30-वर्ष की आयु में नितीश बाबू आप भी “चाणक्य नहीं, अनुभवहीन” ही थे, यह तो “राजनीति” है 

बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार
बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार

जैसे-जैसे नितीश कुमार की उम्र अधिक हो रही है, चेहरा डॉ जगन्नाथ मिश्र जैसा हो रहा है। और सोच तो हो ही गया है। तभी उन्हें इस बात का गुमान हो गया है कि बिहार के “सबसे बड़े पालनकर्ता” हैं वे; साथ ही, बहुत अच्छे भाषणकर्ता हैं। तभी तो प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधा और कहा कि उसको कोई ज्ञान नहीं है, केवल बोलता रहता है। अब नितीश बाबू को कौन समझाए की “३०-वर्ष की आयु में इतना बोलना भी एक कला है।” अब अगर बेगूसराय में यह बात कह रहे हैं तो इसके पीछे कोई न कोई राजनीति अवश्य होगी। आप अपने अभ्यर्थी को देखें, उनके लिए मतों को जुटाएं । वैसे ३०-वर्ष की आयु में नितीश बाबू आप भी ज्ञानहीन ही थे और मुख मंत्री कार्यालय का अनुभव तो 50 वर्ष में हुआ।
 
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुमार ने बेगूसराय और वैशाली जिले में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवारों के पक्ष में शनिवार को आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा,  “उसको  ज्ञान नहीं है, केवल बोलता रहता है। उसके पास न तो ज्ञान है और न ही काम का अनुभव केवल मेरे खिलाफ बोलकर चर्चा में बने रहना चाहता है। लेकिन इससे मुझे कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि हम सिर्फ काम करने पर भरोसा करते हैं। श्री कुमार ने राज्य की जनता को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल में बिहार की स्थिति की याद दिलाते हुए कहा कि उनकी सरकार बनने से पहले बिहार की क्या स्थिति थी, वह सबको पता है। लोग शाम को निकल नहीं पाते थे लेकिन उनकी सरकार ने प्रदेश में कानून का राज कायम किया है और आज बिना डर और भय के लोग रह रहे हैं।  

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