दरभंगा “ऐम्स” के निर्माण में राज-परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण, अब समय पर चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित होगा, कोई रोयेगा नहीं 

दरभंगा राज के सम्मानित सदस्य पीपीई प्रदान करने करते हुए 
दरभंगा राज के सम्मानित सदस्य पीपीई प्रदान करने करते हुए 

विगत दिनों दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डॉ एच.एन. झा ने कहा की दरभंगा राज परिवार और महाराजा कामेश्वर सिंह चेरिटेबल ट्रस्ट के अथक परिश्रम के कारण भी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे अत्याधुनिक उपकरणों और मशीनों से युक्त दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ”ऐम्स” जैसी चिकित्सा सुविधा मरीजों को शीघ्र मिलने का आसार है। ​

डॉ झा ने कहा की आने वाले समय में ​दरभंगा और आस-पास के इलाके में रहने वाले कोई भी व्यक्ति, कोई भी मरीज “चिकित्सा असुविधा कारण रोयेगा नहीं। अब किसी के आंसू नहीं बहेंगे।” उन्होंने यह भी अपेक्षा किये की इलाके में पर्याप्त और बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने हेतु स्थानीय लोगों का भी भरपूर सहयोग मिलेगा।  

पिछले दिनों ​ महाराजा कामेश्वर सिंह चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री राजेश्वर सिंह और श्री कपिलेशर सिंह द्वारा  दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को दो ए वी जी मशीन उपलब्ध कराये गए। इन मशीनों के अलावे, राज परिवार की ओर से 125 पीपीई भी प्रदान किये गए ताकि दरभंगा और आस-पास के इलाके से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तक्षण जांच कर उचित इलाज किया जा सके।  

राजेश्वर सिंह और श्री कपिलेशर सिंह राजकुमार शुभेश्वर सिंह के​ पुत्र हैं । ​दोनों भाईयों ने स्थानीय प्रशासन को विस्वास दिलाया है कि राज परिवार सदैव यहाँ की लोगों की सेवा में तत्पर रहा है, रहेगा। ​

एक अवसर पर श्री राजेश्वर सिंह रक्तदान  करते हुए ​. फोटो सौजन्य: जागरण 

​सूत्रों के अनुसार दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पाताल  राज्य का तीसरा व उत्तर बिहार का पहला स्वायत्त मेडिकल कॉलेज होगा। पटना में एम्स व आईजीआईएमएस पहले से स्वायत्त मोड पर चल रहे हैं। राज्य में अभी आठ सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। इनमें पीएमसीएच व एनएमसीएच पटना, डीएमसीएच दरभंगा, एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर, एएनएमएमसीएच गया, जेएलएनएमसीएच भागलपुर, जीएमसीएच बेतिया व वर्द्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी शामिल हैं।​​

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​ज्ञातब्य हो की केंद्र सरकार दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय को ऐम्स जैसी चिकित्सा सुविधा से लैश करने जा रही है ​और इसके लिए लगभग 202 एकड़ जमीन का अधिग्रहण से सम्बंधित सभी कार्य पुरे कर लिए गए हैं। बिहार प्रदेश का यह दूसरा एम्स ​होगा।   दरभंगा​ चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल में अभी 97 ​डॉक्टर्स और 347 पारा मेडिकल एवं अन्य​ कर्मी कार्य करते हैं।

पटना एम्स के बाद दरभंगा में राज्य का दूसरा एम्स बनाने के लिए आधारभूत संरचना समेत अन्य सभी संसाधनों का ब्योरा राज्य सरकार केंद्र को उपलब्ध करा रही है। फिलहाल यहां एमबीबीएस की 100 और पीजी (डिप्लोमा/डिग्री) की 143 सीटें हैं। यही नहीं डीएमसीएच परिसर में ही पारा मेडिकल की पढ़ाई भी होती है, जिसमें 163 छात्र-छात्राओं का नामांकन होता है।  

गौरतलब है कि राज परिवार ने पहले भी कई बड़े काम किए हैं। तत्कालीन दरभंगा महाराजा रामेश्वर सिंह ने वर्ष 1925 में स्कूल मेडिकल टेंपल की स्थापना की थी। अंग्रेज गवर्नर को छह लाख रुपये दिए थे। साथ ही 300 एकड़ जमीन खरीद कर दान में दी थी। महाराजाधिराज की वजह से ही डीएमसीएच का वर्तमान अच्छा है। वर्ष 1878 में लेडी डेफरीन के नाम पर राज अस्पताल का निर्माण कराया। यह अब महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह अस्पताल है। वर्ष 1934 के भूकंप में भवन ध्वस्त हो गया। इसके बाद महाराजधिराज कामेश्वर सिंह ने पुनर्निर्माण कराया।   

राज परिवार के सूत्र का कहना है कि बिहार ही नहीं, देश के लगभग सभी प्रदेशों में शिक्षा-चिकित्सा-उद्योग-संस्कृति के संरक्षण और विकास में दरभंगा राज की भूमिका अक्षुण रहा है। भारत का शायद ही कोई हिंसा ऐसा होगा जहाँ महाराजा  दरभंगा की ओर से, राज परिवार की ओर से मदद का हाथ नहीं बढ़ाया गया हो। सूत्रों अनुसार “मदद करना हमारी परम्परा रही है। हम  और हमारा परिवार सदैव यही चाहा है कि प्रदेश के लोग खुशहाल रहें, स्वस्थ रहें, शिक्षित रहे, अपनी-अपनी संस्कृति को पकड़कर रखें, सबों में एकता हो।”

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 ​दरभंगा के वरिष्ठ पुलिस  अधीक्षक  श्री बाबू राम 

इससे पहले, राजघराने के अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ​मशीनों से संबंधित कागजात ​जिलाधिकारी  डॉ. त्यागराजन एसएम को​ हस्तगत कराये ।​ जिलाधिकारी ने कहा ​कि राज दरभंगा का देश के प्रति महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरआर प्रसाद ने कहा कि दान में मिली एवीजी की एक मशीन कोरोना वार्ड की आइसीयू में इंस्टॉल करा दी गई है। दूसरी मशीन को इमरजेंसी वार्ड में इंस्टॉल कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके पूरी तरह से चालू होने पर यहां आने वाले मरीजों को बहुत फायदा होगा।  

राजेश्वर सिंह और कपिलेश्वर सिंह दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में बहुत तरह की सुविधाएँ मुहैय्या करना चाहते हैं ताकि यहाँ मरीजों को दर-दर भटकना नहीं पड़े। अभी यहां ओपीडी में औसतन 2500 मरीजों का प्रतिदिन इलाज होता है। दरभंगा और कोशी कमिश्नरी के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल से आने वाले मरीजों की भर्ती के लिए 1050 बेड की व्यवस्था है। इस मेडिकल कॉलेज को सुचारु रूप से संचालन के लिए डॉक्टरों के लिए 206 स्वीकृत पद हैं, जिनमें 97 कार्यरत हैं। उसी तरह नर्सों के स्वीकृत पद 1200 हैं, जिनमें 297 कार्यरत हैं। वहीं कर्मियों के स्वीकृत पद 120 हैं, जिनमें 50 कार्यरत हैं।

   

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