आज महाराजाधिराज की तस्वीर किसी दूसरे अख़बार में देखकर आँखें भींग गयी, ओह !!

आज महाराजाधिराज की तस्वीर किसी दूसरे अख़बार में देखकर आँखें भींग गयी, ओह !!
आज महाराजाधिराज की तस्वीर किसी दूसरे अख़बार में देखकर आँखें भींग गयी, ओह !!

आज महाराजाधिराज जीवित होते तो 113-वर्ष के होते और आज उनके जन्मदिन पर उनकी आदमकद तस्वीर उनके द्वारा स्थापित, संचालित अपने अखबार – आर्यावर्त – इण्डियन नेशन – मिथिला मिहिर – में प्रकाशित होता। लोगबाग, शुभचिन्तकगण लड्डू खाते, उन्हें दीर्घायु होने, स्वस्थ रहने के लिए महामृत्युंजय जप किया जाता। लेकिन आज किसी दूसरे अख़बार में प्रकाशित तस्वीर को देखकर मन भर आया, आखें भींग गयीं – खैर जन्मदिन मंगलमय हो महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह साहेब 

लेकिन आज शायद नहीं, पक्का हो गया – इसे ही समय कहते हैं। जिस महान व्यक्ति का आज जन्म दिन है उनका नाम भारतीय राजनीति. भारतीय अर्थ व्यवस्था, भारतीय शैक्षणिक व्यवस्था, भारतीय सांस्कृतिक व्यवस्था, भारतीय मानवीय व्यवस्था में स्वर्णाक्षरों में उद्धृत था और किताबों के पन्नों में लिखा रहेगा। लेकिन आज उसी व्यक्ति का आदमक़द तस्वीर किसी दूसरे प्रान्त के समाचार पत्र में प्रकाशित देखकर मन भर गया। आँखें अश्रुपुरी हो गयी । किताबों के पन्नों से उनका नामो निशान मिट गया है। उनके द्वारा निर्मित बड़े-बड़े विशालकाय भवनों के ईंट ढहने लगे हैं, ढह गए हैं। 

सन 1930 और 1940 में उनके द्वारा स्थापित दो समाचार पत्र – आर्यावर्त और इंडियन नेशन – जिसकी तूती बोलती थी कभी, आज उस संस्था में कार्य करने वाले कर्मियों के घरों में दीपक नहीं हैं। उस कार्यालय का नामोंनिशान पटना के फ़्रेज़र रोड की मिटटी में मिल गया। आने-जाने वाले लोग, जो महाराजा साहेब को भी जानते थे, उनकी दान-वीरता को जानते थे, उनकी मानवीयता को जानते थे, देखे थे – अन्तःमन से उन्हें नमस्कार कर अश्रुपूरित अवस्था में आगे कदम कर लेते हैं। आखिर, वे भी करें तो क्या करें। 

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महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह (बीच में खाली पैर) दरभंगा के सरिसव-पाही गाँव में तत्कालीन शिक्षाविदों और विद्वानों के बीच 
महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह (बीच में खाली पैर) दरभंगा के सरिसव-पाही गाँव में तत्कालीन शिक्षाविदों और विद्वानों के बीच 

खैर। महाराजा साहेब, आपके उसी स्थान में महज एक चपरासी का बेटा आपके द्वारा स्थापित उन दो अख़बारों का नाम जीवित करने का संकल्प लिया है। इसमें आपके दरभंगा राज परिवार के किसी भी व्यक्ति का – चाहे घुटने कद का हो या आदम कद का – कोई योगदान नहीं है। क्योकि आपके जाने के साथ ही, राजवंश की मानवीयता समाप्त हो गयी। 

बहरहाल, बिहार की सड़कों पर, गलियों में, धूप में, बरसात में, आपके इन अख़बारों के कार्य करने वाले, भूख से तड़प-तड़प कर मेंरे वालों के तरफ से, तपते-भींगते सभी लोगो के तरफ से आपके जन्मदिन की मंगल कामना करता है यह वेबसाइट। आपके बारे में बहुत सारी बातें यहाँ लिखूंगा, लोग-बाग़ लिखेंगे और यह भी लिखने में कोताही नहीं करेंगे की कैसे पतन हो गया, कैसे नेश्तोनाबूद हो गया, कैसे मिटा दिए गया दरभागा राज को अपने ही लोगों ने। 

एक बार फिर जन्म दिन मंगलमय हो महाराजाधिराज

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