कोरोना का कहर: लालू के चहेते मोहम्मद शहाबुद्दीन आज दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में अंतिम सांस लिया 

यह उस समय की बात है - फोटो: दीपक कुमार, पटना 

सिवान/पटना/नई दिल्ली :  दिल्ली के तिहाड़ जेल में सजा काट रहा राजद का पूर्व सांसद, सीवान का रॉबिनहुड, बिहार का बाहुबली और राष्ट्रीय जनता दल के नेता श्री लालू प्रसाद यादव के अनन्य-भक्त मोहम्मद शहाबुद्दीन कोरोना वायरस का शिकार हो गया और जनसंघ के संस्थापक के नाम पर बना दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में अंतिम सांस लिया। तिहाड़ जेल के महानिदेशक (कारा) संदीप गोयल के अनुसार, ‘‘दिल्ली जेल के कैदी मोहम्मद शहाबुद्दीन की मृत्यु के बारे में डीडीयू अस्पताल से सूचना मिली है। वह कोविड-19 से पीड़ित थे और उन्हें 20 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।’’ 

कोरोना वायरस को कहाँ पता है कि ये बिहार के मुख्य सचिव श्री अरुण कुमार जी थे, या वे  बिहार विधान परिषद् के भारतीय जनता पार्टी के सम्मानित सदस्य श्री हरिनारायण चौधरी जी थे, या ये बिहार के राजनेताओं द्वारा संरक्षित-पोषित अपराध जगत के बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन साहेब थे । विगत 48 -घंटों में लगातार कोरोना वायरस के संक्रमण और देश-प्रदेश की “उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा” के बीच लगातार लोग अपनी-अपनी अंतिम सांसे ले रहे हैं। क्या धनाढ्य, क्या अधिकारी, क्या राजनेता, क्या बाहुबली, क्या गरीब, क्या रिक्शावाला, क्या सब्जीवाला, क्या शिक्षक, क्या विद्यार्थी सभी कोरोना वायरस के सामने बौने हैं ।

विगत एक वर्ष से कोरोना वायरस संक्रमण को लोगों ने “मज़ाक” में ले रहे थे, उसे “हल्के में आंक रहे थे,” – आज सबों का घर वीरान हो रहा है। 

राष्ट्रीय राजधानी में सुबह से ही बाहुबली नेता की मौत की खबरों पर संशय बना हुआ था। बाद में, तिहाड़ जेल के आईजी संदीप गोयल ने आरजेडी पूर्व सांसद की मौत की खबरों को सच बताया।  शहाबुद्दीन की मौत पर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा, ” पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का कोरोना संक्रमण के कारण असमय निधन की दुःखद ख़बर पीड़ादायक है। ईश्वर उनको जन्नत में जगह दें, परिवार और शुभचिंतकों को संबल प्रदान करें।  उनका निधन पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है।  दुख की इस घड़ी में राजद परिवार शोक संतप्त परिजनों के साथ है।”

ज्ञातव्य हो की विगत दिनों बिहार के मुख्य सचिव अरुण कुमार का शुक्रवार को कोरोना से निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। इससे पहले स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सचिव रवि शंकर सिंह की मृत्यु हो गई थी। 1985 बैच के IAS अफसर अरुण कुमार सिंह पिछले महीने बिहार के  मुख्य सचिव बने थे। दीपक कुमार की जगह पर अरुण कुमार सिंह मुख्य सचिव बने थे। दीपक कुमार को प्रधान सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

उधर, भाजपा नेता व बिहार विधान परिषद के सदस्य हरिनारायण चौधरी का बीती रात एक अस्पताल में कोरोना से पीड़ित होने के चलते निधन हो गया। कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें करीब एक सप्ताह पूर्व पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में भर्ती कराया गया था, जहां बीती रात करीब 11 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। समस्तीपुर जिला स्थानीय क्षेत्र प्राधिकार से निर्वाचित 77 वर्षीय चौधरी के परिवार में पत्नी, दो पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। वे साल 2015 में विधान परिषद पहुंचे थे। 

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी चौधरी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने घोषणा की कि हरिनारायण चौधरी जी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि हरिनारायण चौधरी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थे। सामाजिक कार्यों में उनकी गहरी रुचि थी और उन्होंने अपने व्यक्तित्व की बदौलत समाज के सभी वर्गों का आदर और सम्मान प्राप्त किया।

कई मामलों में सजा काट रहा मोहम्मद शहाबुद्दीन काफी समय से तिहाड़ जेल में बंद था। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उसे दिल्ली के पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जानकारी के मुताबिक मोहम्मद शहाबुद्दीन वेंटिलेटर पर था । बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को आदेश दिया था कि वह मोहम्मद शहाबुद्दीन का इलाज करवाए और निगरानी भी करे। शहाबुद्दीन ने चंदा बाबू के दो बेटों को तेज़ाब से नहलाकर मार डाला था । इस मामले में उनका तीसरा बेटा गवाह था लेकिन इससे पहले कि वो अदालत पहुँचता, उसकी भी हत्या कर दी गई। 

पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश पर शहाबुद्दीन को 18 घंटों के लिए अपने परिजनों से मुलाकात के लिए समय दिया गया था। कड़ी सुरक्षा में उसे परिजनों से मुलाकात कराया गया। उच्च-न्यायालय ने सशर्त पैरोल के तहत उसे सुविधा दी थी कि वो 6-6 घंटे के लिए दिल्ली में कहीं भी मुलाकात कर सकता है।  दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को दो दिन पहले ही शहाबुद्दीन का इलाज बेहतर तरीके से करने का निर्देश दिया था। जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा था कि कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर उनकी सेहत का ख्याल रखें। इससे पहले शहाबुद्दीन की तरफ से कोर्ट में यह कहा गया था कि उनका इलाज ठीक तरीके से नहीं हो रहा है इसके साथ कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दिन भर में दो बार घर बात करने की इजाजत भी दी थी।

शहाबुद्दीन पर करीब 30 से ज्यादा केस दर्ज थे। 15 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बिहार की सीवान जेल से तिहाड़ लाने का आदेश दिया था। तिहाड़ से पहले वे बिहार की भागलपुर और सीवान की जेल में भी लंबे समय तक सजा काट चुके थे। 2018 में जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए, लेकिन जमानत रद्द होने की वजह से उन्हें वापस जेल जाना पड़ा। इससे पहले पिछले साल सितंबर में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के पिता शेख मोहमद हसीबुल्लाह (90 वर्ष) का निधन हो गया था। उस वक्तर तिहाड़ में बंद पूर्व सांसद को पैरोल पर लाने की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में आजावीन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले चल रहे थे।

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एक रिपोर्ट के अनुसार तिहाड़ जेल में शहाबुद्दीन को एकदम अलग बैरक में रखा गया था। उस बैरक में शहाबुद्दीन के अलावा कोई दूसरा कैदी नहीं था। जेल के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि तिहाड़ में तीन ऐसे कैदी (शहाबुद्दीन, छोटा राजन और नीरज बवाना) हैं जिनको अलग-अलग बैरकों में अकेला रखा गया है। 

दैनिक भास्कर ने लिखा है:  1980 के दशक तक सिवान की सियासत में आपराधिक तत्वों का बोलबाला था। 1980 के दशक में कई अपराधों में नाम आने के बाद शहाबुद्दीन ने सियासत में प्रवेश की। एक दौर था, जब तेजाब कांड हो, चंद्रशेखर हत्याकांड हो या सिवान में कोई भी अपराध, शहाबुद्दीन का नाम हमेशा सुर्खियों में रहता था। जिले के अस्पताल हो, स्कूल हों या बैंक या फिर कोई भी दफ्तर… हर जगह ‘छोटे सरकार’ के नाम से मशहूर शहाबुद्दीन का कानून चलता था।

90 के दशक में बिहार के अंदर अपराध अपने चरम पर था। शहाबुद्दीन भी आपराधिक वारदात को अंजाम देने की वजह से सीवान जेल में बंद थे। उस दरम्यान मैरवा के रहने वाले और आर्मी से रिटायर्ड डॉ. कैप्टन त्रिभुवन नारायण सिंह जीरादेई से कांग्रेस के विधायक थे। साल 1985 के बिहार विधानसभा चुनाव को उन्होंने जीता था। उनकी छवि अपने एक ईमानदार नेता की थी। उस वक्त प्रतापपुर जीरादेई विधानसभा के तहत आता था। शहाबुद्दीन प्रतापपुर के ही रहनेवाले थे। उस शख्स ने बताया कि शहाबुद्दीन को एक मामले में विधायक डॉ. कैप्टन त्रिभुवन नारायण सिंह से पैरवी करानी थी। इसके लिए वह खुद विधायक से मिलने गए थे। लेकिन विधायक ने सीधे और साफ शब्दों में उस वक्त यह कह दिया था कि मैं बदमाशों और अपराधियों की पैरवी नहीं करूंगा। यह बात उस वक्त की है जब शहाबुद्दीन जेल में नहीं थे। इस घटना के बाद ही एक आपराधिक मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा था।

विधायक की तरफ से कही गई बातों को लेकर वो गुस्से में थे। जेल के अंदर भी गुस्सा कम नहीं हुआ था। उसी दरम्यान 1990 का विधानसभा चुनाव होना था। शहाबुद्दीन ने चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरने का ऐलान कर दिया। जेल से ही नामांकन दाखिल किया था। बात हर कीमत पर डॉ. कैप्टन त्रिभुवन नारायण सिंह को हराने की थी। कई तरह के दाव-पेंच खेले गए थे। उस वक्त का चुनाव बैलेट पेपर पर होता था। शख्स ने बताया कि मो. शहाबुद्दीन को जिताने के लिए उनके लोगों ने कई प्रकार के हथकंडे अपनाए थे। सबसे बड़ा हथकंडा वोगस वोटिंग का था। मुस्लिम आबादी और अपने प्रभाव वाले इलाकों में उनके लोगों ने उस वक्त बैलेट पेपर को छाप दिया था। करीब 5 हजार से अधिक वोगस वोटिंग हुई थी। इस कारण जेल के अंदर रहने के बाद भी मो. शाहबुद्दीन ने एक सिटिंग विधायक को चुनाव में हरा दिया था। यहीं से उनके अपराधी से राजनेता बनने का सफर शुरू हुआ था। पूरे 5 साल मो. शहाबुद्दीन जीरादेई के विधायक रहे।

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1990 के विधानसभा चुनाव में डॉ. त्रिभुवन नारायण सिंह को हराने के लिए मो. शहाबुद्दीन को उस वक्त जेल में दूसरे अपराधी व सीवान के रहने वाले पाल सिंह का भी साथ मिला था। जेल में ही पाल सिंह और मो. शहाबुद्दीन एक हो गए थे। दरअसल, पाल सिंह ने भी डॉ. कैप्टन त्रिभुवन सिंह से एक पैरवी करवानी चाही थी लेकिन उन्हें भी वही जवाब दिया गया था, जो शहाबुद्दीन को दिया गया था। इस कारण से पाल सिंह ने भी जीरादेई से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उस वक्त वो भी जेल के अंदर ही था।

90 के दशक में विधायक और सांसद रह चुके शहाबुद्दीन बिहार में बाहुबली के तौर पर जाने जाते थे। RJD प्रमुख लालू यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले शहाबुद्दीन कई बार विवादों में रहे।5 साल विधायक रहने के बाद मो. शहाबुद्दीन को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का साथ मिला। 1995 के विधानसभा चुनाव में जीरादेई से शहाबुद्दीन दूसरी बार मैदान में उतरे, लेकिन इस बार लालू प्रसाद ने उन्हें अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का टिकट दिया था। लगातार दूसरी बार वो विधायक बने। एक साल बाद ही 1996 में लोकसभा का चुनाव हुआ। राजद ने शहाबुद्दीन को सीवान से टिकट दे दिया और वो जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंच गए थे।

इधर, लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सरकार को शहाबुद्दीन के मौत का जिम्मेवार ठहराया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ” सिस्टम की लापरवाही की भेंट चढ़ें..! जनता के सेवक अब नहीं रहे! अल्लाह इनको जन्नत में आला से आला मुकाम दें !!” केवल विपक्ष ही नहीं बिहार एनडीए का हिस्सा हम पार्टी के नेता ने भी सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। हम नेता दानिश रिजवान ने कहा, ” शहाबुद्दीन साहब की मौत के लिए सरकार ज़िम्मेदार है। अगर उनका ठीक से इलाज हुआ होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी, उनके परिवार के साथ जुल्म हुआ है. मुस्लिम समाज ये कभी नहीं भूलेगा।”

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