![केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण 01 फरवरी, 2025 को नई दिल्ली में केंद्रीय बजट 2025 पेश करने के लिए वित्त राज्य मंत्री, श्री पंकज चौधरी और उनकी बजट टीम/वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नॉर्थ ब्लॉक से राष्ट्रपति भवन और संसद भवन के लिए प्रस्थान करती हुई।](http://www.aryavartaindiannation.com/wp-content/uploads/2025/02/Nirmala.jpg)
नई दिल्ली : भारत के सैकड़ों करोड़ लोगों का विश्वास जीतने वाला और सुन्दर, साफ़ धुलाई करने वाला ‘धड़ी’ डिटर्जेंट पाउडर के विज्ञापन में जिस तरह यह कहा जाता है कि “पहले इस्तेमाल करें – फिर विश्वास करें”, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण “पहले विश्वास करें, फिर जांच करें” के सिद्धांत पर आधारित और नरेंद्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते 2025-26 केंद्रीय बजट पेश की। साथ ही, मध्यम वर्ग पर भरोसा जताया है और आम करदाताओं को करों के बोझ से राहत दिलाने के रुझान को जारी रखा। श्रीमती निर्मला सीतारमण बजट पेश करते हुए सभी करदाताओं को लाभ पहुंचाने हेतु करों के स्लैब एवं दरों में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया।
करदाताओं को खुशखबरी देते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि “नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय (यानी पूंजीगत लाभ जैसी विशेष दर आय को छोड़कर एक लाख रुपये की औसत आय) पर कोई आयकर देय नहीं होगा। 75,000 रुपये की मानक कटौती के कारण वेतनभोगी आयकर दाताओं के लिए सीमा 12.75 लाख रुपये की होगी।” उन्होंने कहा कि स्लैब दरों में कटौती के कारण मिलने वाले लाभों के अलावा कर में छूट इस ढंग से प्रदान की जा रही है कि उनके द्वारा कर का कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
श्रीमती सीतारमण ने कहा, “नई कर संरचना मध्यम वर्ग के लिए व्यापक रूप से करों के बोझ को कम करेगी और उनके हाथों में ज्यादा धन उपलब्ध कराएगी, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।” नई कर व्यवस्था के तहत, वित्त मंत्री ने करों की दर संरचना में निम्नलिखित संशोधन का प्रस्ताव कियाः
कर सुधारों को विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण सुधारों में से एक के तौर पर रेखांकित करते हुए, श्रीमती सीतारमण ने कहा कि नया आयकर विधेयक ‘न्याय’ की भावना को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने बताया कि नई व्यवस्था करदाताओं एवं कर प्रशासन के लिए समझने की दृष्टि से सरल होगी, जिससे कर की सुनिश्चितता बढ़ेगी और मुकदमेबाजी में कमी आयेगी। थिरुक्कुरल के 542वें श्लोक को उद्धृत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “जैसे जीवित प्राणी वर्षा की आशा में जीते हैं, वैसे ही नागरिक सुशासन की आशा में जीते हैं।” कर सुधार लोगों एवं अर्थव्यवस्था के लिए सुशासन हासिल करने का एक साधन हैं। सुशासन प्रदान करने की प्रक्रिया में मुख्य रूप से जवाबदेही का समावेश होता है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कर संबंधी ये प्रस्ताव विस्तार से इस बात को दर्शाते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने नागरिकों द्वारा व्यक्त आवश्यककताओं को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए किस प्रकार कदम उठाए हैं।
बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से लघु, मध्यम और बड़े उद्योगों को शामिल करते हुए राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की स्थापना की जाएगी। यह केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों के लिए नीतिगत सहायता, निष्पादन कार्ययोजनाएं, शासन और निगरानी फ्रेमवर्क उपलब्ध कराएगा। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन 5 महत्वपूर्ण क्षेत्रों अर्थात् व्यवसाय करने की सुगमता और लागत; मांग वाली नौकरियों के लिए भावी तैयार कार्यबल; जीवंत और गतिशील एमएसएमई क्षेत्र; प्रौद्योगिकी की उपलब्धता और गुणवत्ता युक्त उत्पाद पर बल देगा।
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केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि यह मिशन स्वच्छ प्रौद्योगिकी विनिर्माण को भी सहायता प्रदान करेगा। इसका उद्देश्य घरेलू मूल्यवर्धन में पर्याप्त सुधार करना और सोलर पीवी सेल, ईवी बैटरी, मोटरों और कंट्रोलरों, इलेक्ट्रोलाइजरों, विंड टर्बाइनों, अत्यधिक वोल्टेज वाले ट्रांसमिशन उपकरण और ग्रिड स्केल बैटरियों का इकोसिस्टम तैयार करना होगा। वित्त मंत्री ने श्रम-सघन क्षेत्रों के लिए उपायों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार श्रम-सघन क्षेत्रों में रोजगार और उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट नीतिगत और सहायक उपाय करेगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के फुटवियर और लेदर क्षेत्र की उत्पादकता, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने हेतु फोकस उत्पाद स्कीम कार्यान्वित की जाएगी। केंद्रीय वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि इस स्कीम में लेदर फुटवियर और उत्पादों के लिए सहायता के अलावा बिना लेदर वाले गुणवत्तापूर्ण फुटवियर के उत्पादन हेतु आवश्यक डिजाइन क्षमता, घटक विनिर्माण और मशीनों के लिए सहायता दी जाएगी। इस स्कीम से 22 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलने, `4 लाख करोड़ का कारोबार और `1.1 लाख करोड़ से अधिक का निर्यात होने की उम्मीद है।
संसद में केन्द्रीय बजट पेश करते हुए भारत की विकास यात्रा के लिए ‘कृषि को प्रथम इंजन’ की संज्ञा देते हुए अन्नदाताओं के लाभ के लिए कृषि क्षेत्र के विकास और उत्पादकता में वृद्धि के लिए कई उपायों की घोषणा की। बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना के सरकार के निर्णय की घोषणा करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि मखानों का उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन में सुधार लाने के लिए बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन कार्यकलापों में लगे लोगों को एफपीओ में संगठित किया जाएगा। यह बोर्ड मखाना किसानों को पथ-प्रदर्शन और प्रशिक्षण सहायता उपलब्ध कराएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कार्य करेगा कि उन्हें सभी संगत सरकारी योजनाओं के लाभ मिले।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन का कार्यान्वयन किया जाएगा, जिसका उद्देश्य अनुसंधान परिवेश को बढ़ावा देना, उच्च पैदावार, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूलन के गुणों से संपन्न बीजों का लक्षित विकास और प्रचार करना तथा जुलाई 2024 से जारी किए गए बीजों की 100 से अधिक किस्मों को वाणिज्यिक स्तर पर उपलब्ध कराना होगा।उन्होंने कहा कि भविष्य में खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनों के साथ दूसरे जीन बैंक की स्थापना की जाएगी। यह सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों को अनुवांशिक अनुसंधान के लिए संरक्षण सहायता प्रदान करेगी।
कपास उत्पादकता के लिए अभियान की घोषणा करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस पंच-वर्षीय मिशन से कपास कृषि की उत्पादकता और वहनीयता में पर्याप्त सुधार लाने में मदद मिलेगी और कपास की अधिक लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा मिलेगा। किसानों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सर्वोत्तम सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। वस्त्र क्षेत्र के लिए हमारे 5एफ के समेकित विज़न के अनुरूप, इससे किसानों की आय बढ़ाने में सहायता मिलेगी और भारत के परंपरागत वस्त्र क्षेत्र में नई जान फूंकने के लिए गुणवत्तापूर्ण कपास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
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करीब 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के लिए लघु अवधि ऋणों की सुविधा उपलब्ध कराने में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की महत्ता का उल्लेख करते हुए मंत्री महोदया ने संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना के अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लिए जाने वाले ऋणों के लिए ऋण सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की घोषणा की। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक क्षमता के साथ एक उर्वरक संयंत्र की स्थापना की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस संयंत्र के साथ-साथ पूर्वी क्षेत्र में निष्क्रिय पड़े तीन यूरिया संयंत्रों में उत्पादन को पुनः प्रारंभ करने से यूरिया की आपूर्ति को और अधिक बढ़ाने के साथ-साथ उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने में सहायता मिलेगी।
समुद्री खाद्य निर्यात के मामले में 60 हजार करोड़ रुपये मूल्य के मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि के क्षेत्र में विश्व में भारत के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश का उल्लेख करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि समुद्री क्षेत्र की अप्रयुक्त संभावनाओं के द्वार खोलने के लिए, हमारी सरकार अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप जैसे द्वीपों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और गहरे समुद्रों से सतत मछली पकड़ने को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल फ्रेमवर्क लाएगी।
केन्द्रीय बजट 2025-26 में विकास को बढ़ावा के लिए सरकारी प्रयासों को जारी रखने, समग्र विकास को सुनिश्चित करने, निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने, परिवारिक भावनाओं को बढ़ाने और उभरते मध्यम वर्ग की व्यय क्षमता को बढ़ाने का वादा किया गया। इस बजट में प्रस्तावित विकास, उपाय गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी को ध्यान में रखकर किया गया है। बजट में भारत की विकास संभावनाओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि के लिए कराधान, ऊर्जा क्षेत्र, ग्रामिण विकास, खनन, वित्तीय क्षेत्र और नियामक में परिवर्तनकारी सुधारों का लक्ष्य रखा गया है।
केन्द्रीय बजट में रेखांकित किया गया है कि कृषि, एसएसएमई, निवेश और निर्यात विकसित भारत की यात्रा के ईंजन हैं। इसमें सुधार को ईंधन के रूप में और समावेशिता की भावना को पथप्रर्दशक के रूप में रखा गया है।
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पहला ईंजनः कृषि : बजट में राज्यों की भागीदारी के साथ ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’की गई है। इसके अंतर्गत 100 जिलों को शामिल किया गया है जहां उत्पादन में वृद्धि, फसल विविधता अपनाने, फसल कटाई के बाद भंडारण बढ़ाने, सिंचाई की सुविधाओं में सुधार करने, दीर्घ-अवधि और लघु-अवधि, ऋण की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने का लक्ष्य रखा गया। राज्यों की भागीदारी से एक व्यापक बहु-क्षेत्रीय ‘ग्रामीण सम्पन्नता और अनुकूलन निर्माण’ कार्यक्रम प्रारम्भ किया जाएगा। इससे कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि में कम रोजगार का समाधान होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी।इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक अवसरों का सृजन करते हुए जिसमें विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों, ग्रामीण युवाओं, सीमांत और छोटे किसानों और भूमिहीन परिवारों पर ध्यान देना है। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सरकार तूर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान के साथ दालों में आत्मनिर्भरता के लिए एक छह वर्षीय अभियान का शुभारंभ करेगी। केन्द्रीय एजेंसियां (नेफेड और एनसीसीएफ) अगले चार वर्षों के दौरान किसानों से मिलने वाली इन तीन दालों को अधिकतम स्तर पर खरीदने के लिए तैयार रहेंगे।बजट में सब्जियों और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम हेतु उपायों की भी अवधारणा तैयार की गई है। कृषि और इससे सम्बद्ध गतिविधियों को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहन देने के लिए इसमें अन्य उपायों के साथ कपास उत्पादकता के लिए एक पांच वर्षीय अभियान और उच्च पैदावार करने वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संशोधित ब्याज योजना के अंतर्गत किसान क्रेडिटों के माध्यम से मिलने वाले ऋण की सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की घोषणा की।
दूसरा इंजनः एमएसएमई : वित्त मंत्री ने विकास के लिए एमएसएमई को दूसरा शक्तिशाली इंजन बताया, क्योंकि यह क्षेत्र हमारे निर्यात का 45 फीसदी है। एमएसएमई को व्यापक स्तर पर उच्चतर कुशलता, तकनीकी उन्नयन और पूंजी के लिए बेहतर पहुंच प्राप्त करने में सहायता देने के लिए सभी एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए निवेश और कुल कारोबार सीमाओं को क्रमशः 2.5 और दोगुना बढ़ाया गया है। इसके अलावा गारंटी कवर के साथ ऋण उपलब्धता को बढ़ाने के लिए भी उपायों की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की पहली बार की उद्यमी पांच लाख महिलाओं के लिए एक नई योजना का शुभारंभ किया। यह अगले 5 वर्षों के दौरान करोड़ रुपए तक के ऋण प्रदान करेगी।
तीसरा इंजनः निवेश : निवेश को वृद्धि का तीसरा इंजन बताते हुए वित्त मंत्री ने लोगों, अर्थव्यवस्था और अभिनव में निवेश को प्राथमिकता दी। लोगों में निवेश के अंतर्गत, उन्होंने घोषणा की कि अगले पांच वर्षों में सरकारी विद्यालयों में 50,000 अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि भारतनेट परियोजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को ब्रॉडबेंड कनेक्टविटी प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा पुस्तक योजना को विद्यालयों और उच्चतर शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं के डिजिटल स्वरूप को प्रदान करने के लिए कार्यान्वित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर दी वर्ड’ विनिर्माण के लिए आवश्यक कौशल से हमारे युवाओं को युक्त करने के लिए वैश्विक विशेषज्ञता और साझेदारी के साथ पांच राष्ट्रीय कौशल उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना की जाएंगी। 500 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शिक्षा के लिए आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस में एक उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना की जाएगी।
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बजट में घोषणा की गई कि सरकार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य देखभाल, गिग श्रमिकों के पहचान पत्र बनाने के साथ-साथ ई-श्रम पोर्टल पर उनका रजिस्ट्रेशन करेंगी। अर्थव्यवस्था में निवेश के अंतर्गत श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बुनियादी ढांचा-संबंधित मंत्रालय सार्वजनिक-निजी साझेदारी मोड में परियोजनाएं के तीन वर्ष की अवधि के साथ कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यों के लिए पूंजीव्यय और सुधारों के लिए प्रोत्साहन देने के लिए 50 वर्ष तक के ब्याज मुक्त ऋणों के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव दिया गया है।
उन्होंने नई परियोजनाओं में 10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी का लाभ लेने के लिए दूसरी परिसम्पत्ती मौद्रिकरण योजना 2025-30 की भी घोषणा की। ‘जनभागीदारी’ के माध्यम से ग्रामीण पाइप के माध्यम से जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, संचालन और मरम्मत पर ध्यान देने के साथ वर्ष 2028 तक जल जीवन मिशन का विस्तार किया गया है। सरकार ‘विकास केन्द्रों के तौर पर शहरों, के रचनात्मक पुर्नविकास और जल एवं स्वच्छता’ के लिए प्रस्तावों को कार्यान्वित करने हेतु एक लाख करोड़ रुपये के शहरी चुनौती कोष का गठन करेंगी।
अभिनव में निवेश के अंतर्गत निजी क्षेत्र परख अनुसंधान, विकास और अभिनव पहल को कार्यान्वित करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की गई है। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने शहरी योजना को लाभ देने हेतु बुनियादी भू-स्थैतिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राष्ट्रीय भू-स्थैतिक अभियान का प्रस्ताव दिया। बजट में शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, प्रयोगशालाओं और निजी संग्रहकर्ताओं के साथ एक करोड़ से ज्यादा पांडुलिपियों के सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और संरक्षण के लिए ज्ञान भारतम् अभियान का प्रस्ताव दिया गया। ज्ञान साझेदारी के लिए भारतीय ज्ञान व्यवस्था के एक राष्ट्रीय डिजिटल कोष का भी प्रस्ताव दिया गया।
चौथा इंजनः निर्यात : श्रीमती सीतारमण ने निर्यात को विकास का चौथा इंजन बताते हुए कहा कि क्षेत्रीय और मंत्रालयी लक्ष्यों के साथ एक निर्यात संवर्धन मिशन का शुभारंभ किया जाएगा, जिसे वाणिज्य मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाएगा।उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, ‘भारत ट्रेडनेट (बीटीएन)’ का व्यापार दस्तावेज़ीकरण और वित्तपोषण समाधानों के लिए एक एकीकृत प्लेटफॉर्म का प्रस्ताव दिया गया है।
वित्त मंत्री ने उल्लेख किया कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ अपनी अर्थव्यवस्था को जोड़े रखने के लिए घरेलू विनिर्माण क्षमताओं के विकास के लिए सहायता प्रदान की जाएंगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि सरकार उद्योग 4.0 से संबंधित अवसरों का लाभ उठाने के लिए घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योग को सहायता प्रदान करेगी। उभरते हुए दूसरी श्रेणी के शहरों में वैश्विक क्षमता केन्द्रों को प्रोत्साहन देने के लिए एक राष्ट्रीय प्रारूप का भी प्रस्ताव दिया गया है। सरकार जल्द खराब होने वाले बागवानी उत्पाद सहित एयरकार्गों के लिए बुनियादी ढांचे और वेयरहाउसिंग के उन्नयन हेतु सुविधा प्रदान करेगी।
ईंधन के रूप में सुधार : इंजन के लिए ईंधन के तौर पर सुधारों को स्पष्ट करते हुए श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले दस वर्षों से ज्यादा समय में सरकार ने करदाताओं की सुविधा के लिए फेसलैस मूल्यांकन, करदाता चार्टर, त्वरित रिटर्न, लगभग 99 फीसदी रिटर्न स्वयं मूल्यांकन के आधार पर और विवाद से विश्वास योजना जैसे कई सुधारों को कार्यान्वित किया गया है। इन प्रयासों को जारी रखते हुए उन्होंने कर विभाग की ‘विश्वास प्रथम जांच बाद में’ वचनबद्धता को दोहराया।
वित्तीय क्षेत्र सुधार और विकास : ‘कारोबार में आसानी’ की दिशा में सरकार की त्वरित वचनबद्धता की पुष्टि करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री ने अनुपालन में आसानी, सेवाओं के विस्तार, मजबूत नियामक परिवेश को बनाने, अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू निवेश को प्रोत्साहन देने और पुराने कानूनी प्रावधानों के गैर-अपराधीकरण को आगे बढ़ाते हुए भारत में सम्पूर्ण वित्तीय क्षेत्र की व्यापकता में संरचनात्मक बदलाव का प्रस्ताव दिया। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने समूचे भारत में प्रीमियम निवेश करने वाली कम्पनियों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74 फीसदी से 100 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया।
राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के मार्ग पर बने रहने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटे को प्रत्येक वर्ष इस प्रकार से रखने का प्रयास किया जाएगा कि केन्द्रीय सरकार का ऋण, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में गिरते क्रम में बना रहे। इसके साथ ही अगले 6 वर्षों के लिए रोडमैप का विस्तृत ब्यौरा एफआरबीएम विवरण में दिया गया है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान जीडीपी का 4.8 प्रतिशत है जबकि बजट अनुमान 2025-26 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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संशोधित अनुमान 2024-25 : वित्त मंत्री ने बताया कि उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 31.47 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से निवल कर प्राप्तियां 25.57 लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि कुल व्यय का संशोधित अनुमान 47.16 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से पूंजीगत व्यय लगभग 10.18 लाख करोड़ रुपये है।
राष्ट्र निर्माण में मध्यमवर्ग की सराहनीय ऊर्जा और क्षमता में हमेशा विश्वास जताते हुए केन्द्रीय बजट 2025-26 में नई कर व्यवस्था के तहत कर दर संरचना को संशोधित करने का प्रस्ताव किया गया है। नई कर व्यवस्था के अंतर्गत प्रतिवर्ष 12 लाख रुपये तक की आय अर्थात विशिष्ट दर आय जैसे पूंजीगत लाभ को छोड़कर 1 लाख रुपये प्रतिमाह की औसत आय पर कोई आय कर देय नहीं होगा। वेतनभोगी करदाताओं के लिए यह सीमा 75,000 रुपये की मानक कटौती के कारण प्रतिवर्ष 12.75 लाख रुपये होगी। इन प्रस्तावों के परिणामस्वरूप नए कर संरचना के तहत सरकार को प्रत्यक्ष करों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का परित्याग होगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने लोगों की जरूरतों को समझते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों में मध्यम वर्ग पर ध्यान केन्द्रित करते हुए व्यक्तिगत आयकर में सुधार, टीडीएस/टीसीएस को तर्कसंगत बनाना, अनुपालनों के बोझ को कम करते हुए स्वैच्छिक अनुपालनों को प्रोत्साहित करना, व्यवसाय करने की सुगमता और निवेश और रोज़गार बढ़ाने के लिए कुछ प्रोत्साहन शामिल हैं। स्वैच्छिक अनुपालन को अद्यतन करने की सुविधा को लेकर लगभग 90 लाख करदाताओं ने अतिरिक्त कर का भुगतान करते हुए स्वैच्छिक रूप से अपनी आय संबंधी ब्यौरों को अद्यतन किया। इस विश्वास को आगे बढ़ाते हुए, अब किसी भी कर-निर्धारण वर्ष के लिए अद्यतन विवरणी दाखिल करने की समय-सीमा को मौजूदा दो वर्ष से बढ़ाकर चार वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया है। छोटे धर्मार्थ न्यासों/संस्थाओं की पंजीकरण अवधि को बढ़ाकर 5 वर्ष से 10 वर्ष करके ऐसी संस्थाओं के अनुपालन संबंधी बोझ को कम करने का प्रस्ताव है।
करदाताओं को स्वामित्व वाली सम्पत्तियों के लिए बिना किसी शर्त के ऐसी दो सम्पत्तियों के वार्षिक मूल्य के लाभ की अनुमति प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। पिछले बजट में प्रस्तुत की गई विवाद से विश्वास योजना को शानदार प्रतिक्रिया मिली है और इसके द्वारा लगभग 33,000 करदाताओं ने इस योजना का लाभ उठाते हुए अपने विवादों का निपटारा किया है। वरिष्ठ और अति वरिष्ठ नागरिकों को लाभ देते हुए 29 अगस्त, 2024 को या उसके पश्चात् राष्ट्रीय बचत योजना (एनएसएस) से किए गए आहरण पर छूट प्रदान करने का प्रस्ताव है। एनपीएस वात्सलय खातों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था का प्रस्ताव है। व्यवसाय करने की सुगमता के तहत, अंतरण मूल्य की प्रक्रिया को कारगर बनाने हेतु तीन वर्षों की ब्लॉक अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के मामलों में आर्म्स लेन्थ मूल्य निर्धारण करने के लिए एक योजना शुरू करने का प्रस्ताव है। यह योजना सर्वोत्तम वैश्विक पद्धतियों के अनुरूप होगी। अंतरराष्ट्रीय कराधान में विवादों को कम करने और निश्चितता को बनाए रखने की दृष्टि से सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार किया जा रहा है।
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रोजगार और निवेश को बढ़ावा देने हेतु उन अनिवासियों के लिए प्रकल्पित कराधान व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है, जो ऐसी निवासी कम्पनी को सेवाएं प्रदान करते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सुविधा स्थापित या संचालित कर रही है। देश में अन्तर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा टन भार कर स्कीम के लाभों के अंतर्गत पंजीकृत अन्तर्देशीय जलयानों के लिए विस्तारित करने का प्रस्ताव किया गया है। भारतीय स्टार्ट-अप इको-सिस्टम में 5 वर्षों तक निगमन की अवधि का विस्तार करने का प्रस्ताव किया गया है। अवसंरचना क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में सॉवरेन धन निधियों और पेंशन निधियों द्वारा अवसंरचना क्षेत्र में वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए निवेश करने की तारीख को 5 वर्ष बढ़ाकर 31, मार्च, 2030 तक करने का प्रस्ताव किया गया है।
औद्योगिक वस्तुओं के लिए सीमा-शुल्क टैरिफ संरचना को युक्तिसंगत बनाने के लिए बजट में : (i) सात टैरिफ दरों को हटाने, (ii) प्रभावी शुल्क दायित्व बनाए रखने के लिए कुछ मदों प्रभावी शुल्क दायित्व बनाए रखने के लिए कुछ मदों को छोड़कर, और (iii) एक से अधिक उपकर अथवा अधिभार नहीं लगाने का प्रस्ताव है। आयातित दवाईयों पर छूट देते हुए कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और संचारी बीमारियों और 36 जीवन रक्षक दवाओं को बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) से पूरी तरह छूट दे दी गई है। पेटेंट असिस्टेंट प्रोग्राम के अंतर्गत 13 नई दवाओं सहित 37 दवाईयों को भी बेसिक कस्टम ड्यूटी से मुक्त कर दिया गया है, अगर ये दवाएं मरीज को मुफ्त दी जाती है।
घरेलू विनिर्माण और मूल्य संवर्धन, 25 विशेष खनिजों जिनकी घरेलू उपलब्धता नहीं है उन्हें भी सहायता देने के लिए जुलाई, 2025 से बीसीडी से मुक्त कर दिया गया है। 2025-26 के बजट में कोबाल्ट पाउडर और उसके कबाड़, लीथियम आयरन बैट्री के कबाड़, लैट, जिंक और 12 अन्य मुख्य खनिजों को भी छूट दी गई है। घरेलू कपड़ा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कपड़ा मशीनरी में दो अन्य शटल लैस लूम्स को भी छूट दी गई है। बजट में आगे कहा गया है कि बुने हुए कपड़े जो 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत, जिन्हें 20 प्रतिशत कर दिया गया है या 115 किलोग्राम से जो ज्यादा है, जो 09 टैरिफ लाइन्स को कवर करती है, उनके बीसीडी में भी संशोधन किया गया है।
प्रतिलोम शुल्क संरचना को ठीक करने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए इंटरेक्टिव फ्लेट पैनल डिस्पले (आईएफपीडी) को 20 प्रतिशत बढ़ाया गया है और ओपन सैल्स को 5 प्रतिशत कम किया गया है। ओपन सैल्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ओपन स्टेंडस को बीसीडी के हिस्से के रूप में छूट दी गई है।