पहले कर्पूरी ठाकुर फिर लालकृष्ण आडवाणी, फिर नरसिम्हा राव, चरण सिंह और डॉ. स्वामीनाथन – भारत रत्न का बौछार – यानी भाजपा का 440 वोल्ट – चलिए, कुछ अच्छा हो जाए – कुछ मीठा हो जाये

पीवी नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी Pic: Rediff

नई दिल्ली : बस इतना समझ लीजिये कि मई में 18 वीं लोकसभा के गठन के समय तक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों की बात बाद में करेंगे, राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों का भी हाल खस्ता हो जायेगा। अगर कांग्रेस पार्टी को ही लें तो आज पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और किसानों के नेता चरण सिंह को भारत रत्न से अलंकृत करने का फैसला वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक तेज धार वाला चुनावी अस्त्र का प्रयोग माना जायेगा। 

वैसे कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से अलंकरण करने के फैसले से प्रसन्न हैं (ऐसा वह कहीं हैं), लेकिन नरसिम्हा राओ की आत्मा जानती हैं कि उनके जीते-जी सोनिया गाँधी का उनके प्रति कैसा व्यवहार रहा। 

वैसे इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी में वर्त्तमान नेतृत्व से, या वह नेतृत्व तो परदे के पीछे से चल रहा है, वुजूर्ग से बूढ़े तक, नेता से मतदाता तक, आलोचक से समर्थक तक – सभी नाराज और नाखुश हैं। लेकिन सभी मौके की तलाश में हैं –  कुछ अच्छा हो जाए – कुछ मीठा हो जाये। भारत रत्न सम्मान के गठन के बाद 2024 पहला वर्ष है जब पांच लोगों को इस सम्मान से अलंकृत करने का ऐलान हुआ है। इसमें 96-वर्ष लालकृष्ण आडवाणी को छोड़कर, शेष सभी मरणोपरांत हैं। 

कांग्रेस पार्टी में युवा नेता खफा है ‘जबरदस्ती वाले प्रभुत्व’ से। कांग्रेस पार्टी के 137+ साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ। अब तक 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए हैं। कोई 22 वर्षों के बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है और मल्लिकार्जुन खगड़े अध्यक्ष बने। 1998 से अब तक सोनिया गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष थीं, जबकि बीच में दो साल के लिए 2017 से 2019 के दौरान राहुल गांधी ने यह पद संभाला था। लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया था और कहा भी कि गांधी परिवार से कोई अध्यक्ष नहीं होगा।लेकिन सवाल यह है कि मल्लिकार्जुन ‘गांधी परिवार के उत्तरी-दक्षिण चुम्बक पोल से कितना पृथक है”, यह तो वही जानते हैं। 

बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्वयं ‘एक्स’ पर पोस्ट के जरिए यह घोषणा किये कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पी वी नरसिम्हा राव और मशहूर वैज्ञानिक व देश में हरित क्रांति के जनक डॉ एम एस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। इन तीन रत्नों के साथ इस वर्ष भारत रत्न से अलंकृत होने वालों की संख्या पांच हो गयी जो की अब तक की सर्वाधिक संख्या है। प्रधानमंत्री घोषणा करते करते हुए तीनों के योगदान की सराहना की। इससे पहले वर्ष 1999 में एक बार में चार लोगों को भारत रत्न दिया गया था। 

कुछ दिनों पहले ही सरकार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के लिए भारत रत्न की घोषणा की थी। कर्पूरी ठाकुर के बाद चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने की घोषणा को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो इस साल अप्रैल-मई में संभावित है। तीनों दिवंगत नेताओं की पृष्ठभूमि गैर-भाजपा रहा है।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता और 1979-80 में प्रधानमंत्री रहे सिंह ऐसे समय में कांग्रेस विरोधी राजनीति के धुरी के रूप में उभरे थे जब देश भर में उसका वर्चस्व था। कांग्रेस नेता राव 1991-96 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और उन्हें आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है जबकि डॉ स्वामीनाथन दुनिया के ख्याति लब्ध कृषि वैज्ञानिक थे। 

मोदी ने अपने एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है।’’ 

चौधरी चरण सिंह। तस्वीर: एवेन्यू मेल

प्रधानमंत्री ने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।’’ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लागू किया था।

उधर प्रधानमंत्री के पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने लिखा, ‘‘दिल जीत लिया!’’ जयंत चौधरी, चरण सिंह के पोते हैं। चरण सिंह किसानों की आवाज बुलंद करने वाले प्रखर नेता माने जाते थे। वह 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले वह देश के उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।

चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब पिछले कुछ दिनों से ऐसी अटकलें थी कि राष्ट्रीय लोक दल(रालोद) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो सकता है। इस घोषणा के बाद चौधरी की जिस प्रकार की टिप्पणी सामने आई है, उससे यह लगभग स्पष्ट है कि अगले कुछ दिनों में रालोद, राजग में शामिल हो जाएगा।

कुछ दिन पहले ही इसी प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने की घोषणा की थी और इसके कुछ ही दिनों के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) ने राजग का दामन थाम लिया था। उनके लिए भारत रत्न पुरस्कार की घोषणा 24 जनवरी को उनकी 100वीं जयंती से पहले की गई है। यह पुरस्कार उनकी मृत्यु के 35 साल बाद दिया गया है। 17 फरवरी 1988 को कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु हो गई। 

“मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक, महान जन नायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह प्रतिष्ठित सम्मान हाशिये पर पड़े लोगों के लिए एक चैंपियन और समानता और सशक्तिकरण के एक समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है।”

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एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने विभिन्न पदों पर रहते हुए भारत की व्यापक सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद सदस्य और विधान सभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए भी याद किया जाता है।’’

मोदी ने कहा कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण कदमों से भरा था, जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोला और इससे आर्थिक विकास के एक नए युग की शुरुआत हुई।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान एक नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘नरसिम्हा राव ने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को दिशा दी बल्कि उसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।’’ संयुक्त आंध्र प्रदेश में जन्में नरसिम्हा राव वर्ष 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेता भी राव की उपेक्षा को लेकर कांग्रेस की लगातार आलोचना करते रहे हैं। भाजपा अक्सर यह आरोप भी लगाती रही है कि राव नेहरू-गांधी परिवार से नहीं थे, इसलिए कांग्रेस ने उनकी लगातार उपेक्षा की। नेहरू-गांधी परिवार के बाहर से राव ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

पीवी नरसिम्हा राव : तासीर दी वीक

वैसे कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत किया। इस बारे में पूछे जाने पर सोनिया गांधी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं इसका (घोषणा) स्वागत करती हूं। क्यों नहीं?’’
प्रधानमंत्री बनने से पहले राव विदेश मंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री सहित कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। वे 1971 से 73 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था जो अब तेलंगाना का हिस्सा है।

बहरहाल, हाल ही में सरकार ने देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा की थी।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा कि “देश के विकास के लिए उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता। वे हमारे समय के सबसे सम्मानित ‘स्टेट्समैन’ हैं। देश के विकास के लिए उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता। उन्होंने जमीनी स्तर से काम शुरू किया था और वे देश के उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। वे देश के गृहमंत्री और सूचना-प्रसारण मंत्री भी रहे। उनकी  संसदीय कार्यशैली हमेशा अनुकरणीय रहेगी। 

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सार्वजनिक जीवन में आडवाणी जी दशकों तक पारदर्शिता और अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्ध रहे। उन्होंने राजनीतिक नैतिकता में एक अनुकरणीय मानक स्थापित किया है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किए हैं। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है। मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अनगिनत मौके मिले।’ पंडारा रोड की कहानी को लिखे बिना नहीं रहा गया।  

नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर लालकृष्ण आडवाणी को बधाई दी। कुछ दिन पहले ही केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया था। भारत रत्न अलंकरण श्रृंखला में आडवाणी जी का नाम 50 वे स्थान पर दर्ज हो गया। साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद बीजेपी ने आडवाणी समेत कुल सात लोगों को भारत रत्न दिया है, जिनमें से पांच लोगों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। 

बीजेपी समर्थक लंबे समय से लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की मांग कर रहे थे। वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और भाजपा के संस्थापक सदस्य नाना जी देशमुख के बाद ये सम्मान पाने वाले भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तीसरे नेता हैं। उन्होंने अपने सियासी जीवन में आधा दर्जन यात्राएं निकालीं। इनमें राम रथ यात्रा, जनादेश यात्रा, स्वर्ण जयंती रथ यात्रा, भारत उदय यात्रा, भारत सुरक्षा यात्रा, जन चेतना यात्रा शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक अन्य पोस्ट में एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि और किसान कल्याण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया बल्कि राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि को भी सुनिश्चित किया ।

मोदी ने कहा, ‘‘उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय में भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि के आधुनिकीकरण की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि को महत्व देता था।’’ उल्लेखनीय है कि 60 और 70 के दशक में उनके नेतृत्व में वैज्ञानिक शोध के जरिए देश में अनाज उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई थी। स्वामीनाथन का पिछले साल सितंबर महीने में चेन्नई में निधन हो गया था। (भाषा के सहयोग से)

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