नई शिक्षा नीति 2020 : बचपन की देखभाल और शिक्षा, यानि 10+2 की जगह 5+3+3+4 का नया पाठयक्रम

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी - शिक्षा से नए भारत का निर्माण 
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी - शिक्षा से नए भारत का निर्माण 

* नई नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य

* एनईपी 2020 स्कूल से दूर रह रहे 2 करोड़ बच्चों को फिर से मुख्य धारा में लाएगा

* 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ नए 5 + 3 + 3 + 4 स्कूली पाठ्यक्रम

* पढ़ने-लिखने और गणना करने की बुनियादी योग्यता पर ज़ोर, स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच खास अंतर नहीं; इंटर्नशिप के साथ कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू

* कम से कम 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई

* समग्र विकास कार्ड के साथ मूल्यांकन प्रक्रिया में पूरी तरह सुधार, सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की प्रगति पर पूरी नज़र रखना

* उच्च शिक्षा में जीईआर को 2035 तक 50% तक बढ़ाया जाना; उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी

* उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता होगी

* उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ पाठ्यक्रम के बीच में नामांकन / निकास की अनुमति होगी

* ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना की जाएगी

* ठोस अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी

* उच्च शिक्षा के आसान मगर सख्त विनियमन, विभिन्न कार्यों के लिए चार अलग-अलग कामों पर एक नियामक होगा

* महाविद्यालयों को 15 वर्षों में चरणबद्ध स्वायत्तता के साथ संबद्धता प्रणाली पूरी की जाएगी

* एनईपी 2020 में जरूरत के हिसाब से प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर, राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच की स्थापनी की जाएगी

* एनईपी 2020 में जेंडर इंक्लूजन फंड और वंचित इलाकों तथा समूहों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना पर ज़ोर

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रूपांतरकारी सुधार के रास्ते खुल गए हैं। यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और यह 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी। सबके लिए आसान पहुंच,  इक्विटी,  गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है और इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना और प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।  

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से देश में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधार आएगा। यह नीति देश में अपनी तरह की सबसे बड़े परामर्श और चर्चा प्रक्रिया का परिणाम है। मसौदे को विचार-विमर्श के लिए सार्वजनिक तौर रखे जाने के बाद 2.25 लाख सुझाव मिले। इस नीति को लागू किए जाने के बाद भारत, दुनिया में ज्ञान के एक महान केंद्र और शिक्षा गंतव्य के रूप में उभरेगा।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। केंद्रीय मंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सभी छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और सभी हितधारकों को बधाई दी और कहा कि यह देश के लिए ऐतिहासिक पल है। उन्होंने आगे कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से देश में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पूरे भारत में उच्च गुणवत्ता वाली बच्चों की प्रारंभिक देखभाल और शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि हम सामाजिक क्षमताओं, संवेदनशीलता, अच्छे व्यवहार, नैतिकता, टीमवर्क और बच्चों के बीच सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

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केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने नई शिक्षा नीति को  भारतीय शिक्षा व्यवस्था के इतिहास में एक वास्तविक असाधारण दिन बताया है। अपने ट्वीट में श्री अमित शाह ने कहा कि यह स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों में आवश्यक ऐतिहासिक सुधार लाएगी। अपनी संस्कृति और मूल्यों को छोड़ कर दुनिया में कोई भी देश उत्कृष्ट नहीं बन सकता। इसका उद्देश्य सभी को भारतीय लोकाचार पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर ऐसी शिक्षा प्रणाली बनाना है जो भारत को फिर से वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बना सके”।    

यह 21वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है और यह शिक्षा पर चौबीस साल पुरानी राष्ट्रीय नीति (एनपीई), 1986 की जगह लेगी। पहुंच, निष्पक्षता, गुणवक्ता, वहनीय और जवाबदेही के मूलभूत आधारों पर निर्मित यह नीति सतत विकास को लेकर एजेंडा 2030 से जुड़ी हुई है और इसका उद्देश्य स्कूल और कॉलेज शिक्षा दोनों को अधिक समग्र बनाकर भारत को एक जीवंत ज्ञान वाले समाज और वैश्विक ज्ञान महाशक्ति में बदलना है। साथ ही इसका मकसद 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल, लचीला, बहु-विषयक और प्रत्येक छात्र की अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस देश के शैक्षिक इतिहास में सबसे व्यापक, परिवर्तनकारी और भविष्यवादी नीति का दस्तावेज है। यह नीति प्रत्येक और सभी के लिए गुणवत्ता और परिणाम-आधारित शिक्षा मुहैया कराने को लेकर किसी भी बाधा को मान्यता नहीं देती है। इसमें अब बच्चों को उनकी देखभाल और शिक्षा के लिए सबसे अधिक अहम वाले वर्षों के दौरान, यानी 3-5 साल को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि आलोचनात्मक सोच, अनुभवात्मक और अनुप्रयोग-आधारित शिक्षा, सीखने में लचीलापन, जीवन कौशल पर ध्यान केंद्रित करना, बहु-विषयक और निरंतर समीक्षा इस नीति की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं। 2 करोड़ स्कूल नहीं जाने वालों और ड्रॉप आउट बच्चों को वापस लाना और 3 साल से स्कूली शिक्षा का सार्वभौमिकरण ‘कोई भी पीछे न छूटे’ के दर्शन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन और नेशनल मिशन ऑन फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी कुछ ऐतिहासिक नीतियां हैं, जो हमारे शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को मौलिक रूप से बदल देगी।

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इधर शाह का कहना है कि “मोदी सरकार की ‘नई शिक्षा नीति 2020’ यह सुनिश्चित करेगी कि समाज के हर वर्ग के छात्रों तक उच्च शिक्षा पहुंचे और इसके लिए एक विशेष ज्वाइंट टास्क फोर्स बनाई जाएगी। उच्च शिक्षा में दाखिला लेने वालों की कुल संख्या बढ़ाने के लिए निरंतर कदम उठाए जाएंगे”।  नई शिक्षा नीति 2020’ में स्कूल शिक्षा में 5+3+3+4 व्यवस्था, 4 साल के नए कोर्सस की शुरुआत, सिंगल पॉइंट कॉमन रेग्युलेटरी सिस्टम, फीस स्थिरीकरण और बोर्ड नियामक व्यवस्था के अंतर्गत सामान्य मानक के साथ ही उच्च शिक्षा में मल्टिपल एंट्री और एक्ज़िट पॉइंट्स जैसी अनेक विशेषताएँ है।  

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने राष्ट्र को शिक्षा अद्भुत नीति दिए।    

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