‘एव्रीथिंग इज फ़ेयर इन लव एंड वॉर’ – कहीं ‘धनानन्द’ से प्रेरित तो नहीं हैं ‘सन्यासी नितीश जी’ !!!

लालू के दो अनमोल रत्न -   तेज प्रताप और तेजस्वी यादव
लालू के दो अनमोल रत्न -   तेज प्रताप और तेजस्वी यादव

इधर बिहार विधान सभा की ओर जाने वाली प्रत्येक सड़क आज विजेता-नेताओं, परास्त नेताओं के पैरों तले रौंदे जा रही थी और उधर प्रदेश का राजनीतिक माहौल जलेबी छनते कराही में उबलते घी जैसा गर्म हो रहा था। मौसम में बदलाव के कारण, चाहे प्राकृतिक मौसम हो अथवा राजनीतिक; मतदाता से लेकर राज नेताओं के गर्दनों में रंग-बिरंगे वस्त्र लिपटे दिख रहे हैं। कुछ वर्ष पहले तक बिहार में, खासकर पटना शहर में ‘विदेशी-मूल’ के इस ‘जानना-वाला फैशन’ का प्रभाव नहीं पड़ा था। आज बहुत मुश्किल होता है पहचानने में चाहे मगध की राजधानी हो या बहादुर शाह ज़फर का सल्तनत। 

बहरहाल, एग्जिविशन रोड से आने वाली सड़क जब लखनऊ स्वीट हॉउस के पास डाकबंगला चौराहे को चुम्बन लेती है, एक रिक्शावाला अपने अगले हैंडिल से लटके बास्केट में रखे रेडियो पर सन 1963 में बनी फिल्म का एक मधुर गीत सुन रहा था। रिक्सावला से जब पूछा कि किस फिल्म का गीत है यह? अगली सांस लेने से पहले कहता है: फिल्म है “दिल ही तो है”, गीतकार हैं: साहिर लुधियानवी, संगीतकार है : रोशन और गायक हैं हरदिल अजीज़ मुकेश। और फिर गुनगुनाने लगा:

“तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं
तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी

अब अगर मेल नहीं है तो जुदाई भी नहीं
बात तोड़ी भी नहीं तुमने बनाई भी नहीं
ये सहारा ही बहोत है मेरे जीने के लिए
तुम अगर मेरी नहीं हो तो पराई भी नहीं
मेरे दिल को न सराहो मेरे दिल को न सराहो
तो कोई बात नही तो कोई बात नही
गैर के दिल को सराहोगी तो मुश्किल होगी।”

बहुत हिम्मत जुटाते उससे पूछा: किसको वोट दिया ? पटना में ही नहीं, बिहार में ही नहीं, भारत के किसी भी कोने में अगर ‘शालीनता’ से सवाल नहीं पूछेंगे तो लोगबाग समझेंगे की “कोई पत्रकार है”, और आजकल के युग में भारत के पत्रकारों की क्या स्थिति है वह तो “गुड़ का मार झोला ही जानता है”। मेरी नजर में अपनी आँखें डालकर वह कहता है: ‘आप तो पत्रकार जैसे दीखते जरूर हैं शरीर के हाव-भाव से, लेकिन बोली से पत्रकार नहीं लगते हैं।’ उसका यह कथन जैसे ‘भारतरत्न की उपाधि से अलंकृत’ होना था। 

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वह कहता है: जिसको वोट दिए जीतना तो उसी को चाहिए था, जीता भी, लेकिन मगध का राजा तो कभी धनानन्द भी था न हुज़ूर, सबों ने मिलकर कुचल दिया उस नौजवान को। आज तो इस बात से भी विस्वास उठ गया कि “देश का भविष्य युवाओ के हाथ में है या युवा ही इस देश के निर्माता हैं। ये बुढऊ लोग अपने जीवन में इतना छल-कपट सीख जाते हैं कि युवकों को, युवतियों को तब तक आगे आने का मौका नहीं मिलता जब तक बुढऊ नेता लोग गंगा माय के पास नहीं पहुँच जाते। आप ऊँगली पर गीन लीजिये किसके किसके मरने के बाद कौन-कौन बड़ा हो गया है।” रिक्सावला की बात को सुनकर ऐसा लगा जैसे हम हाल ही मरे विश्व के महान गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह से बात कर रहे हैं। खैर, डॉ सिंह का भी स्थानीय प्रशासन, सरकार और लोगबाग क्या हश्र किये, यह तो आज भी गुगुल महाशय के आँगन में लिखा पड़ा है। लेकिन ‘सत्य को सुनने का साहस किसके पास कई आज?”

अब तक रेडियों पर वह मधुर गीत समाप्त हो गया था और विज्ञापनों की दौड़ प्रारम्भ हो गया था। इसी बीच खबर मिला की प्रदेश के महामहीम फागु चौहान को बिहार विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों की सूची सौंप दी गई।मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच. आर. श्रीनिवास राजभवन पहुंचे और बिहार विधानसभा के नवनिर्वाचित 243 विधायकों की सूची राज्यपाल श्री चौहान को सौंपी दी। नवनिर्वाचित विधायकों की सूची सौंपे जाने के बाद बिहार में सरकार गठन की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। राज्यपाल बहुमत के आधार पर दलों को सरकार बनाने का न्यौता देंगे।

इधर, चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरे राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि जनता ने बदलाव के लिए जनादेश दिया, हम हारे नहीं, जीते हैं और राजग ने धन, बल, छल से जीत हासिल की। महागठबंधन के 109 विधायकों द्वारा आयोजित एक बैठक में सर्वसम्मति से गठबंधन का नेता चुने जाने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए तेजस्वी ने आरोप लगाया, ‘इस चुनाव में जनता ने अपना फैसला सुनाया है और चुनाव आयोग ने अपना नतीजा सुनाया है । जनता का फैसला महागठबंधन के पक्ष में है, चुनाव आयोग का नतीजा राजग के पक्ष में है । ‘

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उन्होंने आरोप लगाया, ‘जनता का जो जनादेश है और चुनाव आयोग के जो नतीजे हैं, उसमें बड़ा अंतर है । जनता का फैसला हमारे पक्ष में और नतीजा उनके पक्ष में । बिहार में यह कोई पहली घटना नहीं है। 2015 में जब महागठबंधन बना था तो उस समय जनादेश महागठबंधन के पक्ष में था लेकिन चोर दरवाजे से भाजपा सत्ता में आ गयी । बिहार के मुख्यमंत्री लालच या डर के कारण…. कहा जाता है कि भाजपा ने उन्हें हाईजैक कर लिया । आज सभी लोगों में आक्रोश है कि धन, बल और छल…. एक तरफ देश के बहुत ही शक्तिशाली प्रधानमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री और तमाम पूंजीपति रहे । जोड़, घटाव, गुणा, भाग सब कुछ करने के बावजूद 31 साल के इस नौजवान को रोकने में नाकाम रहे ।’

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर प्रहार करते हुए कहा, ‘जो डबल इंजन का चेहरा हैं और जो यह दावा किया करते थे कि इस चेहरे का कमाल है कि राजद को हमने कहां से कहां पहुंचा दिया (2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में), आज देखिए यह चेहरा तीसरे नंबर पर चला गया है । नीतीश कुमार जी और भाजपा के लोग साफ तौर पर यह समझ लें, यह जो जनादेश है यह बदलाव का जनादेश है । अगर थोड़ी सी अंतरात्मा और नैतिकता नीतीश कुमार जी में बची होगी तो उन्हें जनता के फैसले का सम्मान करते हुए कुर्सी से हट जाना चाहिए। नितीश कुमार कल तक सन्यास लेने की बात कहे थे। अखिरी के क्षणों में कम से कम अपने मुंह पर कालिख तो मत पोतवा के जाईए ।’’ 

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तेजस्वी ने कहा: “कुछ लोग भले ही कुर्सी पर बैठे हैं लेकिन महागठबंधन जनता के दिल में बैठा हुआ है। बिहार की जनता हमलोगों के साथ है । हम इसके लिए धन्यवाद यात्रा भी निकालेंगे । हमारा स्पष्ट मानना है कि हम हारे नहीं, जीते हैं।नीतीश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार में जो भी छल, कपट, धन और बल के सहारे बैठते हैं उनसे कहना चाहते हैं कि यह उनके लिए चार दिन की ही चांदनी है, अगर 19 लाख रोजगार सहित अन्य मामलों में जनवरी तक स्थिति नहीं सुधरी तो महागठबंधन आंदोलन छेड़ेगा। 

उन्होंने चुनाव के नतीजे पर प्रश्न उठाते हुए यह आश्चर्य जताया कि इस चुनाव में राजग और महागठबंधन के कुल मतों का अंतर केवल 12,270 है पर इतने वोटों में राजग ने 15 सीटें जीतीं। तेजस्वी ने पोस्टल बैलट पेपर की गिनती की निर्धारित प्रक्रिया और आरा में रात के अंधेरे में एक वाहन से पोस्टल बैलट पेपर बरामद होने का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में जागरुक मतदाताओं के पोस्टल बैलट को रद्द किया गया और हमारी बातें नहीं सुनी गयीं। दोबार गिनती कराईए । आपके पास सारे दस्तावेज हैं । सब दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा कि कौन किसके दबाव में और इशारे पर काम कर रहा है ।
उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि मतगणना की प्रक्रिया अपराह्न तीन बजे पूरी कर ली गयी और रात के 11 बजे प्रमाण पत्र दिया गया । मेरा तो 37 हजार के मतों का अंतर था, लेकिन जहां कम मतों का अंतर था वहां पोस्टल बैलट 900 की संख्या में रद्द किए गए । यह पूछे जाने पर कि क्या महागठबंधन सरकार बनाने का प्रयास करेगी तो तेजस्वी ने कहा कि जनता ने बदलाव का जनादेश दिया है और जो लोग बदलाव के साथ हैं और इन चीजों को समझेंगे वे जरूर अपना फैसला लेंगे ।   (पीटीआई/भाषा के सहयोग से)

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