संविधान की धारा तीन के अंतर्गत मिथिला राज्य का निर्माण किया जा सकता है: डाॅ धनाकर ठाकुर

दरभंगा प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन

दरभंगा: मिथिला क्षेत्र के विकास के लिए अलग मिथिला राज्य की मांग को लेकर मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में दरभंगा प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के समक्ष विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया। धरनास्थल पर एक सभा हुई जिसकी अध्यक्षता मिथिला राज्य संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ राम मोहन झा ने किया। मंच संचालन प्रवक्ता प्रो ज्योति रमण झा ने किया।

सभा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष डाॅ राम मोहन झा ने कहा कि मिथिला क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य का निर्माण अतिआवश्यक है इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। आजादी के पश्चात यहाँ की सबसे बड़ी समस्या बाढ, सुखाड, बेरोजगारी, पलायन रहा है। डाॅ झा ने कहा कि जब भाषाई आधार पर राज्यों का गठन किया तब भी मैथिली भाषी क्षेत्र मिथिला की उपेक्षा की गई। वैदिक काल से लेकर अट्ठारहवीं शताब्दि के अन्त तक मिथिला राज्य का स्वतंत्र अस्तित्व रहा था। बिहार सरकार मिथिला वासियों के सपनों पर पानी फेर एक का काम करती आ रही है। अब समय आ गया है कि मिथिला राज्य के निर्माण के लिए आर-पार की लडाई लडनी होगी।

मिथिला राज्य संघर्ष समिति के संस्थापक डाॅ धनाकर ठाकुर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान की धारा तीन के अंतर्गत भारत में मिथिला राज्य का निर्माण किया जा सकता है। मिथिला विदेह का प्राचीन राज्य आज बिहार और आंशिक रूप से झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है। हमारे मिथिला/तिरहुत क्षेत्र को 1774 में तत्कालीन दरभंगा के शासकों के विरोध के वाबजूद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा पटना के अधीन कर दिया गया था जिसका विरोध सन 1800 में सम्राट शाह आलम द्वितीय ने भी किया था।

ये भी पढ़े   मन्दार पर्वत, भगवान मधुसूदन का रथ और उनका पद्चिन्ह

मिथिला तिरहुत को बंगाल प्रेसीडेंसी और 1912 से बिहार और उड़ीसा के भीतर रखा गया जिसमें से उड़ीसा और झारखंड आज एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में हैं। लेकिन भारत की सबसे प्राचीन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मिथिला क्षेत्र को एक अलग राज्य के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया। डाॅ ठाकुर ने महामहिम राष्ट्रपति महोदया से आग्रह किया कि भारत सरकार को निर्देश दें कि मिथिला राज्य के निर्माण के लिए संविधान की धारा तीन के अंतर्गत संसद में विधेयक लाये।

संस्थापक डाॅ धनाकर ठाकुर जी के द्वारा श्री इन्द्रभूषण झा ‘पप्पू’ जी को मिथिला राज्य संघर्ष समिति का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया। सभा को संबोधित करने वाले अन्य प्रमुख लोगों में डाॅ सुरेश राम, भरत यादव, विजय कांत चौधरी, इन्द्रभूषण झा ‘पप्पू’, प्रो ज्योति रमण झा, चन्द्र मोहन चौधरी, डाॅ कुशेश्वर सहनी, राजीव कुमार, नारायण यादव, मुचकुंद मल्लिक मुकुंद, रामकुमार राय, चन्द्र मोहन चौधरी, प्रो विश्वनाथ झा सहित अन्य कई लोग शामिल थे। धरना प्रदर्शन समाप्ति के पश्चात आयुक्त दरभंगा के द्वारा नियुक्त दण्डाधिकारी बहादुरपुर अंचलाधिकारी श्री अभय पद दास को राष्ट्रपति महोदया के नाम प्रेषित ज्ञापन सौंपा गया‌ ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here