‘दिल्ली’ से नितीश के ‘इम्पोर्टेड’ सलाहकारों ने ‘नीम और करैले’ का स्वाद दिलाया चुनाव में, “बौना” बना दिया तेजस्वी के सामने 

बिहार चुनाव परिणाम : अपने-अपने जीत की संख्या-पट्टी को लिए नेतागण 
बिहार चुनाव परिणाम : अपने-अपने जीत की संख्या-पट्टी को लिए नेतागण 

कौन पिता नहीं चाहता है कि उसका सन्तान उसे परास्त करे। चाहे भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हों अथवा जनता दल युनाइटेड के नेता नितीश कुमार हों – चुनाव परिणाम के बाद, नई सरकार बनाने के लिए तत्पर जरूर होंगे, लेकिन जब अपने-अपने अंतरात्मा से वार्तालाप करेंगे तो दोनों स्वयं को राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता तेजस्वी यादव के सामने “बौने” जरूर पाएंगे। वैसे राजनीति में “अन्तरात्मा की बात” कोई सुनते नहीं, वह भी कलयुग में। 

नितीश कुमार भले ‘स्वयं को आईने के सामने नहीं आंके’, लेकिन अपने को बहुत “नीचे”, बहुत “परास्त”, एक हारा हुआ, हाँफता हुआ “राजनेता” मानते होंगे। अगर ऐसा नहीं होता तो पिछले चुनाव की तुलना में इस वर्ष 32 सीटों की कटौती नहीं होती। पार्टी के अंदर के कुछ ख़ास लोग, जिनपर नितीश कुमार, बहुत विस्वास करते थे, जिनके कंधे पर हाथ रखकर गप-शप करते थे; वे सभी खेल-खेल दिए नितीश के साथ। आतंरिक सूत्रों के अनुसार नितीश कुमार दिल्ली के एक अच्छा-खासा काफिला को पटना सचिवालय और पार्टी के क्रिया-कलाप से जोड़े थे, ताकि चुनाव में “कुछ अच्छा हो जाय – कुछ मीठा हो जाय।” लेकिन सबों ने “करैले और नीम का स्वाद दिया उन्हें। नहीं तो आज “ताड़ से गिरे – ख़जूर पर लटके” वाली स्थिति नहीं होती। 

वैसे बिहार में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष की कड़ी चुनौती को पार करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत प्राप्त कर बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल कर लिया। लेकिन यदि देखा जाय तो नितीश कुमार और उनकी पार्टी का स्थान इस संख्या में नगण्य है। यह नितीश भी जानते हैं और उनके गठबंधन वाली भाजपा भी। राजनितिक समीक्षक तो यहाँ तक कह रहे हैं कि : “इस चुनाव परिणाम में न केवल जनता दाल (युनाइटेड) पार्टी बल्कि भाजपा के आला नेता भी राष्ट्रीय जनता दल के 30-वर्षीय नेता तेजस्वी यादव के सामने बौने दीखते  हैं। वजह यह है कि तेजस्वी यादव अपने बूते पर 75 सीट पार्टी के झोले में डाले।  जबकि देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी की अगुआई में भाजपा यादव की पार्टी से एक सीट काम और नितीश कुमार राजद से 43 सीट कम। इसे कैसे आंकेंगे। हारना – जीतना, सरकार बनाना यह सब अलग बात है, सच तो यह है कि आज यह चुनाव परिणाम सबों को अपनी-अपनी ऊंचाई दिखा दिया है। 

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भले ही राजग ने बहुमत हासिल किया है, लेकिन इस चुनाव में विपक्षी ‘महागठबंधन’ का नेतृत्व कर रहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में उभरा है। मतगणना के शुरुआती घंटों में बढ़त बनाती नजर आ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 16 घंटे चली मतों की गिनती के बाद 74 सीटों के साथ दूसरा स्थान मिला। विपक्षी महागठबंधन ने कुल 110 सीटें जीतीं। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद के सर्वाधिक सीटें हासिल करने के बावजूद महागठबंधन बहुमत हासिल नहीं कर पाया।

राजग के बहुमत हासिल करने के साथ ही नीतीश् कुमार के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की राह साफ हो गई है। हालांकि इस बार उनकी पार्टी जद(यू) को 2015 जैसी सफलता नहीं मिली है। जद(यू) को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं। उस समय कुमार ने लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव जीता था। नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा समेत राजग पहले ही कुमार को मुख्यमंत्री पद का अपना उम्मीदवार घोषित कर चुका हैं। इसलिए भले ही कुमार की पार्टी का प्रदर्शन गिरा है, कुमार चौथी बार सरकार का नेतृत्व करेंगे।

बहरहाल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत पर पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को उनके आवास पर जाकर बधाई दी।  बिहार विधानसभा के मंगलवार को आये नतीजों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने विजय हासिल की है और भाजपा ने 74 सीटें जीती हैं। 

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इधर बिहार विधानसभा चुनाव और अन्य राज्यों में हुए उपचुनाव में मिली जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए भाजपा नेताओं ने मंगलवार को कहा कि बिहार के मतदाताओं ने जातिवाद, वंशवाद और तुष्टीकरण की राजनीति को खारिज कर दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि देशभर के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है और केंद्र व राज्य सरकारों की जन कल्याणकारी नीतियों पर मुहर लगाई है। उन्होंने कहा, ‘बिहार के हर वर्ग ने फिर एक बार खोखले वादे, जातिवाद और तुष्टिकरण की राजनीति को सिरे से नकार कर राजग के विकासवाद का परचम लहराया है।’

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