* तेजस्वी यादव बाबू, चुनाव-प्रचार-प्रसार के दौरान यह भी तो बता दीजिये की ’10-लाख’ स्थायी रोजगार बिहार में ही देंगे या किसी निजी एजेन्सी से ‘आंकड़ा एकत्रित’ कर ‘सम्पूर्ण देश में रोजगार करने वालों को मिलाकर आंकड़ा देंगे?
* ‘संविदा प्रथा’ अगर समाप्त कर देंगे तो फिर अधिकारियों/राजनेताओं को मिलने वाला ‘कट’ कहाँ ‘समायोजित’ करेंगे ?
* किसानों का ‘ऋण माफ़’ करेंगे तो बैंक को अथवा सरकार को उस ऋण का पैसा कौन चुकाएगा – सरकार या प्रदेश की जनता ?
वैसे ही बिहार में शैक्षिक स्तर और साक्षरता-दर बहुत कम है। पुरुष 72 फीसदी साक्षर है और महिलाओं का 52 फ़ीसदी। यानि महिलाओं की साक्षरता-दर पुरुषों की तुलना में 20 फीसदी कम है। ऐसा “गोल-गोल बात करेंगे तो लोगबाग नहीं समझेंगे”, मुझ जैसा मुर्ख तो नहीं ही समझेगा और जब मतदाता नहीं समझेंगे तो “उँगलियाँ” भी इधर-उधर जा सकती है। इसलिए दोनों तरफ से आश्वस्त हो लें, कर दें। स्पष्टता बहुत आवश्यक है – तभी चुनाव में विधायकों की संख्या बढ़ सकती है।
बहरहाल, बिहार के मतदातागण, गाँठ बाँध लीजिए – अगर कोई नेता कहते हैं, कोई राजनीतिक पार्टियां लुभाती है यह कहकर की वे आपको “रोजगार” देंगे, वे आपको “बेहतरीन शिक्षा” देंगे, वे आपको “दुनिया का सबसे किफ़ायती चिकित्सा सुविधा देंगे – वह भी दिल्ली, मुंबई, बंगलोर, जर्मनी, लन्दन, अमेरिका जैसे शहरों और देशों में मिलने वाली सुविधा जैसी – आप तुरंत 100 रुपये के रेवेन्यू कागज पर लिखवाकर उनका हस्ताक्षर ले लें। साथ ही, उनसे यह भी विस्तार में लिखा लें की किन-किन सरकारी क्षेत्रों के निकायों में “रोजगार” देंगे? कौन-कौन अस्पतालों में “चिकित्सा-सुविधा” मिलेगी?
आज़ादी के बाद, यानि पिछले 74 वर्षों में आप मतदातागण कभी उनसे पूछे नहीं, इसलिए आपको वे कमजोर, निरीह, दीन, लोभी, कामचोर समझ बैठे हैं। एक बार जैसे ही आप “अपनी औकात” दिखा देंगे उन्हें, उनकी औकात आपके सामने घुटने में दिखाई देगी। क्योंकि सभी राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाती है, बरगलाती हैं, अपनी ओर आकर्षित करती हैं – ताकि आप उन्हें वोट दे दें। एक बार जैसे ही आप वोट दिए और वे जीतकर विधान सभा पहुँच गए, अगले पांच साल के लिए आप “कुम्भकरण” बन जाएँ – कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें की आप जीवित हैं अथवा ईश्वर के पास चले गए !!
आजकल नेता लोग चुनाव प्रचार में कह रहे हैं कि वे “संविदा प्रथा” (कॉन्ट्रेक्चुअल सिस्टम) समाप्त कर देंगे। गलत कह रहे हैं वे। बिहार के न्यूनतम तीन ऐसे व्यक्ति हैं जिनका सम्बन्ध भारतीय राजनीतिक व्यवस्था से करीब पांच-सात दसक और पहले से है। वे सम्पूर्ण देश में कॉन्ट्रेक्चुअल सिस्टम के आधार पर “सुरक्षाकर्मियों” को उपलब्ध कराते हैं। स्वाभाविक है प्रति सुरक्षाकर्मी के अनुसार जितने पैसे वे संस्थान अथवा सरकारी निकायों से लेते हैं, सम्पूर्ण पैसे उस सुरक्षा कर्मियों को नहीं देते होंगे। ये सुरक्षाकर्मी सरकारी/गैर-सरकारी-निजी संस्थानों/निकायों में तैनात किये जाते हैं। औसतन प्रति सुरक्षाकर्मी के लिए उस संस्थान से जितने पैसे लिए जाते हैं, उस सम्बद्ध सुरक्षाकर्मी को जितने पैसे दिए जाते हैं – उसके बाद उनकी जेब, यानि जो संसथान के मालिक है, सुरक्षा एजेन्सी चलते हैं, उनकी जेब में न्यूनतम 5000-7000 रुपये प्रति सुरक्षाकर्मी जाता है।
भारत में करीब 70 लाख निजी-सुरक्षाकर्मी हैं। इसमें करीब 50 फीसदी बिहार के सुरक्षाकर्मी बिहार के तीन लोगों के द्वारा संचालित क़ुतुब मीनार की ऊंचाई वाले तीन सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराये जाए हैं। वैसे भी बिहार के लोगों का गणित, देश के आम लोगों की गणित से बेहतर तोता है, यह सर्वमान्य है – इसलिए जरा गणना कीजिये : 35,00,000 x 5000 = 17500000000 रुपये प्रतिमाह। अब आप गणना स्वयं करें की इतनी “मोटी राशि प्रतिमाह बिना किसी नेताओं के ‘हैंडशेक’ से संभव है? बैठकर सोचिये, फिर उँगलियों में कालिख पोतिये।
बहरहाल, यह सब बातें इसलिए हो रही हैं कि राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई वाले महागठबंधन ने आज अपना चुनावी घोषाणा पत्र “प्रण हमारा संकल्प बदलाव का” जारी करते हुए 10 लाख युवाओं को स्थायी नौकरी, शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने, संविदा प्रथा समाप्त करने और किसानों का ऋण माफ करने का वादा किया है ।
महागठबंधन की ओर से “नवमीं-पास” मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने कहा कि परीक्षा के लिए भरे जाने वाले आवेदन फॉर्म नि:शुल्क होंगे और परीक्षा केंद्रों तक जाने का किराया भी सरकार देगी । यादव जी यह भी कहते हैं कि संविदा पर होने वाली बहाली को खत्म कर स्थायी नौकरी देंगे। शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देंगे। जीविका दीदियों का मानदेय दोगुना कर देंगे। मनरेगा की तर्ज पर रोजगार योजना शुरू करने, मनरेगा के तहत प्रति परिवार की बजाय प्रति व्यक्ति को काम का प्रावधान करेंगे। न्यूनतम वेतन की गारंटी और कार्य दिवस को 100 से बढ़ाकर 200 कर देंगे। पहले विधानसभा सत्र में केंद्र के कृषि संबंधी तीनों बिल के प्रभाव से बिहार के किसानों को मुक्ति दिलाने और किसानों का ऋण माफ कर देंगे।
तेजस्वी बाबू, आप भी “आप” के तर्ज पर जा रहे हैं। सभी चीज मुफ्त में देंगे, माफ़ कर देंगे, तनखाह दो-गुना कर देंगे, तो लगे हाथ यह भी बता दीजिये लोगों को यह सब आर्थिक-भार कौन वहां करेगा? आप मुख्य मंत्री बनते ही “अतिरिक्त कर लगाएंगे? वस्तुओं-सेवाओं की कीमत दुगुनी करेंगे? कहते हैं “लोभी गाँव में ठग भूखा नहीं रहता – इसमें कौन लोभी और कौन ठग – यह भी बता दीजिये ।