  

यूपी गेट बार्डर पर तैनात पुलिस अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली से लोगों का हुजूम सुबह छह बजे आना शुरू हुआ और रात के आठ बजे तक रेला टूटा नहीं है। यह स्थिति उस समय है जब गाजियाबाद पुलिस यूपी गेट से लगातार लोगों को बस में बैठाकर कौशांबी और लालकुंआ पहुंचा रही है। दरअसल, जैसे जैसे सूचना दिल्ली में फैल रही है कि यूपी गेट से गांव जाने के लिए बसों की व्यवस्था है, जो लोग अब तक नहीं जाने का मन बनाए बैठे थे, वह भी अपने गांव के लिए निकल पड़े हैं। 

खोड़ा कालोनी से लोग दोपहर बाद निकलना शुरू हुए और देर रात तक उनकी कतारें बनी हुई है। अब तक तो यूपी गेट पर उत्तर प्रदेश के ही लोग आ रहे थे, लेकिन शनिवार शाम से राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के लोग भी पहुंचने लगे हैं।

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​बहरहाल, आप सभी प्रवासित लोग, जो आज इस शहर को छोड़कर अपने-अपने प्रदेश/गाँव को कूच का गए, कर रहे हैं; कल फिर यहीं वापस आएंगे अगर यह महामारी सम्पूर्ण देश में नहीं फैला तो। अफवाहों से बचिए – राजनेता, समाज के ठेकेदार अपने-अपने स्वार्थसिद्धि के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं – सोचिये जरूर ​ प्रयोग करते हुए जनता को  अवगत करवाएं। इस पैकेज के माध्यम से 1.70 लाख करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। कार्यकर्ता  कोविड-19 की महामारी के दृष्टिगत लोगों को अधिक से अधिक आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज में ‘कोविड-19’ से लड़ने वाले प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मी को बीमा योजना के तहत 50 लाख रुपये का बीमा कवर प्रदान किया जाएगा। 80 करोड़ गरीबों को अगले तीन महीने तक हर माह 5 किलो गेहूं या चावल और पसंद की 1 किलो दालें मुफ्त में मिलेंगी। 20 करोड़ महिला जन धन खाता धारकों को अगले तीन महीने तक हर माह 500 रुपये मिलेंगे। मनरेगा के तहत मजदूरी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये प्रति दिन कर दिया गया है, इससे 13.62 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे। 3 करोड़ गरीब वरिष्ठ नागरिकों, गरीब विधवाओं और गरीब दिव्यां गजनों को 1,000 रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी।

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