#जनपथ दिल्ली का एक ऐसा स्थान है जहाँ फुटपाथ पर अपने-अपने सामानों को बेचने वाली महिलाएं फर्राटे से अंग्रेजी बोलने में हिचकियाँ नहीं लेती, जबकि (अपवाद छोड़कर) पुरुषों की साँसे फूलने लगती है। ‘वॉवेल’ और ‘कॉन्सोनेंट’ की दूरियों को मापना नामुमकिन नहीं, तो मुस्किल जरूर है।
अपने-अपने हाथों में दिल्ली का मानचित्र और इनसाइक्लोपीडिया लिए जैसे ही विदेशी पर्यटकों की खुशबूदार हवाएं कनॉट सर्कस या इण्डिया गेट छोड़ से निकलती हैं, गगनचुम्बी जीवनदीप भवन-इण्डियन ऑयल भवन की दिशा वाले फुटपाथ की महिलाएं अपने-जीवन यापन के लिए सज्ज हो जाती है – अपने-अपने सामानों को बेचने के लिए, ताकि दो-जून की रोटी का बंदोबस्त हो सके, उसके बच्चे विद्यालय जा सके, बीमार होने पर खुद का इलाज करने के लिए दूसरों के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़े।
सड़क का नाम भी निर्माण के समय से लेकर आज़ाद भारत तक, यह जनपथ भी एक महिला के को ही सपर्पित थी, जो भारत की राजधानी दिल्ली बनने के बाद अपने पति के साथ आयी थी। विगत दिनों इस सड़क के बाएं तरफ बाजार में, फुटपाथ पर अनेकों लोगों से, शिक्षित से, अशिक्षित से, दुकानदारों से, ऑटो वालों से, स्थानीय पर्यटकों से ‘जनपथ’ नामकरण से पूर्व इस सड़क का नाम पूछा। सभी के सभी दांत निपोड़ दिए।
‘क्वींसवे’ नाम था इस मार्ग का जो बाद में ‘जनपथ’ के नाम से विख्यात हुआ। इस सड़क का जन्म कनॉट सर्कस में ‘रेडियल रोड-1’ के रूप में जन्म होता है जो अब्दुल कलाम मार्ग गोलचक्कर पर अपना अस्तित्व विलीन कर लेता हैं। बीच में तत्कालीन ‘क्वींसवे’ का मिलन ‘किंग्सवे’ (आज का राजपथ) से भी होता है। ‘किंग्सवे’ और ‘क्वींसवे’ का निर्माण किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में किया गया था। ‘क्वींसवे’ ‘रानी’ का मार्ग था और ‘किंग्सवे’ ‘राजा का मार्ग’ था।
इतिहास गवाह है कि 1911 के दिल्ली दरबार में जॉर्ज – V दिल्ली की रचना का नींव डाले थे। रचनाकार ब्रिटिश आर्टिटेक्ट एड्विन लुट्येन्स और हर्बर्ट बेकर थे। एक नई राजधानी के रूप में दिल्ली को 13 फरवरी, 1931 को पहचान मिली। ‘क्वींसवे’ और ‘किंग्सवे’ लुटियंस दिल्ली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। स्वाधीनता के बाद ‘क्वींसवे’ ‘जनपथ’ हो गया और ‘किंग्सवे’ राजपथ। इ
जनपथ बाजार कनॉट प्लेस के आउटर सर्कल से विंडसर प्लेस तक लगभग 1.5 किमी तक फैला है।यह भारतीय और विदेशी दोनों पर्यटकों के लिए सबसे प्रसिद्ध बाजारों में से एक है। यह नई दिल्ली के सबसे पुराने बाजारों में से एक है, जहां कुछ बुटीक की स्थापना 1950 में हुई थी। इस मार्ग पर ‘ईस्टर्न कोर्ट’, ‘वेस्टर्न कोर्ट’, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) का कार्यालय, राष्ट्रीय संग्रहालय के अलावे कांग्रेस नेता श्रीमती सोनिया गाँधी और पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का आवास भी है।
बहरहाल, मौका मिले तो भ्रमण-सम्मेलन जरूर करें।