योगी आदित्यनाथ ने कहा था: “माफिया को मिट्टी में मिला देंगे”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। तस्वीर: इण्डिया टुडे के सौजन्य से

झाँसी /लखनऊ / नई दिल्ली : विगत दिनों जब ‘पुलिस इन्काउन्टर’ पर एक कहानी कर रहा था, जिसमें आम तौर पर मुजरिमों पर गोली चलाने वाले खाकी वर्दीधारी को “हीरो”, “स्पेशलिस्ट”, “सुपर कॉप” आदि तगमों से ‘अलंकृत’ कर पुलिस महकमे से उसे भीड़ से अलग कर दिया जाता है। काश प्रदेश के ‘नेतृत्व’ को भी देखते जिनके अधीन पुलिस अथवा प्रशासन कार्य करती है। तभी तो ‘पुलिस को एक राज्य का विषय कहा गया है,’ और ‘वेवजह कभी भी केंद्र सरकार राज्य के प्रशासन के मामले में दखलंदाजी नहीं करती।’ उत्तर प्रदेश में विभिन्न प्रकार के अपराधों और अपराधियों को जमीन के अंदर दफ़न करने का नेतृत्व कौन संभाले हैं, यह सर्वविदित है। 

उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रहे पांच लाख के इनामी अतीक के बेटे असद अहमद और शूटर गुलाम को गुरुवार को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया। उधर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव कहती हैं कि देश में कानून का राज है और यूपी में फर्जी मुठभेड़ हो रहे हैं। यूपी में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।जबकि उनके पति और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का कहना है कि ‘पहले दिन से BJP चुनाव को देखते हुए एनकाउंटर कर रही है। मैं BJP से पूछना चाहता हूं कि जिन अधिकारियों ने एक ब्राह्मण मां-बेटी पर बुलडोजर चलाया उन्हें क्यों नहीं मिट्टी में मिलाया?…क्या आज का भारत यह है कि कमजोर की जान ले लें? क्या संविधान में जो अधिकार है वो नहीं मिलेंगे?’

वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव अपने ‘माफिया कि मौत ! अंत भला तो सब भला !!’ कालम में लिखते हैं कि  माफिया अतीक अहमद के हत्यारे-पुत्र असद अहमद को मारकर योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने 48 दिनों बाद पीड़िता को नैसर्गिक न्याय दिलाया। वर्ना मृतकों की पिस्तौलों (ब्रिटिश बुल्डाग और बाल्थर पी–88 से) कई खाकीधारी रक्षक ही आज शहीद हो जाते। पुलिस की सूचना के अनुसार ये अस्त्र अतीक को पाकिस्तान से ड्रोन द्वारा पंजाब सीमा पर सप्लाई किया जाता था। 

अब स्व. उमेश पाल (अतीक के गुर्गों द्वारा मारे गए बसपा विधायक राजू पाल का मित्र) की मां शांति देवी का कलेजा ठंडा हो गया होगा। उन्होंने (5 मार्च 2023) कहा भी था : “मात्र घर ढहाने से नहीं, माफिया अतीक और अशरफ के मारे जाने से ही मेरे कलेजे को ठंडक मिलेगी।” मगर अब दिलचस्पी इसमें होगी कि कौन सी सियासी पार्टी माफिया असद अहमद के लिए नमाजे जनाजा अता करेगी ? 

योगीजी ने विधानसभा में (25 फरवरी 2003) वादा किया था कि : “माफिया को मिट्टी में मिला देंगे।” फिल वक्त मियां अतीक अहमद के हसीन ख्वाबों को तो खाक में मिला ही दिया गया। प्रयागराज की उस अदालत में जहां कैदी अतीक को जब-जब लाया जाता था तो आतंक से इतनी शांति छा जाती थी कि सुई गिरने की आवाज भी सुनी जा सकती थी। स्वयं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने (5 मार्च 2023) को एक तल्ख टिप्पणी की कहा : “देखने से लगता है कि धूमनगंज थाना क्षेत्र में पुलिस का नहीं, अतीक अहमद का इकबाल चलता है।” 

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तस्वीर न्यूज 18 हिंदी के सौजन्य से 

एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर की एफआईआर दर्ज कराई है और बताया है कि उन्हें मुखबिरों से असद के होने की सूचना मिली थी। सूचना मिलने पर जब एसटीएफ की टीम ने असद और गुलाम को घेरा तो वह दोनों नहीं रुके और उनकी बाइक झाड़ियों में फंस गई। वहां से दोनों ने कई राउंड फायरिंग की तो पुलिस को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। इसी दौरान असद और गुलाम को गोली लग गई और दोनों मारे गए।

विक्रम राव आगे लिखते हैं कि “अब मंजर बदला है उसी कोर्ट परिसर का। वहां आज अपने बेटे की गोलियों से भुनी लाश पर अतीक रोया। बाहर नाराज जनता जूतों का हार लिए अतीक की प्रतीक्षा में थी, इस खूंखार  माफिया के गले में डालने के लिए। इसी बीच अतीक अहमद की पार्टी प्रमुख बहन कुमारी सुश्री मायावती ने ऐलान कर दिया कि अतीक अहमद कि बेगम शाइस्ता परवीन प्रयागराज के महापौर पद की प्रत्याशी नामित नहीं की जाएंगी। वरना यह तय लग रहा था कि धर्मनगरी की प्रथम नागरिक इस मुस्लिम माफिया की शरीके हयात ही होंगी। यूं समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने असद अहमद के मुठभेड़ को फर्जी करार दिया है। प्रतिक्रिया स्वाभाविक तथा अपेक्षित रही क्योंकि अतीक को समाजवादी समाज का स्वप्नदृष्टा माना जाता रहा। मायावती ने भी जांच की मांग की है।”

अतीक के पुत्र को जिस रीति से अंतिम दंड दिया गया वह याद दिलाता है 1980-82 का दौर जब इंदिरा गांधी-राज में मांडा राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा प्रतिपादित प्राकृतिक इंसाफ दिया जाता था। उसी का यह परिष्कृत रूप है। एनकाउंटर में मारे गए असद का शव उसके दादा की कब्र के पास दफनाया जाएगा।एनकाउंटर की सूचना के बाद पुश्तैनी आवास पर लोगों की भीड़ जुट गई। सगे संबंधियों के आने का क्रम देर रात तक चलता रहा।

अमर उजाला में आशीष तिवारी लिखते हैं कि “पंजाब में बीते कुछ समय से हथियारों की धरपकड़ और हरियाणा के एक शहर में पकड़े गए बड़े हथियारों के जखीरे और चार आतंकियों के पकड़े जाने को भी अतीक अहमद से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि बीते कुछ समय में जिस तरह से हरियाणा, दिल्ली, पंजाब में लगातार आरडीएक्स और अवैध हथियारों के जखीरे बरामद हो रहे हैं, वह पाकिस्तान से पंजाब के रास्ते देश के अलग अलग हिस्सों में पहुंचाए जा रहे हैं। 

उन्होंने आगे लिखा है की: “क्या अतीक अहमद बीते कई सालों से पाकिस्तान के इशारे पर उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ा नेटवर्क तैयार कर रहा था? क्या पाकिस्तान से हथियारों की खेप को मंगवा कर वह सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे देश में माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही थी? क्या उत्तर प्रदेश के माफिया सरगना रहे और पूर्व सांसद अतीक अहमद के पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और रिंदा से भी मजबूत रिश्ते हैं? देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों समेत अतीक अहमद मामले की जांच कर रही एजेंसी के लिए यह सब जानना बेहद जरूरी हो गया है। आंतरिक सुरक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में अतीक अहमद से की जाने वाली मजबूत पूछताछ के साथ कई ऐसे राज खुल सकते हैं, जो न सिर्फ अतीक के काले साम्राज्य को उजागर करेंगे, बल्कि कई अन्य माफियाओं की आतंकी सांठगांठ को भी बेनकाब करेंगे।”

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आशीष के रिपोर्ट के अनुसार “पूर्व सांसद रहे माफिया अतीक अहमद का नेटवर्क उतना सीमित नहीं है, जितना कि अब तक माना जा रहा था। अतीक मामले की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अतीक अहमद पाकिस्तान के इशारे पर न सिर्फ दहशत फैला रहा था, बल्कि हथियारों की बड़ी खरीद-फरोख्त और उनको देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाने के बड़े नेटवर्क के तौर पर काम कर रहा था। पुलिस ने जिस आधार पर अतीक की रिमांड ली है, उससे कहीं ज्यादा उन्हें अतीक के काले साम्राज्य के खुलासे की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि अतीक अहमद सिर्फ पूर्वांचल में ही दहशत फैलाने का काम नहीं करना चाहता था, बल्कि वह पाकिस्तान की शह काम भी कर रहा था। इसमें वह न सिर्फ हथियारों की खरीद-फरोख्त करता था, बल्कि उत्तर प्रदेश से लेकर बंगाल, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में हथियारों की सप्लाई भी कराता था।” 

बहरहाल, अमर उजाला के रिपोर्ट के अनुसार झांसी के पारीछा डैम के पास एनकाउंटर में मारे गए माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम मोहम्मद का शुक्रवार रात 2:30 बजे तक पोस्टमार्टम चला। 3 डॉक्टरों का पैनल शामिल रहा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सामने आया कि माफिया अतीक के बेटे असद को दो गोलियां लगी हैं। एक गोली पीछे से पीठ में लगकर दिल और सीने को चीरते हुए बाहर निकल गई। जबकि दूसरी गोली सीने में लगी और गले में जाकर फंस गई। डॉक्टरों की टीम ने शरीर के भीतर से गोली को बरामद किया है। वहीं, शूटर गुलाम को सिर्फ एक गोली लगी, जो पीठ में लगकर दिल व सीने को चीरते हुए बाहर निकल गई। गोली से ही दोनों की मौत हुई है।डॉ. शैलेश गुप्ता, डॉ. नीरज सिंह और डॉ. राहुल पाराशर के पैनल ने रात करीब 9 बजे पोस्टमार्टम शुरू किया। दाेनों शवों के पोस्टमार्टम करने में करीब 5 घंटे का वक्त लगा। इस दौरान पूरे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई है। 

राव का मानना है कि ‘मियां अतीक अहमद की विशिष्टता पर चर्चा तो होनी चाहिए। वे फूलपुर से लोकसभा सदस्य रहे जहां से जवाहरलाल नेहरू (1952-62) जीता करते थे। संगम के पूर्वी छोर पर बसा फूलपुर लोकसभाई चुनाव क्षेत्र तब गंदला हो गया था। फिर हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, राहजनी के पैंतीस जघन्य मुकदमों में अभियुक्त माफिया डान अतीक अहमद यहां के जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुए। तब वे समाजवादी पार्टी में थे। वर्षों तक अतीक अहमद का अस्थायी आवास नैनी सेंट्रल जेल रहा। कभी-कभी तो वे संसद भवन से सीधे इस कारागार में पधारते थे। यूं तो नेहरू भी दस वर्षों तक जेल में रहे, मगर बर्तानवी सत्ता से टकराने के कारण, अहिंसक संघर्ष के सिपाही के रूप में। फूलपुर ने प्रधानमंत्री रह चुके विश्वनाथ प्रताप सिंह को 1971 में चुना था। नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित और लोहियावादी जनेश्वर मिश्र को भी वोटरों ने यहीं से विजयी बनाया था।

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क्या नियति है। बंदूक-पिस्तौल के दम पर करोड़ों रुपयों की जायदाद बनाने वाले अतीक अहमद आज कैदी नंबर 17052 बनकर रोज पच्चीस रुपए कमाता है। अहमदाबाद जेल से साबरमती जेल में अतीक संडास साफ करता है, धोबी का काम करता है। उसका वजन भी कम हो रहा है। इतिहास बताता है कि असद ने अपराध की दुनिया में छह महीने पहले ही कदम रखा था। भाई अली और उमर के सरेंडर कर जेल जाने के बाद अतीक गैंग की कमान उसने संभाल ली थी। उसे “छोटे” कहकर पुकारते थे। वह गिरोह का संचालन लखनऊ के एक फ्लैट से करता था।

असद अहमद की मौत पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कानून की धज्जियां उड़ाई गई हैं। अब ओवैसी बताएं कि आज तक जो लोग (अतीक-असद) बाप-बेटे द्वारा हत्या के शिकार हुए उनके लिए कई संवेदना ? जब हाल ही में प्रयागराज में उमेश पाल को असद ने छलनी कर दिया था तब ओवैसी का पूरा मौन था ! अर्थात अपराध की परिभाषा और गंभीरता भी मजहब के आधार पर तय की जाएगी ? मियां अतीक अहमद की कथा को पढ़िये वरिष्ठ संवाददाता अंकित तिवारी (नवभारत टाइम के 3 मार्च 2023) की कलम से : “अतीक का नाम सबसे पहले 1979 में एक हत्या में आया था। तब वह केवल 17 साल का था। उसके पिता फिरोज इलाहाबाद स्टेशन पर तांगा चलाते थे। गली-मोहल्ले की गुंडई करते-करते अतीक इलाहाबाद के कुख्यात चांद बाबा के मुकाबिल हो गया। लोगों की मदद से अतीक का ग्राफ बढ़ने लगा। 1986 में जब पुलिस ने पकड़ा तो दिल्ली के एक रसूखदार परिवार ने छोड़ने की सिफारिश की। फिर 1989 में वह इलाहाबाद पश्चिमी सीट से चांद बाबा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरा और विधायक बन गया। उसके माननीय बनने के कुछ महीने के भीतर ही चांद बाबा की दिनदहाड़े सरे बाजार हत्या कर दी। उसके गैंग के बाकी लोगों को भी एक-एक करके मार डाला गया।”

अब चंद अल्फाज काषाय परिधानधारी योगी आदित्यनाथ महाराज से की जा रही जन अपेक्षाओं की बाबत। क्योंकि सिर्फ सपोले की मौत हुई है, विष का श्रोत नहीं सूखा है। फिलहाल योगीजी इस पूरे हादसे पर बड़ी सहनशीलता से कह सकते हैं जो गोस्वामी तुलसी दास जी ने उत्तरकांड (रामचरित मानस) में कहा था : “कहेउँ नाथ हरि चरित अनूपा । व्यास समास स्वमति अनुरूपा ॥”  (हे नाथ ! मैंने श्रीहरिका अनुपम चरित्र अपनी बुद्धि के अनुसार कहीं विस्तार से और कहीं संक्षेप से कहा।) मगर आगे योगी जी को ही बाकी माफियाओं को भी ठीक करना होगा।

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