लो भैय्ये !!! अब ‘टिड्डियों’ के लिए ‘थाली’ पीट रहे हैं, ‘हे टिड्डीजी !! आप दिल्ली की ओर कूच करें’, खिचड़ी वहीँ पक रहा है 

कहीं टीवी वाले, अखबार वाले इन टिड्डियों को भी
कहीं टीवी वाले, अखबार वाले इन टिड्डियों को भी "प्रवासी टिड्डियाँ" न कह दें क्योंकि ये तो और भी बेजुवान हैं 

लो भैय्ये !! अब टीवी वाले, अखबार वाले, सरकारी अधिकारीगण इन करोड़ों “टिड्डों” को किस “उपसर्ग” और “प्रत्यय” से अलंकृत करेंगे ? जल्दवाजी में इन्हे भी कहीं “प्रवासी टिड्डियाँ” न कह दें, क्योंकि “प्रवासी” शब्द तो कमजोर, निरीह, बेजुबानों के लिए ही है न। “सामर्थवान” को “प्रवासी” कहने की क्षमता तो उनमें नहीं है।

ये तो भारतीय श्रमिकों से भी अधिक बेजुवान हैं। बोल नहीं सकते। आपके नियम इन्हे श्रमिकों के तरह बाँध नहीं सकते। इन्हे आपके बस, ट्रक, हवाई जहाज, पानी जहाज या अन्य यातायात के साधनों की जरुरत भी नहीं है। ये आपके अधीन भी नहीं हैं। अपने नेता की बात मानते हैं। जिधर वे जाते हैं, लाखों-करोड़ों उन्मुख हो जाते हैं। 

आश्चर्य की बात तो यह है राजस्थान में, जहाँ अशोक गहलौत साहेब मुख्य मंत्री की कुर्सी पर आसीन हैं, उनके अधिकारी का कहना है  कि टिड्डियों का विशाल समूह पाकिस्तान से भारतीय सीमा में प्रवेश किया है। टिड्डियाँ भी पाकिस्तानी हो गयी। 

यह अलग बात है कि जिस तरह कोरोना वायरस के कारण भारत के लाखों-करोड़ों श्रमिक अपने-अपने कार्य-स्थलों को छोड़कर, जहाँ उन्हें मुद्दत से कार्य करने के बाद भी, न तो संरक्षण मिला, न भोजन मिले, न पैसे मिले, न जान बचने-बचाने के कोई विकल्प मिले; वैसे स्थिति में अपने-अपने गाँव की ओर उन्मुख हो लिए। रास्ते में प्रशासन के डंडे पड़े, प्रकृति की मार पड़ी. ईश्वर का अभिशाप मिला – लेकिन घर वापस आने का कोई विकल्प नहीं छोड़े, वापस आते गए – आते गए। 

लेकिन इन टिड्डियों के सामने क्या विकल्प है ? आखिर खाना तो इसे भी चाहिए।  

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बहरहाल, आज सुवह-सुवह राजधानी जयपुर के कुछ रिहायशी इलाकों में टिड्डियों की आवाजाही देखी गई जो बाद में दौसा जिले की ओर बढ़ गई। फिलहाल खेतों में कोई फसल खड़ी तैयार नहीं है इसलिए टिड्डियां पेड़ों को नुकसान पहुंचा रही हैं और भोजन की तलाश में दूर दराज के इलाकों की बढ़ रही हैं।

राज्य के कृषि आयुक्त ओम प्रकाश का कहना हैं कि टिड्डियों का खतरा राजस्थान के 18 जिलों में फैल गया है और वे भोजन की तलाश में तेजी से आगे की ओर बढ़ रही हैं। विगत दिनों टिड्डियां नागौर में थीं और कल जयपुर और आसपास के इलाकों में पहुँच गई। आज टिड्डियां आवासीय क्षेत्रों में देखी गई और जल्दी से दौसा की ओर बढ़ गई।

उन्होंने बताया कि खेतों की जमीन पर कोई खड़ी फसल नहीं है इसलिए टिड्डियां बड़े पेड़ों पर रह रहीं हैं और तेजी से आगे बढ़ रही हैं। टिड्डी नियंत्रण टीमों ने कल रात जयपुर में कीटनाशक का छिड़काव कर ऑपरेशन किया और आज टिड्डियों का बचा हुआ दल दौसा की ओर बढ़ गया है।

उधर, जोधपुर में केन्द्रीय टिड्डा नियंत्रण संगठन और राज्य कृषि विभाग टिड्डियों के हमले के मुद्दे पर समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। टिड्डों का ताजा हमला 11 अप्रैल को हुआ था जब कुछ टिड्डियों के दलों ने पाकिस्तान से गंगानगर में प्रवेश कर वहां कपास की फसलों को कुछ हद तक नुकसान पहुंचाया था। उसके बाद टिड्डियां राज्य के कई जिलों से होती हुई अब जयपुर में घुस गई हैं।

आमतौर पर पश्चिमी राजस्थान में टिड्डों के हमले से जिले प्रभावित होते हैं लेकिन इस बार टिड्डियों के दल दूर दराज के इलाकों में चले गए हैं और यहां तक कि भोजन की तलाश में जयपुर पहुंच गए क्योंकि उन्हें खड़ी फसलें नहीं मिली हैं। जयपुर के लोगों के लिए आवासीय कॉलोनियों में बड़ी संख्या में टिड्डियों का उड़ना असामान्य था।

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मुरलीपुरा और विद्याधर नगर क्षेत्र में कुछ लोगों को थालियां और अन्य सामान बजाकर टिड्डियों के दल को दीवारों और अन्य सतहों से भगाते हुए देखा गया। 

कृषि विभाग के निदेशक के अनुसार टिड्डों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए 200 टीमें मैदान में काम कर रही हैं और लगभग 800 ट्रैक्टरों में लगे स्प्रेयर का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टिड्डियों को भगाने के अभियान में अग्निशमन की गाड़ियों का भी उपयोग किया जा रहा है।

उनके अनुसार जमीन पर खड़ी फसलों नहीं होने के कारण बड़े पेड़ों पर बैठे टिड्डियों के दलों को हटाने के लिये वहां कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है और इसके लिये ट्रैक्टर पर पर लगे स्प्रेयर का उपयोग किया जा रहा है। किसानों को मुफ्त में कीटनाशक भी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार राज्य में लगभग 54000 हेक्टेयर क्षेत्र टिड्डियों से प्रभावित है और 40,000 हेक्टेयर क्षेत्रों में टिड्डियों के नियंत्रण के लिये अभियान चलाए गए हैं।  (पीटीआई/भाषा के सहयोग से) 

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