यात्रीगण ध्यान दें: ‘यात्री-व्यवहार’ में बदलाव लाएं या फिर हवाई यात्रा के बदले गरीब-रथ से यात्रा करें 

सोच बदलो - देश बदलेगा : दरभंगा हवाई अड्डे पर यात्रीगण 

दरभंगा : नई दिल्ली का इंदिरा गाँधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा ही नहीं, देश के बड़े-बड़े हवाई अड्डे से हवाई उड़ानों को दिसम्बर-फरबरी तक ठंढ और कोहरे के कारण “हवा-निकल जाती है”, यह “नया-दूल्हा”, यानि दरभंगा हवाई अड्डा किस खेत की मूली है ? और उस पर यात्रियों का “गरीब-रथ यात्री जैसा व्यवहार।” 

वैसे दरभंगा हवाई अड्डे पर तो अभी उपस्कर अवतरण प्रणाली यानी इंस्ट्रूमेंट लैंडिग सिस्टम  (Instrument landing system या ILS)  और डीवीओआर (DVOR) सिस्टम नहीं है।  इसके अलावा एयरपोर्ट पर रनवे लाइटिंग व ग्राउंड लाइटिंग सिस्टम की व्यवस्था भी नहीं है। अभी तो “महीना” भी नहीं हुआ है। 

एक खबर के अनुसार, दिसम्बर का मौसम शुरू होते ही कोहरा छाने लगा है। इस वजह से विमानों को लैंडिंग करने में परेशानी होनी शुरू हो गई है। 8 नवंबर, 2020 से शुरू हुए दरभंगा एयरपोर्ट पर यह परेशानी कछ अधिक ही झेलनी पड़ रही है। बीते बुधवार को भी स्पाइस जेट की मुम्बई से दरभंगा आनेवाली विमान पटना में लैंड हुई थी। शुक्रवार को मुम्बई व बेंगलुरु के लिए फ्लाइट कैंसिल हो गई थी। दरभंगा व इसके आसपास के 12 जिलों के लोग पहले से बुक करवाए गए टिकट के आधार पर फ्लाइट पकड़ने तो आ रहे हैं, लेकिन खराब मौसम की वजह से इसके कैंसिल हो जाने से निराश होकर वापस लौटने को मजबूर हो जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि विपरीत मौसम में दरभंगा एयरपोर्ट पर विमानों की लैंडिंग के लिए आवश्यक यंत्र नहीं रहने के कारण यात्रियों की परेशानी बढ़ी है।  गौरतलब है कि दरभंगा एयरपोर्ट पर उपस्कर अवतरण प्रणाली यानी इंस्ट्रूमेंट लैंडिग सिस्टम  (Instrument landing system या ILS)  और डीवीओआर (DVOR) सिस्टम नहीं है। इसके अलावा एयरपोर्ट पर रनवे लाइटिंग व ग्राउंड लाइटिंग सिस्टम की व्यवस्था नहीं है।   

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बहरहाल, कुछ अधिकारीगण यात्रियों के व्यवहार से भी परेशान हैं। उनका कहना है कि दरभंगा हवाई अड्डे से हवाई यात्रा करने वाले यात्रीगण शिक्षित नहीं होंगे, यह नहीं माना जा सकता है। विश्व को मिथिलाञ्चल की शिक्षा का उद्धरण दिया जाता है तभी तो भारत सरकार भी इसे कवि विद्यापति के नाम पर इस हवाई अड्डे का नामकरण करना चाहती है। अभी विगत दिनों प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी मिथिलांचल के लोगों और मतदाताओं की भूरी-भूरी प्रसंशा किये हैं। लेकिन यात्रियों के यात्रा-व्यवहार को देखकर ऐसा लगता है कि वे गरीब-रथ से यात्रा करने जा रहे हैं और दरभंगा रेलवे स्टेशन पर गाडी की प्रतीक्षा में बैठे हैं। 

सोच बदलो – देश बदलेगा : दरभंगा हवाई अड्डे पर यात्रीगण 

सूत्रों का मानना है कि वैसे ही कई एक कारणों से वर्तमान में दरभंगा से हवाई उड़ान और उतरने की प्रक्रिया स्थगित हो सकती हैं, यात्रियों का हवाई अड्डे पर पहुंचे, अपनी उड़ान वाली जहाज की प्रतीक्षा करने और उड़ान भरने के बीच जो ‘व्यवहार’ होता है. वह कटाई इस बात की पुष्टि नहीं करता की हवाई-यात्रा करने वाले यात्रीगण एक ऐसे प्रदेश से आते हैं जो शिक्षित हैं। जिनकी शिक्षा की तूती विश्व में बोली जाती है, विश्व के लोग होला मानते हैं मिथिलांचल की शिक्षा और शिक्षित व्यक्तित्व का – वहीँ के नागरिक या यात्री हवाई अड्डे पर चादर बिछाकर सो जाते हैं – जो सुरक्षा व्यवस्था में बाधक होता है। 

सूत्र का कहना है कि यदि आगामी कुछ दिनों में हवाई यात्रा स्थगित नहीं हुआ तो दक्षिण भारत से, केन्द सरकार के सुरक्षा कर्मियों को, जिनकी अनुशाशन अपने उत्कर्ष पर होता है, दरभंगा हवाई अड्डे पर पदस्थापित किया जाय .सूत्रों का कहना है कि “वही यात्री जब दिल्ली, मुंबई, चेनई, बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उतरते हैं, उनका व्यवहार बहुत ही अनुशाषित हो जाती है। फिर क्या वजह है कि दरभंगा हवाई अड्डे पर उनका व्यवहार अनुशाषित नहीं होगा।  

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आर्यावर्तइण्डियननेशन.कॉम से बात करते हुए अनूप मैथिल कहते हैं: दरभंगा एयरपोर्ट शुरू करने की जल्दी थी, लेकिन तय समय में काम निपटाने की जल्दी नहीं थी। अभी भी हवाई अड्डे परिसर के अलावे बाहर भी बहुत सारे कार्य करने बचे हैं। उन कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य 31 एकड़ ज़मीन अधिग्रहित करनी है। इस अधिग्रहण के लिए इसके लिए भारतीय वायु सेना को अनापत्ति-प्रमाण पत्र निर्गत करना है। इतना ही नहीं, यह पर सिविल एनक्लेव बनेगा, जिसको नेशनल हाईवे से चार-लेन कनेक्टिविटी चाहिए। 

हवाई अड्डे पर यात्रियों के यात्री-व्यवहार पर पूछने पर अनूप मैथिल मुस्कुरा देते हैं और आगे कहते हैं की दरभंगा हवाई अड्डा का सरफेस सड़क से नीचे है। सुरक्षा के लिए व्यू कटर चाहिए। यहां तक कि नीलगाय को रोकने के लिए कंटीली तार भी नहीं लगी है। पार्किंग के लिए ज़मीन तक नहीं मिली है। इस सब पर ILS के लिए पूछो, तो कहते हैं – लगेगा, बोले हैं, अभी तो 3 फ्लाइट्स ही आती हैं डेली, अभी दिक्कत नहीं है। यहां शीत-लहर में दिन को दिखता नहीं, बड़े बड़े एयरपोर्ट्स की हालत खराब रहती है धुंध में, ये पता नहीं कैसे बिना ILS इंस्टॉल किए कोहरे में लैंडिंग और टेक ऑफ करेंगे। 

बहरहाल, यात्रियों से अनुरोध है की हवाई-यात्रा-सुविधा बरकरार रखने के लिए यात्रा के दौरान, विशेषकर दरभंगा हवाई अड्डे पर गरीब-रथ यात्री जैसा व्यवहार परिलक्षित नहीं होने दें। शहर आपका है – आप शहर के हैं। हवाई अड्डा आपका है लेकिन हवाई जहाज “व्यापारी” का है, परिचालन करने का आदेश दिल्ली देगी।  चुनाव समाप्त हो गया है। कहीं ऐसा न हो की अगले पांच वर्ष के लिए पुनः मुसको भवः 

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