बस नम्बर DL 1PC 0149 के चार ‘हवसी’ जिसने निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया था, 22 जनबरी को फाँसी पर चढ़ेंगे  

भारतीय न्यायिक व्यवस्था और न्यायपालिका में निःसहाय लोगों का विस्वास

सात-साल बाद ही सही, निर्भया की मृत्यु भी हो गयी हो – चलेगा लेकिन दोषी को “नहीं चलना चाहिए” – आज दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट चार दोषियों के खिलाफ जारी “डेथ-वारण्ट” इसका ज्वलंत उदहारण है। इन सभी चार दोषियों को आगामी 22 जनबरी, साल 2020 को सुवह 7 बजे फांसी पर लटकाया जायेगा। न्यायालय के इस निर्णय से भारतीय न्यायिक व्यवस्था और न्यायपालिका में निःसहाय लोगों का विस्वास पुनः स्थापित होगा।

करीब सात साल बाद निर्भया को इंसाफ मिला। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आज चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया है। एडिशनल सेशन जज सतीश कुमार अरोड़ा ने फैसला सुनाया है। सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी दी जाएगी। जिस वक्त कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, उस समय कोर्ट रूम में सिर्फ जज, जेल के अधिकारी और वकील ही मौजूद थे।   

दोषियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई। दोषी विनय को जेल नम्बर- 4 से और बाकि तीन दोषियों मुकेश, पवन तथा अक्षय को जेल नम्बर- 2 पेश किया गया। पेशी के दौरान ही मीडिया को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बाहर कर दिया गया था।​ज्ञातब्य हो की सर्वोच्च न्यायालय में क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करने के लिए तय किया गया समय पहले ही खत्म हो चुका था और अब निर्भया को इंसाफ मिलने का इंतजार भी खत्म हो गया। 14 दिन बाद 22 जनवरी को दोषियों को फांसी दे दी जाएगी।

​निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड के छह आरोपी थे। कोर्ट ने चार मुजरिमों को फांसी की सजा सुना रखी है। एक नाबालिग मुजरिम को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र भेजा हुआ है और छठें मुजरिम ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी।

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​ज्ञातब्य हो की 16 दिसंबर, 2012​ को बस का नम्बर था DL 1PC 0149 ​से निर्भया और उसके दोस्त सफर कर रहे थे। दोनों दिल्ली के मुनिरका का बस स्टॉप​ पर बस में सवार हुए । वो नहीं जानते थे कि दिल्ली की बरसती सर्द ठंड ने बस में पहले से मौजूद लोगों के अंदर वाले इंसान को जमा दिया है। एक नाबालिग समेत बस में मौजूद छह लोगों ने निर्भया को अपनी हवस को शिकार बनाया और उसके साथ बर्बरता की। निर्भया के दोस्त को पीटा, और फिर दोनों को महिपालपुर के पास सड़क किनारे छोड़कर चले गए।

निर्भया का दोस्त राहगीरों से मदद मांगता रहा लेकिन बड़े शहर के छोटे चरित्र ने उनकी बेबसी और लाचारगी को दरकिनार कर दिया। थोड़ा वक्त बीता तो मौके पर पुलिस पहुंची, जिसने निर्भया को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। आप यकीन मानिए जितने आसान शब्दों में ये बात लिखी गई है, उतना ही भयंकर वो दृश्य था, जिसे हमने लिखने से छोड़ दिया। निर्भया ने हादसे के 13 दिन बाद सिंगापुर के एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया था। उस वक्त निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए पूरी दिल्ली सड़कों पर आ गई थी।

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