कोशी-धार जैसा रुख बदलेगा विधान सभा 2020 चुनाव बिहार में, रघुवंश बाबू नीतीश को “ना” नहीं कह सकते, पुराने शिष्य हैं… 

बिहार की राजनीति - आएं एक दूकान खोलें 
बिहार की राजनीति - आएं एक दूकान खोलें 

* बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश बाबू जानते हैं कि ‘जीवित’ कोरोना वायरस और प्रदेश में ‘मृत’ चिकित्सा-व्यवस्था के मद्दे नजर, प्रदेश में रोजगार के अवसरों की किल्लत के कारण, लघु-मध्यम उद्योगों के किल्लत के कारण, शिक्षा की अव्यस्था कारण, अपराधों की वृद्धि कारण, अपराधियों के राजनीतिकरण कारण और न जाने अनगिनत कारणों से आगामी विधान सभा चुनाव में मतदाता “कोशी की धार जैसा” अपना रुख बदलेंगे, सम्भव है चुनाव के दिन ऊँगली कहीं और कर दें और मुख्य मंत्री पद पर पुनः आसीन होने का सपना पूरा न हो सके।

* राष्ट्रीय जनता दल के ‘हाई-कमान’ लालू प्रसाद तो अवगत हैं ही कि उनके और उनके पुत्रद्वय की राजनीतिक सोच-विचार और परिपकक्ता में महेन्दू घाट – पहलेजा घाट जैसा अन्तर तो है ही, प्रदेश की जनता यह जानती है कि पटना विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर और विधि-स्नातक उपाधि से अलंकृत छात्र-नेता जब प्रदेश को स्वहित में गर्त में गिरा सकते हैं, गरीब-बुरबा के नाम का, उनकी गरीबी का ‘राजनीतिकरण’ कर स्वयं लाभान्वित हो सकते हैं; तो महज नवमीं कक्षा वाले उनके पुत्र-द्वय के हाथों प्रदेश का कमान कैसे सौंप दे? क्योंकि बिहार तो राजनेताओं का कोई प्रशिक्षण केंद्र है नहीं जहाँ प्रदेश के लोगों के करों से राजनेताओं को प्रशिक्षण दिया जाय और फिर उन्हें अपने-अपने तिजोड़ी को भरने का अवसर दिया जाय। वैसे भी प्रदेश में शिक्षित व्यक्तियों की किल्लत तो है नहीं !!

* प्रदेश की जनता, खासकर दलित समुदाय और महादलित के मतदातागण भी जानते हैं कि उनके “स्वयंभू” नेता ‘जे है से की’ रामविलास पासवान भी उनके (दलितों के) नाम पर विगत साढ़े-तीन दसक से अधिक समय से जबरदस्त ‘दूकानदारी’ चला रहे हैं। जिस समय पासवान जी ‘दलितों की जाति, दलितों की गरीबी, दलितों का पिछड़ापन, दलितों के लिए शिक्षा, दलितों का विकास के नामपर राजनीतिक दूकानदारी प्रारम्भ किये थे, उस समय जो दलित अपनी माँ के गर्भ में था, आज वह बच्चा 35 – वर्ष से अधिक आयु का हो गया ​है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज भी वह​ दलित ​ 18 – घंटा मेहनत कर अपने बच्चे को ​बांस के ​पत्ते पर अथवा अल्युमिनियम के वर्तन में रूखी-सुखी रोटी और प्याज परोसता है। जबकि उसी उम्र के दलित नेताओं के बच्चे पुनः दलितों की राजनीति कर प्रदेश का मुख्य मंत्री बनना चाहता है।

* बिहार की जनता यह भी जानती है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का प्रदेश की जनता के लिए, प्रदेश के विकास में क्या योगदान है ? अपनी राजनीतिक दूकानदारी करने के लिए कभी केंद्र में मंत्री हैं और जब दिल्ली के राजपथ पर उन्हें कोई पूछता नहीं, तो पार्टी छोड़कर ‘मुख्य मन्त्री’ बनने की तलास में मतदाताओं को बरगलाने लगते हैं। सोचते भी नहीं की आज उन्ही के समुदाय से, बीपीएल से पांच किलोमीटर नीचे दबे-कुचले परिवार का बच्चा-बच्ची भी बिना किसी राजनेताओं के सहारे अपने प्रदेश में ही नहीं, देश में ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सोच, अपनी शिक्षा का अलग पहचान बनाया है। बस समय आने पर “इक्का” का चाल चलेगा।

“इधर-उधर के छिटपुट नेता लोग को कौन पूछता है। जिन्दावाद-जिन्दावाद का नारा लगाने वालों का अगर समय पर उचित मूल्यांकन नहीं किया गया, उचित मूल्य नहीं दिया गया तो उसे “पलटी मारने में कितना वक्त लगेगा? क्योंकि यह बिहार है और अब यहाँ की आवादी, मतदाता “प्राक-ऐतिहासिक काल में बिहार क्या था, इससे कोई मतलब नहीं रखता । आज सभी सरकारी स्कूल “शौचालय” बराबर हो गए हैं यह उसके लिए महत्वपूर्ण है न की प्राक-ऐतिहासिक काल में बिहार में नालन्दा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय था। प्राक-ऐतिहासिक युग में बिहार आयुर्वेद-यूनानी दवाईयों के क्षेत्र में अब्बल था यह महत्वपूर्ण नहीं रखता, उसके लिए चिंता इस बात की होती है कि आज बिहार के अस्पतालों डाक्टर नहीं जाते, मरीजों की चिकित्सा के लिए सरकारी स्तर पर सिर्फ मृत्युशाला है। निजी चिकित्सालय सरकारी अधिकारीयों, नेताओं के संरक्षण में पलता, पनपता है जहाँ आम मतदाताओं के लिए न कोई वेदना है और न ही कोई संवेदना।

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बहरहाल, बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान तो अब तक नहीं हुआ है, लेकिन निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। ​नेतागण कोई इधर से उधर जाने  कोई उधर से इधर आने लगे हैं। पटना के डाकबंगला  घमासान है कि राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख नेता रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी के वर्तमान नेता के अधीन कार्य नहीं करना चाहते। सूत्रों का कहना  है कि “लालू में लाखों दोष थे, आज भी हैं लेकिन दसकों से लालू का साथ दिए, उम्र का सम्मान उन्होंने किये, शिक्षा का भी सम्मान किये (रघुवंश प्रसाद एक   शिक्षक थे) – लेकिन नए खून के साथ बुढ़ापा वाला खून, सोच-विचार का तालमेल नहीं होगा। इसलिए बेहतर है खुद ही किनारे हो जाएँ, इज्जत के साथ।” वैसे इस बात से इंकार भी नहीं कर सकते की रघुवंश बाबू नीतीश बाबू के नजर में बहुत सम्मानित पुरुष हैं, इसलिए नितीश  बाबू को भी वे नकार नहीं सकते अगर घर बुला लें।”

​बहरहाल, चुनाब आयोग  नई पंजीकृत पार्टियों को चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया गया है, जिसमें किसी को माचिस मिली है तो किसी को नाव।​ केन्द्रीय चुनाव आयोग ने कई अन्य छोटे दलों को भी चुनाव आयोग ने ​चुनाब-चिन्ह जारी किया ​है। ​​हालांकि अभी कई और दलों ने चुनाव चिह्न के लिए आयोग में आवेदन दिया है, जिसका चुनाव चिह्न मिलना बाकी है।​ वैसे  यहां राजनीति अब करवटें लेने लगी ​क्योंकि पिछले दिनों विधान परिषद की नौ सीटों पर चुनाव से ठीक पहले विपक्षी पार्टी राजद में भूचाल आ गया ​था। राष्ट्रीय जनता दल के आठ में ​से पाँच विधान पार्षदों ने एक अलग समूह बनाकर पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया और सत्तारूढ़ दल ​जनता दल युनाइटेड में शामिल हो ​गए। ये हैं –  राधाचरण साह, रण विजय सिंह, दिलीप राय, कमरे आलम और संजय ​प्रसाद। इतना ही नहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी अपने पद से इस्तीफ़ा दे ​दिया। 

​कहा जा कि वे उनकी आपत्ति के बावजूद भी रामा सिंह जैसे आपराधिक छवि वाले आदमी को पार्टी में शामिल कर लिया ​गया। रघुवंश प्रसाद सिंह ने पिछले महीने 28 मई को एक ट्वीट भी किया था जिसमें उन्होंने लिखा था, “बिहार में सत्ता के संरक्षण में अपराध का खेल चल रहा ​है। राज्य में अपराधी बेख़ौफ़ हो चुके ​हैं। गोपालगंज में जेडीयू के नेता पुलिस प्रसाशन को खुली चुनौती दे ​रहे। बिहार में बढ़ते अपराध के ख़िलाफ़ बड़ा आंदोलन शुरू होगा और यह आंदोलन सरकार को हटाने तक ​चलेगा। “​ वैसे इस  बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि ​ रघुवंश प्रसाद सिंह भी पार्टी छोड़कर जदयू में शामिल हो​ जाएँ। 

ज्ञातब्य हो की बिहार विधान सभा का वर्तमान कार्य-काल आगामी 29 नबम्बर को समाप्त होने जा रहा है। इसलिए स्वाभाविक है कि चुनाब से सम्बंधित सभी कार्य शीघ्रातिशीघ्र समाप्त करने होंगे। जाहिर है कि अगर नियत समय पर चुनाव होते हैं तो अधिसूचना सितंबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह में ही जारी करने होंगे। अब बिहार विधानसभा 2020 के चुनाव कितने फेज में होंगे यह देखना दिलचस्प होगा। क्योंकि कोरोना महामारी के वजह से इस बार का चुनाव काफी अलग तरीके से कराने होंगे।

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उम्मीद है कि चुनाब आयोग शीघ्र ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाने जा रहा है। जिसमें सभी दलों से समय पर चुनाव को लेकर बात की जाएगी और कोरोना संक्रमण काल में किस तरह की व्यवस्था हो इस पर विचार किया जाएगा।  कोरोना की वजह से 25 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों की घर वापसी हुई है जो  आगामी चुनाब का निर्णायक  भी सकते हैं। वैसे बिहार में 7 करोड़ 18 लाख वोटर हैं और 73 हजार बूथ हैं जिसमें हर बूथ पर करीब 1000 मतदाता हैं। हर बूथ पर सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना होगा, तैनात सुरक्षाकर्मियों के लिए भी सावधानी बरतनी होगी। इसलिए यह तय करना चुनौती भरा काम होगा कि क्या बूथ पर हजार लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था कराते हुए मतदान करायी जाए या संख्या के आधार पर वहां बूथ बढ़ा दी जाए। फिलहाल निर्वाचन विभाग की ओर से आमतौर से एक बूथ पर 1000 मतदाताओं को रखा जाता है। उसे दो हिस्सों में भी बांटा जा सकता है ताकि उस बूथ पर भीड़ ना लगे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा सके।

इधर नितीश बाबू भी “खुब्बे नेताओं को पार्टी का स्पोक्समैन” बना रखे हैं। जिसको जहाँ मौका मिलता है, जनता दल युनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्य मन्त्री नितीश बाबू का रेरमपेल बड़ाई करते नहीं थकता ।  हो भी क्यों नहीं ! एक तो कोरोना और दूसरा चुनाब का समय। लगता है पार्टी के तरफ से “व्हिप” जारी किया गया हो, प्रचार-प्रसार के लिए नहीं तो आगामी विधान सभा चुनाब में “लिहन टिकट” !!!

और ट्वीटर बाबू तो और स्थिति को भयावह कर देते हैं। क्या मुख्य क्या डिप्टी और क्या संत्री, ट्वीटर पर सब रेरमपेल किये होते हैं। जानते हैं काहे – 1.5 जीबी इंटरनेट 24 x 7 मुफ्त चाहे कोई कनेक्शन लीजिये, कहीं से कनेक्ट हो जाइए। लेकिन ध्यान रहे – अपनी पार्टी की भरपूर बड़ाई और विपक्ष के भरपूर कुटाई । ​ अब देखिये न बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एवं उनकी पत्नी राबड़ी देवी के काेराना काल में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जी उड़ाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जनता के बीच जाने की सलाह पर कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या राजद श्री कुमार के संक्रमित होने की कामना कर रहा है।  

मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट किया, “जब कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हर किसी को घर से काम करने के लिए कहा जा रहा है और लॉकडाउन की अवधि बढ़ानी पड़ी है, तब मुख्यमंत्री श्री कुमार सहित सभी जिम्मेदार लोग नियमों का पालन कर रहे हैं । दूसरी ओर, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी रोज श्री कुमार को शारीरिक दूरी मिटा कर जनता के बीच जाने की सलाह दे रहे हैं ।   

इधर, जदयू ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव का नाम लिए बगैर राज्य के लोगों को किसी अज्ञानी नेता के पीछे खड़े होने से बचने की सलाह देते हुए कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले पंद्रह वर्ष में प्रदेश का जो विकास हुआ वह किसी अजूबे से कम नहीं है। ऊर्जा मंत्री एवं जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र प्रसाद यादव ने शनिवार को ऑनलाइन माध्यम से पार्टी के विधान सभावार ऑनलाइन सम्मेलन के पहले दिन किशनगंज जिले के बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज और पूर्णिया जिले के अमौर विधानसभा क्षेत्र के जदयू नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “राज्य के कोने-कोने से कुछ घंटे में पटना पहुंचने के लिए फोर लेन सड़क और पुल, गांव-गांव में पक्की सड़कों का विस्तार, हर गली का पक्कीकरण, घर-घर नल का जल, हर घर में बिजली, पूरे राज्य में जगह-जगह पावर ग्रिड, आप यदि पंद्रह साल पहले के बिहार को याद करें तो सिर्फ 15 वर्षों में इतना सबकुछ हो जाना किसी अजूबा से कम नहीं लगेगा।”

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उधर, बिहार की मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने नीतीश सरकार पर राज्य में कोरोना संक्रमितों के आंकड़े छुपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि तेजी से फैल रहे संक्रमण से इस बात की प्रबल संभावना है कि बिहार कोविड -19 का राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक हॉटस्पॉट बनने की ओर अग्रसर है।  यादव ने  माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर हिंदी और अंग्रेजी में ताबड़तोड़ पांच ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने कहा, बिहार में एक दिन में रिकॉर्ड 2226 नये पाॅजिटिव मिले और संक्रमण की दर 21.7 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो देश का उच्चतम स्तर है। यह अखबार की हेडलाइन न बने इसके लिए कोरोना संक्रमण के वास्तविक वास्तविक आंकड़े छुपाये जा रहे हैं। प्रतिदिन आधे आंकड़ों का प्रकाशन किया जा रहा है। यादव ने कहा कि बिहार में जिस हिसाब से मामले बढ़ रहे हैं, यदि प्रतिदिन 30-35 हजार सैंपल की जांच हो तो रोज चार से पांच हजार नए पॉजिटिव मिलेंगे और संक्रमण के मामले में बिहार देश में शीर्ष पर पहुंच जायेगा। उन्होंने कहा, इस बात की प्रबल संभावना है की बिहार कोरोना का राष्ट्रीय हॉटस्पॉट ही नहीं बल्कि ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने की ओर अग्रसर है। कितना छुपाओगे ?

बहरहाल, स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में 17 जुलाई को 739 नये लोग संक्रमित हुए हैं, जिनमें पटना जिले में सबसे अधिक 137 लोग शामिल हैं। इसके बाद मुजफ्फरपुर में 85, नालंदा में 52, रोहतास में 45, पश्चिम चंपारण में 43, भागलपुर में 40, सारण में 39, पश्चिम चंपारण में 34, समस्तीपुर में 29, गया में 28, बक्सर में 26 और सुपौल में संक्रमण के 21 नये मामले सामने आए हैं। इसी तरह लखीसराय में 17, शेखपुरा और वैशाली में 14-14, सहरसा में 11, अरवल में 10, बांका, बेगूसराय, मधेपुरा और मुंगेर में नौ-नौ, भोजपुर और जहानाबाद में आठ-आठ, मधुबनी और सीवान में सात-सात, दरभंगा में छह, गोपालगंज और सीतमाढ़ी में पांच-पांच, पूर्णिया में चार, शिवहर में तीन, नवादा में दो तथा कैमूर में एक समेत 739 व्यक्ति के काेविड-19 की चपेट में आने की पुष्टि हुई है। इनमें झारखंड के चाईबासा और गुमला के एक-एक व्यक्ति का सैंपल पटना में लिया गया है।  विभाग ने बताया कि 16 जुलाई को बिहार में 928 नये पॉजिटिव मिले जिससे राज्य में कुल संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 24967 हो गया है। हालांकि विभाग से 16 जुलाई के 928 संक्रमितों का जिलावार विवरण अप्राप्त है।  


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