आपको याद है ‘बुड्ढा होगा तेरा बाप’ सिनेमा का वह गीत “गो-मीरा-गो” – काश !! देश के लोग स्वास्थ्य मंत्रालय में सरकारी पैसों का लूट नहीं हो, थाली, कटोरी, लोटा पीटते – हज़ारों-हज़ार लोग तो नहीं मरते

फोटो: फाइनेंसियल एक्सप्रेस के सौजन्य से 
फोटो: फाइनेंसियल एक्सप्रेस के सौजन्य से 

“बुड्ढा होगा तेरा बाप” सिनेमा का यह गीत “गो-मीरा-गो” भी अमिताभ बच्चन साहेब गाये थे और कोरोना वायरस के खिलाफ जागरूकता के क्रम में “हाथ” धोने के लिए, “नाक-मुंह ढंकने के लिए”, दूरियां बनाये रखने के लिए भारत के लोगों को अमिताभ बच्चन साहेब ही कह रहे हैं टीवी पर, रेडियो पर – तभी तो “गो कोरोना गो” एप्स का भी नामकरण हो गया। 

लगता है पिछले दो वर्षों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बजट आवंटन में जो इजाफ़ा किया गया वह चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं विकास के वजाय इस क्षेत्र में कार्य करने वाले मेडिकल माफिआओं के लिए ज्यादा लाभदायक सिद्ध हुआ, नहीं तो विश्वव्यापी कोरोना वायरस से निबटने के लिए भारत का स्वास्थ जगत 24 x 7 तैयार रहता और देश में अब तक 6,642 लोग अन्तिम-सांस लेने वालों की सूची में दर्ज नहीं हुए होते।   

वैसे देश के नेता लोग दिल्ली सहित अपने-अपने राज्यों में इस बात को लेकर थाली-कटोरी-लोटा-ढ़ोल और अन्य बजने के सामग्रियां पीट रहे हैं कि भारत इटली को पीछे छोड़कर कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से सबसे बुरी तरह से प्रभावित दुनिया का छठा देश है, न की पहला । देश में पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा 9,887 नए मरीज सामने आने के साथ ही कोविड-19 के मामले 2,36,657 हो गए हैं।  

इधर,  कोविड-19 से निपटने के लिए आईआईएससी, आईआईटी ने मोबाइल ऐप विकसित किया है । इन एप्स का नाम सुनकर पूरी जगन्नाथ द्वारा निदेशित “बुड्ढा होगा तेरा बाप” फिल्म का वह गीत याद आ गया – गो मीरा गो – जिसे अमिताभ बच्चन गाते हैं।  वैसे भी इस गाने में और कोरोना वायरस के एक विज्ञापन में जबरदस्त समानता है। विज्ञापन भी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी है और इसे भी अमिताभ बच्चन साहेब ही प्रचारित करते हैं – हाथ धोते हुए, नाक-मुंह ढंकने के लिए लोगों को जानकारी देते हुए।   

1  फरवरी 2018 को दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत की घोषणा हुई थी। इसकी पहली सालगिरह पर नरेंद्र मोदी की सरकार ने अंतरिम बजट के जरिए एक और उपहार देश को दिया । स्वास्थ्य बजट में करीब ढ़ाई गुना बढ़ोत्तरी करते हुए आयुष्मान भारत को 2400 से बढ़ाकर 6400 करोड़ रुपये देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब यह आयुष्मान भारत देश के लोगों को बेहतर स्वास्थ-सुविधाएँ  प्रदान करने में सक्षम होता है अथवा स्वास्थ सुविधाओं को दिवंगत बनता है, यह तो समय बताएगा – लेकिन पिछले मार्च महीने से देश में कोरोना वायरस से निबटने  में जिस तरह स्वास्थ क्षेत्र की भूमिका रही है, शीघ्र ही दिवंगत होने का संकेत दे रहा है।     

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वैसे ढोल पीटने वालों का मानना है कि स्वास्थ के क्षेत्र में पहली बार  61 हजार करोड़ रुपये का बजट है।  ज्ञातब्य हो की 2018-19 में स्वास्थ्य के लिए 52800 करोड़ रुपये के बजट में 54302 करोड़ रुपये खर्च किए थे। लोगों ने तो यहाँ तक मान लिए हैं कि स्वास्थ्य बजट में बढ़ोत्तरी से अगले चुनाब तक सकल घरेलू उत्पाद के 1.15 फीसदी से बढ़ाकर 2.5 फीसदी करने का लक्ष्य है। अब ऐसे सोच रखने वालों को कैसे बताया जाय की देश कोरोना वायरस का चीन आयात होने के बाबजूद, आज भी भारतीय बाजार चीनी-वस्तुओं से भरा-परा है और व्यवसायी तो हैं ही, जिनके लिए :

टका धर्म टका कर्म , टकैव परम॰ सुखम् ।
यस्य गेहे टका नास्ति , हा टके टक टकायते ॥
  

एक रिपोर्ट के अनुसार : आयुष्मान भारत पर 6400 करोड़ रुपये खर्च की योजना में सालाना 5 लाख रुपये का बीमा देने वाली इस योजना के तहत 1300 पैकेज के उपचार की कीमतों में वृद्धि  हो सकती है। बताया जा रहा है कि अभी तक निजी अस्पतालों को मिल रही पैकेज की कीमतें केंद्र सरकार के सीजीएचएस सेवाओं से भी 50 फीसदी कम हैं। वहीं अन्य राज्यों में संचालित स्वास्थ्य योजनाओं से भी कई गुना कम दाम आयुष्मान भारत में मिल रहे हैं। इसी माह होने वाली बैठक में इस पर अंतिम फैसला भी लिया जाना है। चूंकि लंबे समय से निजी अस्पतालों की शिकायत है कि आयुष्मान भारत के तहत उन्हें उपचार के लिए मिलने वाली राशि बेहद कम है। इसलिए सरकार अब सरकारी दरों से ज्यादा उपचार का भुगतान कर सकती है। ताकि मैक्स, अपोलो, फोर्टिस, वुकहार्ट, जैसे बड़े अस्पताल भी इसके दायरे में आ सकें।     

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दिल्ली के एक ग्रेवयार्ड का दृश्य: एक चिकित्साकर्मी (जीवित) – दूसरा : एम्बुलेंस (निर्जीव) और तीसरा: कोरोना वायरस के कारण एक पार्थिव शरीर, जो कुछ पल पहले तक जीवित था। फोटो: सज्जाद हुसैन /एएफपी के सौजन्य से 

इधर, अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालयों के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका, ब्राजील, रूस, स्पेन और ब्रिटेन के बाद कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत अब छठे स्थान पर आ गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में 1,15,942 संक्रमित मरीजों का उपचार चल रहा है जबकि 1,14,072 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और एक मरीज देश से बाहर जा चुका है।

बहरहाल, पीटीआई/भाषा के एक रिपोर्ट के अनुसार: दुनियाभर में कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं और कई जगहों पर इसके लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। भारत में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सहायता के लिए आईआईएससी, बेंगलुरु और चार आईआईटी ने ‘‘गो कोरोना गो’’ से लेकर ‘‘संपर्क-ओ-मीटर’’ तक कई मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किए हैं। आईआईएससी की एक टीम ने ‘‘गो कोरोना गो’’ ऐप विकसित किया है, जो कोविड-19 के संदिग्धों के संपर्क में आये लोगों की पहचान करने में मदद कर सकता है।

आईआईएससी के एक संकाय सदस्य तरुण रंभा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ऐप ब्लूटूथ और जीपीएस का इस्तेमाल करके कोविड-19 से संक्रमितों या संदिग्धों के संपर्क में आये लोगों की पहचान करने में मदद करेगा। यह दूर के संपर्कों से भी जोखिम की प्रवृत्ति को समझने के लिए अस्थायी नेटवर्क एनालिटिक्स का उपयोग करता है। इसके साथ ही यह ऐप बीमारी के प्रसार का आकलन करने और उन लोगों की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिनके वायरस की चपेट में आने की आशंका है।’’ 

आईआईटी रोपड़ के एक बीटेक छात्र ने ‘‘संपर्क-ओ-मीटर’’ नामक एक मोबाइल ऐप विकसित किया है, जो मानचित्र के जरिये कोरोना वायरस के अधिकतम संक्रमण की आशंका वाले वाले क्षेत्रों को इंगित कर सकता है।​ ​ इस ऐप को विकसित करने वाले छात्र साहिल वर्मा ने कहा, ‘‘ऐप विभिन्न कारकों पर विचार करने के बाद एक ‘जोखिम स्कोर’ उत्पन्न करता है और लोगों को एहतियाती उपाय करने के लिए सचेत कर सकता है, जिसमें खुद को पृथकवास में रखना या किसी डॉक्टर से संपर्क करना भी शामिल है। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को कोरोना संपर्क जोखिम रेटिंग का अनुमान लगाने की सुविधा प्रदान करेगा।’’ 

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इसी तरह, आईआईटी बंबई के छात्रों और पूर्व छात्रों की एक टीम ने ‘‘कोरोनटाइन’’ नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है जो कोरोना वायरस के लक्षण वाले या वायरस के संपर्क में आये संदिग्ध लोगों को ट्रैक करने में मदद करेगा। अगर कोई व्यक्ति अपने पृथकवास से बाहर निकलता है तो ऐसे में इस ऐप के जरिये उस व्यक्ति का पता लगाया जा सकता है।

आईआईटी दिल्ली में छात्रों ने भी कोविड-19 के पीड़ितों के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों का पता लगाने में मदद करने के लिए एक ऐप बनाया है।​ संस्थान के डिजाइन विभाग में पीएचडी के छात्र अरशद नासर ने कहा, ‘‘ब्लूटूथ का उपयोग करके एप्लिकेशन उन सभी व्यक्तियों को ट्रैक और अलर्ट करेगा जो पिछले दिनों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आया हो, या उसके आसपास से गुजरा हो। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की तारीख और क्षेत्र का भी ऐप के जरिये पता चल जाएगा।’’ 

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर कमल जैन ने एक ट्रैकिंग ऐप विकसित किया है जो कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक निगरानी प्रणाली को मजबूत कर सकता है।​ 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 166 हो गई और संक्रमितों की कुल संख्या 5,734 हो गई है। मंत्रालय ने बताया कि अब भी 5,095 लोग संक्रमित हैं जबकि 472 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है तथा एक व्यक्ति देश छोड़कर चला गया है।

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