क्या नितीश बाबू बिहार के “सेरोगेटिभ” मुख्य मन्त्री हथिन, ‘काहे कि ऊ तो 1985 के बाद चुनाव लड़लथिन कहाँ?’

बाबू नितीश कुमार -
बाबू नितीश कुमार - "पंजा" इस कदर दिखा रहे हैं जैसे मतदाता को कह रहे हों, हम नहीं "इनके" वोट दीजियेगा 

विज्ञान में चाहे जितना भी चमत्कार हो जाय, एक विवाहिता को जब कोई आशीर्वाद देता अथवा देतीं हैं तो अन्तःमन से निकलता है “दूधे नहाओ – संताने फलो” (पुते फलो नहीं लिखूंगा क्योंकि समय बदल रहा है और संतान मने सन्तान, प्रसव-पीड़ा दोनों में बराबर होती है) – यह आशीर्वाद भी उन्ही महिलाओं के लिए होता है जो सन्तान जन्म देने में विस्वास रखती हैं। एक महिला से माँ बनना चाहती हैं। प्रसव पीड़ा को महसूस करना चाहती हैं, न कि “सेरोगेटिभ” माँ। यानि चाय नौकरानी बनाये और मेहमान से गृहस्वामिनी पूछें की “कैसी चाय बानी है?”

बिहार में सं 1985 के बाद से वर्तमान मुख्य मंत्री कभी प्रत्यक्ष रूप से विधान सभा का चुनाव नहीं लड़े हैं, लेकिन “सेरोगेटिभ मुख्य मन्त्री” बनते आये हैं।

इधर, देश के प्रधान मंत्री बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को भांप लिए हैं। वे जान गए हैं कि नितीश कुमार का पलड़ा हल्का है इस बार। इसलिए प्रदेश के मतदाताओं को चिठ्ठी लिख रहे हैं कि वे आगामी तीसरे चरण के चुनाव में नितीश कुमार को ही वोट दें। जनता दल (युनाइटेड) से ही प्रदेश का विकास संभव है।

बख्तियारपुर के जमीन्दार साहेब को गुजराती बाबू लपेट लिए। नितीश बाबू यहाँ नरेन्द्र मोदी जी के “जाल” में फंस गए। नितीश बाबू भूल गए कि भाजपा के साथ ही अपने जीवन का अन्तिम सांस लिए हैं “बिहार के बैरोमीटर” (दिवंगत राम विलास पासवान जी) जिनकी अंतिम शिक्षा को भले उनका बेटा “डिसाइफर” नहीं कर पाया हो, मोदीजी और अमित शाह जी उस “पेन्सिल द्वारा खींची गयी रेखाओं को शब्दों में अंकित कर लिए, जिसका अर्थ है – उन्हें नमस्कार कर दें।

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नितीश कुमार कौन मुंह से, किस दिशा में खड़े होकर प्रदेश की जनता से कह रहे हैं कि “मुझे अंतिम बार वोट दीजिये” – कभी लड़े हैं नितीश बाबू सन 1985 से। धमदाहा में वर्तमान विधायक लेखी सिंह के लिए प्रचार के दौरान नितीश कुमार कहते हैं: “और जान लीजिए, आज चुनाव का आख़िरी दिन है और परसो चुनाव है। और यह मेरा अंतिम चुनाव है। अंत भला तो सब भला।”

बहरहाल, तीसरे एवं अंतिम चरण के चुनाव में दरभगा जिले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी सातवीं बार जीत का सेहरा बांधने की आस में हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संजय सरावगी चुनावी पिच पर पांच का दम दिखाने पुरजोर कोशिश में हैं। पान-मखान-दही-माछ की पहचान लिए और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध दरभंगा जिले की दस सीटो में से पांच सीट कुशेश्वरस्थान (सु), गौराबौराम, बेनीपुर, अलीनगर और दरभंगा ग्रामीण में दूसरे चरण में तीन नवंबर को मतदान हो चुका है जबकि पांच अन्य सीट दरभंगा शहर, हायाघाट, बहादुरपुर, केवटी और जाले सीट पर तीसरे चरण के तहत सात नवम्बर को मतदान होना है  

इधर, मधेपुरा जिले में जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो और पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव तथा पूर्व सासंद शरद यादव एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दो मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव और रमेश ऋषिदेव की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुयी है। बिहार के कोसी इलाके की हाईप्रोफाइल मधेपुरा विधानसभा सीट का चुनाव महज एक सीट भर की बात नहीं है बल्कि इसे प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (प्रलोग) के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की प्रतिष्ठा से जोड़कर भी देखा जा रहा है। महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के निवर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के टिकट पर मंडल आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के पौत्र निखिल मंडल भी बाजी अपने नाम करने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साकार सुरेश यादव मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की प्रयास में लगे हैं। इस सीट पर 18 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। वर्ष 2015 में राजद के प्रो. चंद्रशेखर ने भाजपा के विजय कुमार विमल को 37642 मतों के अंतर से मात दी थी।  

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जबकि, चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के नौ नवंबर को जेल से बाहर आने का दावा करने वाले उनके पुत्र और बिहार विधानसभा के चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद यादव एवं पार्टी को झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत पर सुनवाई की तिथि आगे बढ़ाए जाने से राजद सुप्रीमो के जेल से बाहर आने के लिए अभी और इंतजार करना होगा।  

न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की अदालत में आज दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में श्री लालू प्रसाद यादव की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस पर जवाब दाखिल करनेेे के लिए समय देने की मांग की। इसके लिए अदालत ने सीबीआई को 24 नवंबर तक का वक्त दे दिया । अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर निर्धारित की है। 

मामले में श्री यादव के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने कुछ दिन पूर्व दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में जमानत याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने आग्रह किया कि श्री यादव ने इस मामले में आधी सजा काट ली है इसलिए इन्हें जमानत दे दी जाए। हालांकि जमानत पर सुनवाई को लेकर नौ नवंबर 2020 की तारीख तय थी, लेकिन राजद अध्यक्ष के अधिवक्ता ने छह नवंबर को ही इनसे जुड़े मामले में जमानत पर सुनवाई करने का आग्रह किया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था। चारा घोटाला में सजायाफ्ता श्री यादव फिलहाल रांची के राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) स्थित केली बंगले में रह रहे हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण रिम्स में इलाजरत राजद अध्यक्ष को केली बंगला में शिफ्ट किया गया था।

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श्री यादव 23 दिसंबर 2017 से चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं। दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत इन्हें सजा सुना चुकी है। वहीं, देवघर और चाईबासा मामले में उन्हें जमानत मिल चुकी है।उल्लेलखनीय है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में राजद सुप्रीमों श्री यादव को सात साल की सजा सुनाई है।

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