स्वर्ग से दिवन्गत वाजपेयी जी भी कहते होंगे “मोदीजी, यह अच्छी बात नहीं है – सोच बदलें”

​ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क पुल का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ​जहाँ उन्होंने दो पूर्व प्रधान मन्त्री का नाम भी नहीं लिया जिन्होंने इसकी बुनियाद रखे थे, राष्ट्रीय परियोजना बनाये थे ​
​ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क पुल का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ​जहाँ उन्होंने दो पूर्व प्रधान मन्त्री का नाम भी नहीं लिया जिन्होंने इसकी बुनियाद रखे थे, राष्ट्रीय परियोजना बनाये थे ​

“सोच बदलो – देश बदलेगा” का नारा ब्रह्मपुत्र नदी के इस नए पुल पर ध्वस्त हो गया

असम : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी असम के बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क पुल का उद्घाटन करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने विकास परियोजनाओं को लागू करने में ‘‘टालमटोल’’ की कार्य संस्कृति को बदल दिया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस दिन (२३ मई, २०१४) प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री पद का शपथ ग्रहण किये थे, इस पल का निर्माण का ७० फीसदी कार्य पूरा हो गया था।

उससे भी दुःखद बात यह है कि प्रधान मंत्री इस पुल के उद्घाटन में उन में से किसी भी पूर्ववर्ती प्रधान मन्त्रियों का नाम नहीं लिया – सिवाय अटल बिहारी बाजपेयी का) जिन्होंने इस पुल की बुनियाद रहे थे या फिर इस पुल को एक राष्ट्रीय परियोजना के रूप में स्वीकार किया था।

सोच बदलो – देश बदलेगा का नारा जिसे प्रधान मंत्री ने स्वयं दिया था, ब्रह्मपुत्र नदी के इस नए पल पर ध्वस्त हो गया । पद की गरिमा रखने के लिए पूर्व प्रधान मन्त्रियों का नाम लेने मात्र से मोदी छवि में चार-चाँद लग सकता था, परन्तु “इतनी तुच्छ सोच” ओह !!

अगर वित्त मंत्रालय, रेल मंत्रालय और प्रधान मंत्री कार्यालय की सुचना गलत नहीं है तो असम समझौता के बाद इस पुल की बुनियाद पड़ी जो उस समझौते का मुख्य हिस्सा था। इस पुल के निर्माण कार्य की स्वीकृति १९९७-९८ में भारत सरकार द्वारा की गयी। इस पल का निर्माण कार्य नौवीं पांच वर्षीय योजना में होनी थी।

इस पुल के निर्माण के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री एच डी देवेगौड़ा शिलान्यास किया था। परन्तु निर्माण कार्य सन २००२ में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। पांच वर्ष बाद, २००७ में तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने इस पुल को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में स्वीकार किया था जिसमे ७५ फीसदी खर्च वित्त मंत्रलय और २५ फीसदी खर्च रेल मंत्रालय को उठाना था।

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बहरहाल, देश के सबसे लंबे रेल सह सड़क पुल का असम के बोगीबील में उद्घाटन करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक निश्चित समय सीमा के तहत परियोजनाओं को पूरा किया जाना अब कागजों तक सीमित नहीं है बल्कि हकीकत बन गया है। 4.94 किलोमीटर लंबे पुल के उद्घाटन के मौके पर असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, रेल राज्य मंत्री राजन गोहैन और असम के वित्त मंत्री हिमंत विश्वशर्मा भी उपस्थित थे।

मोदी ने कहा, ‘‘अगर पहले की सरकारें परियोजनाओं को अटकाने के लिये जानी जाती हैं तो हमारी सरकार की पहचान परिवहन से कायाकल्प और भावी पीढ़ी की आधारभूत संरचना के लिये है। हमने 12 लाख करोड़ रुपये मूल्य की ऐसी सैकड़ों परियोजनाएं पायी हैं जो कई वर्षों से अटकी पड़ी थीं या उनका काम बेहद धीमा था। अगर वही रफ्तार जारी रहती तो अगली शताब्दी भी बीत जाती।’’

उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘आज ‘सुशासन दिवस’ के मौके पर मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमने ‘लटकाने भटकाने’ की कार्य संस्कृति को पूरी तरह बदल दिया है।’’ दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती सुशासन दिवस के तौर पर मनाई जाती है।

असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल को 1997-98 में मंजूरी दी गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। रक्षा सूत्रों के अनुसार यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर लड़ाकू विमानों के उतरने समेत रक्षा साजो-सामान को लाने-ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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रैली में मोदी ने कहा, ‘‘मिजोरम के तुइरियाल में पनबिजली परियोजना और सिक्किम हवाई अड्डा समेत कई परियोजनाएं पूरी की गई हैं। असम में भी इस तरह की कई अटकी हुई परियोजनाएं या तो पूरी हो गई हैं या पूरे जोर-शोर से काम चल रहा है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हम इस तरह की परियोजनाएं पूरी करने पर जोर दे रहे हैं। इस तरह का विकास पूर्वोत्तर की तस्वीर बदल देगा। अगर पूर्वोत्तर विकसित होता है तो समूचा भारत प्रगति करेगा।’

बोगीबील पुल को खोले जाने को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए उन्होंने कहा कि 2004 के लोकसभा चुनाव में राजग के हारने के बाद इस पुल का निर्माण समय पर पूरा करने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

मोदी ने इस पुल को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिये जन्मदिन का तोहफा करार देते हुए कहा, ‘‘अगर अटलजी को 2004 में दूसरा कार्यकाल मिला होता तो बोगीबील पुल 2008-09 तक तैयार हो जाता। दुर्भाग्य से, 2004 के बाद देश में कई अन्य परियोजनाओं की तरह यह परियोजना भी अटकी पड़ी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार से सबसे अधिक क्षति गरीबों और शोषित तबके को होती है। यह (भ्रष्टाचार) मध्य वर्ग पर सबसे बड़ा बोझ है। यह देश के विकास की रीढ़ तोड़ देता है–इसलिये पिछले साढ़े चार साल से हमारी सरकार भ्रष्टाचार और कालाधन से पूरी ताकत से लड़ रही है।’’

मोदी ने दावा किया कि उनकी सरकार ने भ्रष्ट लोगों के 5000 करोड़ रुपये मूल्य के मकान और कार जब्त किये हैं, 3.25 लाख से अधिक संदिग्ध कंपनियों के लाइसेंस रद्द किये हैं, पिछली सरकारों द्वारा दिये गए बैंकों के कर्ज के तीन लाख करोड़ रुपये वसूल किये हैं और मेडिकल सेवाओं में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिये कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘चार साल पहले कोई सोच नहीं सकता था कि हेलीकॉप्टर घोटाले का सबसे बड़ा आरोपी भारतीय जेल में होगा। हमारी सरकार ने उसे भारत लाया और साहस के साथ जेल में डाला। यह हमारी सरकार की कामकाज की शैली और हमारी कार्य संस्कृति है।’’

उन्होंने वस्तुत: अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा मामले में गिरफ्तार कथित बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल के संदर्भ में कही। मोदी ने कहा कि पुल समेत सभी रुकी हुई आधारभूत ढांचा परियोजनाएं तेज की गई हैं और 2014 से पूरी की जा रही हैं। मोदी ने कहा, ‘‘70 साल में पिछली सरकारों ने ब्रह्मपुत्र नदी पर सिर्फ तीन पुल बनाए। हालांकि, हमारी सरकार के साढ़े चार वर्षों में संपर्क में सुधार के लिये तीन और पुलों पर काम शुरू हो गया है। यह सुशासन है।’’

बोगीबील पुल को असम और अरूणाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों के लिये जीवन रेखा करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे दोनों राज्यों के बीच की दूरी 700 किलोमीटर से घटकर 200 किलोमीटर से भी कम हो जाएगी। साथ ही यात्रा में लगने वाला समय 24 घंटे से घटकर पांच से छह घंटे हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के पूरी तरह इस्पात से निर्मित एकमात्र पुल से भारत के रक्षा कौशल को मजबूती मिलेगी।(भाषा के सहयोग से)

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