नितीश कुमार मुजफ्फरपुर बालिका-गृह यौन उत्पीड़न का मामला सी बी आई को सौंप दिए, अब “ठंठा” हो जाएँ

नितीश कुमार, मुख्य मंत्री बिहार (फोटो न्यूज18)
नितीश कुमार, मुख्य मंत्री बिहार (फोटो न्यूज18)

पटना: अंततः बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने मुजफ्फरपुर जिला स्थित एक बालिका गृह की 29 बालिकाओं के यौन उत्पीड़न मामले की जांच सीबीआई से कराने की आज अनुशंसा कर दी है। सी बी आई के पास एक और फाईल पहुँच गया। मामला, बहरहाल, तत्काल तो ठंठा हो ही जायेगा। उत्पीड़ित बालिकाओं को “न्याय” मिलेगा अथवा नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

ऐसे कितने हज़ारों, लाखों मुकदमें भारतीय न्यायालयों में – जिला-सत्र न्यायलय से सर्वोच्च न्यायालय तक – दसकों से लम्बित पड़े हैं। सी बी आई, जिसके पास मुक़दमे लड़ने के लिए, अधिवक्ताओं को पैसे देने के लिए पैसे की किल्लत है, के पास ऐसे मुक़दमे कम नहीं हैं जो लंबित हैं। वैसे मुख्य मंत्री का कहना है कि प्रदेश में एक भ्रम का वातावरण बनाया जा रहा है जबकि उनकी सरकार निष्पक्ष जान के लिए प्रतिबद्ध है।

दो दिन पूर्व राज्य के पुलिस महानिदेशक के एस द्विवेदी ने कहा था, “मैं अपनी जांच से पूरी तरह संतुष्ट हूं । मुझे इसमें कोई खामी दिखाई नहीं दे रही है इसलिए नहीं लगता कि सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी द्वारा जांच किए जाने की आवश्यकता है।” मुख्य मंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है वैसे सरकार निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है परन्तु प्रदेश में प्रदेश में उत्पन्न भ्रम के वातावरण के कारण इस घृणित घटना की जांच सी बी आई करे, सरकार अनुशंसा करती है।

सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि भ्रम का वातावरण नहीं रहे, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और प्रधान सचिव गृह को तत्काल इस मामले को जांच के लिए सीबीआई के सुपुर्द करने की सिफारिश की है। इस मामले की तहकीकात निष्पक्ष ढंग से हो, इसके लिए विपक्ष इसकी सीबीआई से, उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग करता रहा है। यह मांग बिहार विधानमंडल के जारी मानसून सत्र के दौरान सदन के भीतर और बाहर लगातार उठी है।

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बिहार विधानमंडल और संसद में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा इस मामले को सदन में उठाए जाने तथा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक के एस द्विवेदी ने गत 24 जुलाई को कहा था, “मैं अपनी जांच से पूरी तरह संतुष्ट हूं । मुझे इसमें कोई खामी दिखाई नहीं दे रही है इसलिए नहीं लगता कि सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी द्वारा जांच किए जाने की आवश्यकता है।” गौरतलब है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि अगर राज्य सरकार मामले की सीबीआई जांच के लिए सिफारिश करती है तो उस पर विचार किया जाएगा। द्विवेदी का कहना है कि “बिहार पुलिस ऐसा महसूस नहीं कर रही है क्योंकि हम अपने अब तक के अनुंसाधन से संतुष्ट हैं।”

इस मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय में दो व्यक्तियों नवनीत कुमार और संतोष कुमार की जनहित याचिका की न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने का निर्णय किया है। इस पर खंडपीठ ने आज की सुनवाई स्थगित करते हुए आदेश दिया कि दोनों जनहित याचिकाओं की सुनवाई, पूर्व में निर्धारित की जा चुकी तारीख 9 अगस्त को होगी।

पटना उच्च न्यायालय में गत 9 जुलाई को यह मामला लिया गया था। तब सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा गया था। बहरहाल, यह मामला आज भी सूचीबद्ध था इसलिए इसे लिया गया। इस मामले को विपक्ष ने बिहार विधानमंडल के जारी मानसूत्र सत्र में बार बार उठाया और दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार बाधित हुई। स्तब्ध कर देने वाले इस मामले में जेल में बंद बालिका गृह के सीपीओ रवि कुमार रौशन की पत्नी ने समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा पर उक्त बालिका गृह जाने का कल आरोप लगाया और इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की थी ।

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रवि की पत्नी ने मंजू वर्मा के पति पर बालिका गृह में अपने साथ जाने वाले अधिकारियों को बाहर छोड़कर खुद अंदर जाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वहां की लडकियां उन्हें ‘नेताजी’ के तौर पर जानती थीं । मंत्री मंजू वर्मा ने अपने साथ फरवरी 2016 में पति के बालिका गृह जाने की बात स्वीकारते हुए कल कहा था कि इस प्रकरण को उजागर हुए करीब एक महीने बीत चुके हैं लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस की जांच के क्रम में इस तरह का आरोप किसी पर नहीं लगा। पर आज जब बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने वहां का दौरा किया तो साजिश के तहत मंत्री, मंत्री के पति और राज्य सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं।

बिहार विधानसभा की आज की कार्रवाई शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों फिर यह मामला उठाया। उन्होंने मंत्री मंजू वर्मा के पति का नाम आने का जिक्र किया और मामले की जांच सीबीआई द्वारा उच्च न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग की। बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने इस मुद्दे पर हंगामा कर रहे विपक्ष सदस्यों को शांत कराने का प्रयास किया। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक भोजनावकाश दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने आज आरोप लगाया कि इस मामले में समाज कल्याण मंत्री के पति के अलावा बिहार सरकार के एक अन्य मंत्री का नाम आया है। उन्होंने नाम लिए बिना कहा कि जिन्होंने हाल ही में पश्चिम बंगाल की यात्रा के क्रम में एक होटल में मारपीट की थी, उनका नाम क्यों छुपाया गया । उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के ‘चहेते’ हैं, और सुशील पर उक्त मंत्री को बचाने का दबाव है इसलिए हमलोग सीबीआई की जांच की मांग कर रहे थे ।

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मुजफ्फरपुर बालिका गृह में रही 44 लड़कियों में 42 की मेडिकल जांच कराए जाने पर उनमें से 29 के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। दो लड़कियों के बीमार होने के कारण उनकी जांच नहीं हो पायी है। पुलिस की जांच के दौरान वर्ष 2013 से बालिका गृह के अभिलेखों की छानबीन करने पर पता चला कि चार लड़कियाँ बालिका गृह से फरार हैं। ये लड़कियां माह नवम्बर—दिसम्बर 2013 में बालिका गृह में आयी थीं और माह दिसम्बर 2013 में ही फरार दिखायी गयी हैं। पुलिस इस तथ्य का सत्यापन कर रही है।

मुजफ्फरपुर बालिका गृह में एक बालिका गत 28 मार्च को आयी थी, पर उसके डिस्चार्ज की तिथि अभिलेखों में अंकित नहीं है। जांच में उसका पता लगा लिया गया है। वह मुजफ्फरपुर जिले में ही विवाह के उपरान्त अपने ससुराल में रह रही हैं।मुजफ्फरपुर बालिका गृह में तीन बालिकाओं के मृत होने की प्रविष्टियाँ बालिका गृह के अभिलेखों में दर्ज हैं। इसमें एक की तिथि 2015 एवं दो की तिथि 2017 है। इनका सत्यापन किया जा रहा है।

मुजफ्फरपुर बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों किरण कुमारी, मंजू देवी, इन्दू कुमारी, चन्दा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, विकास कुमार एवं रवि कुमार रौशन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है । एक अन्य फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के लिए इश्तेहार दिए गए हैं और कुर्की की कार्रवाई की जा रही है । (भाषा के सहयोग से)

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