पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपने सभी ताम-झाम के साथ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायाण चौधरी के साथ आगामी 28 अक्टूबर को हाइप्रोफाइल इमामगंज (सुरक्षित) सीट पर टकराएंगे। मांझी की बात छोड़िये, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष की प्रतिष्ठा दाव पर है। श्री मांझी ने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रत्याशी उदय नारायाण चौधरी को 29408 मतों के अंतर से पछाड़ा था ।
कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नमक का बाल रहे श्री चौधरी इस बार जदयू का साथ छोड़कर “लालटेन” थाम लिए हैं। जबकि मांझी एक बार फिर से मुख्यमंत्री नितीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गये हैं। कहा जाता है कि इन दोनों वरिष्ठ नेताओं की राजनीतिक दुश्मनी उस समय से है जब श्री मांझी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले श्री चौधरी के खिलाफ नक्सलियों से संबंध होने और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता राजेश कुमार की हत्या में उनकी संलिप्तता होने के आरोपों की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो से कराने की संस्तुति कर दी थी। श्री चौधरी ने इसके बाद राज्यसभा चुनाव के समय श्री मांझी के समर्थक आठ विधायकों की मान्यता रद्द कर दी थी और उन्हें असंबद्ध सदस्य घोषित कर दिया था। (वार्ता के सौजन्य से)