बिस्मिल्लाह खान का नाम फिर सुर्ख़ियों में – ‘शहनाई’ के लिए नहीं, ‘घर के टूटते दीवारों’ के कारण 

ईंट-ईंट  अलग होता ईंट। 
ईंट-ईंट  अलग होता ईंट। 

एक बार फिर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का बनारस चर्चा में हैं। वजह है पारिवारिक जंग और घर का टूटता दीवार।  लेकिन स्थानीय प्रशासन की मुस्तैदी से घर का टूटना तो रुक गया, परन्तु दिलों का जुड़ना शायद सम्भव नहीं  दीखता। उस्ताद के गुजर जाने के बाद पिछले 14-वर्षों से सराय हरहा स्थित पुस्तैनी घर और घर लोगबाग किसी-न-किसी प्रकार से अख़बारों के पन्नों पर रहे हैं। कभी “शहनाई” की चोरी को लेकर तो कभी “आपसी टकराव” को लेकर। 

सिर्फ एक चीज, जिसके कारण बनारस ही नहीं, बिस्मिल्लाह खान भी जाने जाते थे; वह कभी समाचार नहीं बन पाया, अखबारों, टीवी के सुर्ख़ियों में नहीं आ सका  – “शहनाई। बिस्मिल्लाह के इंतकाल के बाद शहनाई तो शांत हो गयी, लेकिन जायदात उछलने लगा। लेकिन स्थानीय प्रशासन की सामयिक पहल के कारण दीवारों का टूटना रोक गया। 

स्थानीय लोगों का मांनना है कि भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के घर का विवाद पूरी तरह से पारिवारिक है। इसको लेकर शहर में भी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। काशी के प्रबुद्धजनों की राय है कि सरकार अगर उस्ताद की धरोहर को संरक्षित करने की पहल करती है तो वह उस्ताद के परिजनों को उचित मुआवजा व संरक्षण प्रदान करे।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की धरोहर और निवास स्थान पारिवारिक जंग का अखाड़ा बन गई है। हड़हा सराय में स्थित उनका मकान अब जर्जर हो चुका है, जिसे परिवार का एक पक्ष नए सिरे से तोड़कर नया बनवाना चाहता है जबकि दूसरा पक्ष इसे संरक्षित करना चाहता है। उनका कहना है कि यहां खान साहब की यादें हैं जिन्हें हम नहीं मिटाना चाहते हैं। 

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के पौत्र मोहम्मद शिब्तैन के अनुसार मकान काफी जर्जर हो गया है। जिसको बनवाने के लिए वह ऊपर के कुछ कमरे तुड़वाने के लिए मजदूर लगवा चुके थे। छत का कुछ ही हिस्सा टूटा ही था कि तभी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की बड़ी पुत्री जरीना बेगम वहां पहुंची और काम को रुकवा दिया। इस जर्जर घर में परिवार के 40 लोग रहते हैं। भविष्य में कोई अनहोनी न हो जाए, इसको देखते हुए मकान का कुछ हिस्सा तोड़कर नया निर्माण कराना चाह रहे हैं।  शिब्तैन के अनुसार दादा की निशानी तोड़ना कभी भी नहीं चाहूंगा। दादा का निधन हो जाने के बाद उनकी सारी निशानी को संभाल कर रखी है।  

ये भी पढ़े   सोहाग के पावनि के अतिरिक्त महिलाक बुद्धिमताक पावनि अछि बरसैत, सावित्री-सत्यवानक कथा दृष्टान्त अछि (मिथिलाक पावैन-तिहार:1)

बहरहाल, पिछले दिनों वीडीए के जोनल अधिकारी और प्रवर्तन के जेई के नेतृत्व में पहुंची टीम ने भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के घर पहुंचकर काम रुकवा दिया है। साथ ही इसकी नगर निगम को भी सूचना दी गई है।वीडीए वीसी राहुल पांडेय ने बताया कि कोई भी नया निर्माण करने से पहले विकास प्राधिकरण से अनुमति लेनी होगी। ध्वस्तीकरण से संबंधित जो भी कार्रवाई होगी, वह नगर निगम अपने स्तर से कराएगा। वीसी ने बताया कि उस्ताद के पांच पुत्रों में से एक मेहताब हुसैन के बेटे मो. शिफतैन दूसरी मंजिल के जर्जर हो चुके एक कमरे की पैराफिट वाल को तोड़ रहे थे, जिसे रोक दिया गया है।   

शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का घर   

पारिवारिक विवाद के कारण घर के ही एक-दूसरे पुत्र उसकी शिकायत कर रहे हैं। प्रापर्टी को लेकर उस्ताद के घर वालों में काफी खींचतान चल रही है। अधिकांश का कहना है कि मकान जिस हाल में है उसे वैसे ही रहने दिया जाए। उस्ताद की बड़ी बेटी जरीना बेगम ने अपने भाई पर आरोप लगाया कि जिस साल अब्बा हुजूर का इंतकाल हुआ था। उसके बाद सरकार के नुमाइंदे इसे बनवाने के लिए आए थे तो मेरे छोटे भाई काजिम हुसैन ने मना कर दिया। हमें कुछ बताया भी नहीं गया। 
हम अब्बाजान के कमरे में तब्दीली नहीं देख सकते। हम यह नहीं होने देंगे। हमारी मांग है कि इसे सिर्फ सरकार बनाए। मुझे तो पता भी नहीं है कि अब्बा हुजूर का कौन सा सामान संजो कर रखा गया है। वो कहां है। उनके सारे अवार्ड और बैठक में लगी तस्वीरें भी न जाने कहां रखी हैं।

ये भी पढ़े   पहचान पाने को तरस रही शांति धाम पहाड़ी

सूत्रों के अनुसार, शहर बनारस के नामचीन लोगों के पुश्तैनी घरों को स्मारक का स्वरूप दिए जाने की वीडीए की योजना था। वीडीए वीसी पुलकित खरे ने इसकी शुरुआत की थी। उस दौरान संत तुलसीदास, कबीरदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, पं. किशन महाराज, सितारा देवी, मुंशी प्रेमचंद समेत सभी विभूतियों व कलाकारों के घरों का निरीक्षण किया गया। सभी के परिजनों से संपर्क किया गया। कुछ दिनों बाद जब उनका स्थानांतरण हो गया तो इस दिशा में वीडीए वीसी राहुल पांडेय ने भी पहल की। लेकिन परिजनों का सहयोग नहीं मिलने से यह नहीं हो पाया।  

बड़ी पुत्री और पोते की चाह, न टूटे मकान – बिस्मिल्लाह खान की बड़ी पुत्री जरीना बेगम का कहना है कि वह अपने पिता की निशानी पर हथौड़ा नहीं चलने देंगी। उन्होंने बताया कि इस मकान को भले ही वह प्रशासन को सौंप देंगी। लेकिन अपने जीते जी मकान को टूटने नहीं देंगी। नवासे नदीम हसन का कहना है कि यदि मकान का कुछ हिस्सा दुरुस्त नहीं कराया गया तो मकान गिर सकता है। उधर, उस्ताद की बड़ी बेटी के दावों को काजिम हुसैन ने सिरे से खारिज कर दिया है। उस्ताद के बेटे काजिम हुसैन ने कहा कि अब्बाजान के इंतकाल के बाद कोई भी सरकारी नुमाइंदा उनका हालचाल लेने नहीं आया है।

काजिम अनुसार, उनकी बड़ी बहन भी साफ झूठ बोल रही हैं। बहन होने के बावजूद उनका रवैया ठीक नहीं है। कोई अपनों से कैसे लड़ सकता है। जब अपने ही अपनों के दुश्मन हो जाएं तो फिर बाहर वालों से क्या शिकवा है। यह लोग किसी का अच्छा होता हुआ नहीं देख सकते हैं। आज बहुत बड़े-बड़े लोग सलाह दे रहे हैं, लेकिन आज तक कोई उनके दरवाजे पर हालचाल लेने तक नहीं आया है। उस्ताद के पौत्र राजी अहमद ने कहा कि घर की आपसी कलह के कारण यह सारा मामला सड़क पर आया गया है। दादा जी का कद इतना बड़ा है कि उनके नाम से हम सभी जाने जाते हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है। जर्जर हो चुके मकान को दुरुस्त किया जा रहा था तो परिवार के लोगों ने ही उसका दुष्प्रचार कि

ये भी पढ़े   संगीत के दीवाने थे, प्रथम परमाणु परीक्षण के सूत्रधार राजा रमन्ना

इंटैक के अध्यक्ष अशोक कपूर का कहना है कि मकान तो भारतरत्न के परिवार का है। कहने को तो सभी लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। केवल बातें करने से नहीं होता है। सरकार अगर मकान को संरक्षित करना चाहती है तो परिवार वालों को उचित मुआवजा मिले। उस्ताद की धरोहर को संरक्षित किया जाए। कपूर के अनुसार, सरकार अगर उस्ताद की विरासत को सहेजने की पहल करती है तो बनने वाले संग्रहालय में इंटैक भी मदद करने को तैयार है। इंटैक उसमें एक गैलरी कार्नर अपने खर्च पर तैयार करवाएगी।  [बनारस से वरिष्ठ पत्रकार श्री अजय मिश्र से साभार] 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here