‘सर्दी खांसी ना मलेरिया हुआ’: ऑल इज नॉट वेल बिटविन पतञ्जलि एंड लोक कल्याण मार्ग !!!

बाबा रामदेव .
बाबा रामदेव . "बस, नाम ही काफी है" - तस्वीर: डीएनए  सौजन्य से 

गजबे है न – हरिद्वार यानि “हरि” के पास पहुँचने के वाले द्वार बीच में “तथाकथित” रूप से “सर्दी-खाँसी” की दवा बनाने के लाइसेन्स पर कोरोना वायरस को रोकने वाला दवाई बना दिए हैं पतंजलि समूह। दवा का नाम है  – कोरोनिल। इधर मुंबई के भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् के अनुसार आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवा कंपनियों द्वारा देश में कोरोना वायरस के अभ्युदय के बाद से देश के विभिन्न अखबारों में, पत्रिकाओं में दर्जनों से अधिक भ्रामक विज्ञापन देखे  जो कोरोना वायरस रोकने का “दावा” करते हैं।  

अब यह स्पष्ट करना बहुत कठिन है की पतंजलि के मालिक बाबा रामदेव का सम्बन्ध इन दिनों प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल, विशेषकर आयुष मंत्रालय के साथ कैसा है? यह तो एक अलग शोध का विषय है, लेकिन कोरोना वायरस के लिए पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल दवाई लॉन्च होते ही मंत्रालय द्वारा नोटिस जारी करना कुछ “हजम” नहीं होता, यानि “ऑल इज नॉट वेल” – पतंजलि, दवाई -साथ बाबा रामदेव और कोरोनिल सभी विवादों के घेरे में आ गए हैं। 

जैसे ही दवाई लॉन्च हुआ, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने दवाई के प्रचार प्रसार पर रोक लगा दी।  इतना ही  नहीं,  बाबा रामदेव की दवा को एक और झटका लगा है। इस बार उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबा की दवा पर सवाल उठाया है। अथॉरिटी अनुसार  बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को कोरोना की दवा के लिए नहीं, अपितु, इम्युनिटी बूस्टर और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। जबकि इसी लाइसेन्स  के आधार पर  पतंजलि द्वारा कोरोना की दवा का दावा किया जा रहा है ।  

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने अप्रैल में आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवा कंपनियों के कोविड-19 के इलाज का दावा करने वाले 50 विज्ञापन अभियानों को भ्रामक पाया। एएससीआई ने कार्रवाई के लिए इसकी जानकारी केंद्र सरकार को दी है।

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एएससीआई ने बयान में कहा कि ये विज्ञापन विभिन्न मीडिया मंचों पर प्रसारित हुए हैं। एएससीआई ने कहा कि ये विज्ञापन अभियान आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, एवं होम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय के एक अप्रैल, 2020 के आदेश का उल्लंघन करते हैं। इस आदेश में आयुष से संबंधित प्रचार और विज्ञापन पर रोक लगाई गई है।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड-19 के इलाज की दवा पेश करने की घोषणा की थी। उसके कुछ घंटे बाद ही आयुष मंत्रालय ने इस दवा का प्रचार कोविड-19 के इलाज की दवा के रूप में रोक लगा दी थी।

एएससीआई ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने उससे इस तरह के विज्ञापनों की जानकारी देने को कहा था। परिषद ने इसके साथ ही 50 ऐसी कंपनियों की सूची जारी की है जिन्होंने अप्रैल में कोविड-19 के इलाज की दवा पेश करने का दावा किया था।

दिलचस्प तथ्य है कि इस सूची में वे इकाइयां भी शामिल हैं जो होम्योपैथिक दवा ‘आर्सेनिक एल्बम 30’ का प्रचार कोरोना वायरस के इलाज की दवा के रूप में कर रही थीं। हालांकि, इस सूची में कोई बड़ा ब्रांड शामिल नहीं। इनमें ज्यादातर देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत स्थानीय कंपनियां हैं।

इसके अलावा एएससीआई ने आयुष मंत्रालय के दवा एवं चमत्कारिक उपचार नियमनों के संभावित उल्लंघन के 91 अन्य मामलों को भी भ्रामक करार दिया। इस सूची में वे कंपनियां शामिल हैं जो मधुमेह, कैंसर, यौन समस्याओं, रक्तचाप और मानसिक तनाव के इलाज का दावा कर रही हैं।

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इस बीच, एएससीआई ने हिंदुस्तान यूनिलीवर के ‘फेयर एंड लवली’ ब्रांड के एडवांस्ड मल्टी विटामिन से संबंधित विज्ञापन को भी भ्रामक करार दिया है। अप्रैल में जिन अन्य प्रमुख ब्रांडों के विज्ञापन पर परिषद ने आपत्ति जताई है उनमें एशियन पेंट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, एफसीए इंडिया ऑटोमोबाइल्स, ग्रोफर्स, मेकमाईट्रिप और इंडिगो एयरलाइंस शामिल हैं।

फिलहाल, विभाग की ओर से पतंजलि को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। वैसे बाबा ने दावा किया था कि क्लिनिकल टेस्ट में दवा से 100 फीसदी सफल परिणाम सामने आया है। मगर पतंजलि के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण ने इसे ‘कम्युनिकेशन गैप’ बताते हुए यह दावा किया है कि ‘उनकी कंपनी ने आयुष मंत्रालय को सारी जानकारी दे दी है।बालकृष्ण ने अपने ट्वीट में लिखा है कि “यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है । क्लीनिकल ट्रायल के जितने भी तय मानक हैं, उन 100 प्रतिशत पूरा किया गया है । ” (भाषा के सहयोग से)

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