नितीश बाबू!! यह बिहार है। यहाँ लोग “जलपान” भी आपका कर लेंगे और “मतदान” वाले बक्से से “यू-टर्न” भी ले लेंगे 

"चेतावनी" : "लेफ़्ट टर्न नॉट फ्री" - "डू नॉट हाँक" 

यह बिहार है नितीश जी।  आप बहुत पुराने परिचित हैं, बिहारी तो हैं ही। बिहार और बिहार के लोगों को आप गुजराती मोदीजी से अधिक जानते हैं। यहाँ के लोग-बाग़, मतदाता सहित, हमेशा “मौके की तलाश” में नहा-धो कर, स्नो-पॉवडर लगाकर, सेंट-परफ्यूम महीनो से पहने कपड़ों पर छिड़ककर “बैठे रहते” हैं – जईसने मौका मिल लई,  छोड़छाड़ के छलाँग लगा देतव्” क्योंकि यह बिहार है। यहाँ ले लोग “जलपान” भी आपका कर लेंगे और “मतदान” वाले बक्से से यू-टर्न भी ले लेंगे चाहे दिल्ली के राजपथ पर, विजय चौक के चौराहे पर, भारत के संसद से ‘ढेला-फेकने-पहुँचने’ वाली दूरी पर, प्रधान मन्त्री कार्यालय से, राष्ट्रपति  भवन से सार्वजनिक हित में भले ही “चेतावनी” लिखा हो: “लेफ़्ट टर्न नॉट फ्री” – “डू नॉट हाँक” – यहाँ तो “लेफ़्टिस्ट” भी “लेफ़्ट टर्न” लेने लगे हैं और “भौंकने” की तो बात ही छोड़िए !!!! 

बहरहाल, लोकतंत्र का महाकुम्भ होना यानि घर से बाहर निकलें, नाक-मुंह ढंकें और मतदान केंद्रों पर पहुंचकर अपने राजनीतिक आराध्य के लिए हाथों में रोशनाई लगाएं, गवाह बने की आपने मतदान किया है। विगत लोक सभा चुनाव में बिहार के पड़ोसी राज्य के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ  साहेब ने लोकतन्त्र के महाकुम्भ यानि चुनाव को “सांस्कृतिक महाकुम्भ” भी कहा था और लोगों से आह्वान भी किया था कि उस सांस्कृतिक महाकुम्भ में “डुबकी” जरूर लगाएं  । 

कल योगी जी कहे थे कि इस सांस्कृतिक महाकुम्भ में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें, साथ ही, नए भारत के निर्माण में अपनी-अपनी भागीदारी जरूर निभाएं ।   विगत लोक सभा चुनाव के बाद बिहार में होने वाला यह विधान सभा का चुनाव भी कम महत्वपूर्ण नहीं है, न प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए और न ही बिहार के वर्तमान मुख्य मंत्री नितीश कुमार के लिए। लेकिन नरेन्द्र मोदी और नितीश कुमार में अंतर है – सोच में। 

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बिहार विधान सभा के लिए होने वाले तीन-चरणों के चुनाव में नरेन्द्र मोदीजी प्रारम्भ से ही बिहार के मतदताओं को अधिक से अधिक मतदान करने के लिए आह्वान करते आ रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘बिहार विधानसभा चुनावों में आज दूसरे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. सभी मतदाताओं से मेरी अपील है कि वे भारी संख्या में मतदान कर लोकतंत्र के इस उत्सव को सफल बनाएं.’  चाहे प्राथन चरण हो या द्वितीय चरण प्रधान मन्त्री लगातार, बार-बार ट्वीट कर बिहार के मतदाताओं को जागृत करने का प्रयास करते आ रहे हैं और कह रहे हैं: 

प्रथम चरण के मतदान में मोदीजी ट्वीट करते हैं: “बिहार विधानसभा चुनावों में आज पहले दौर की वोटिंग है। सभी मतदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे कोविड संबंधी सावधानियों को बरतते हुए, लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करें। दो गज की दूरी का रखें ध्यान, मास्क जरूर पहनें। याद रखें, पहले मतदान, फिर जलपान!’    फिर द्वितीय चरण में ट्वीट करते हैं:  ‘बिहार विधानसभा चुनावों में वोट डाले जाएंगे. सभी मतदाताओं से मेरी अपील है कि वे भारी संख्या में मतदान कर लोकतंत्र के इस उत्सव को सफल बनाएं.’  

आज शनिवार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को बिहार के मतदाताओं से कहा राज्य विधानसभा चुनावों में आज तीसरे और आखिरी चरण का मतदान है और सभी से मेरी विनती है कि वे अधिक से अधिक संख्या में लोकतंत्र के इस पावन पर्व में भागीदार बनें और वोटिंग का नया रिकॉर्ड बनाएं। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 15 जिलों की 78 पर आज तीसरे और अंतिम चरण के लिये वोट डाले जा रहे हैं। 

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प्रधान मंत्री फिर ट्वीट किए और मतदाताओं से अपील  कर कहे: “बिहार विधानसभा चुनावों में आज तीसरे और आखिरी चरण का मतदान है। सभी मतदाताओं से मेरी विनती है कि वे अधिक से अधिक संख्या में लोकतंत्र के इस पावन पर्व में भागीदार बनें और वोटिंग का नया रिकॉर्ड बनाएं। और हां, मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान भी अवश्य रखें ।”

स्वतन्त्र भारत में मतदान के लिए इतना चिंतित शायद नरेन्द्र मोदी जी पहले प्रधान मंत्री होंगे जो मतदाताओं को बार-बार-लगातार जागृत कर रहे हैं – और जब चुनाव बिहार में हो तो बात ही कुछ अलग है।

वजह भी है – आखिर दिल्ली के राजपथ के ऊपरी छोड़ पर स्थित दफ्तर में जब मोदीजी का दफ्तर हो और भारतीय जनता पार्टी “सर्वशक्तिमान” हो तो बिहार में बिहारी मोदी-जूनियर नितीश कुमार के “पिछलग्गू” क्यों बने रहें विगत 15-वर्षों से। और गुजराती मोदीजी के रहते बिहारी मोदी-जूनियर” का यह “हश्र” हो,  यह गुजरात के लोगों को कतई पसंद नहीं है। “टाँग-खींचने की प्रथा बिहार में, बिहारियों में ही है। बिहार के अलावे किसी भी प्रदेश के लोग, चाहे पंजाबी हो, बंगाली हों, हिमाचली हों, असमी हों, कश्मीरी हों,  हरियाणवी हों, अपने प्रदेश के लोगों के बचाव के लिए चतुर्दिक ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। 

आश्चर्य यह है कि बिहारी बाबू यानि नितीश कुमार जी विगत चीन चरणों के चुनाव में कभी भी श्रृंखलाबद्ध तरीके से अपने ही प्रदेश के लोगों को मतदान करने के लिए जागृत नहीं किये। अलबत्ता, हाथ-पैर जोर रहे हैं – अंतिम बार वोट दे दीजिये. मैं राजनीति से, चुनाव से अब सन्यास लेने जा रहा हूँ।

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इसका दो ही अर्थ हो सकता है – या तो वे माननीय प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के “घर वापसी” सिद्धांत में विस्वास रखते हैं और दसक पहले जो “विदक-कर” बाहर निकलकर मुँह फुला लिए थे, मोदीजी की हँसी और कोविड वाले लुक में सम्मोहित हो गए हों।

दूसरी: या तो बिहार के लोगों से, उनके व्यवहार से, उनका स्थावर-जैसा व्यवहार से तंग आ गए हों। नितीश जी शायद यह सोचे होंगे की क्या वे “ठेका” लिए हैं प्रदेश के विकास का? जब लोग-बाग़ भी कुम्भकरण जैसा हों। शायद यह भी सोचते होंगे की आखिर, बिहार के पास है ही क्या? जो था वह तो बिहार का कलेजा काटकर झारखण्ड बना दिया। थक गए होंगे, तंग आ गए होंगे – इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से हार स्वीकार कर गुजरती मोदीजी और बिहारी मोदी जी को आगे निकलने के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिए होंगे। 

उससे भी आश्चर्य तो यह है कि जिस श्रृंखलाबध्द तरीके से भाजपा के घुटना-कद से आदम-कद तक के नेता प्रदेश के मतदाताओं को जागृत किये वोट देने के लिए, नितीश कुमार के कोई भी अनुयायी, कोई भी व्यक्ति जो आज तक बगल के खड़े होकर तस्वीर खींचते रहे, अपने-अपने घरों के दीवारों पर लटकाते रहे, स्थानीय लोगों को, अधिकारीयों को उन तस्वीरों को दिखाकर धमकाते रहे, लटकाते रहे, फायदा उठाते रहे – सब के सब ऊँचे दीवारों पर जा बैठे की कब समय सापेक्ष हो और दूसरी पार्टी, जो सत्ता में आये आगामी 10 नबम्बर को उनके आँगन में छलांग लगा दें। 

 

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