MPLADS पर भी “साँप जैसा बैठे हैं” राजनीतिक पार्टियों के सांसद, लगता है “पसीना की कमाई” हो 

MPLADS राशि, कोरोना वायरस, प्रधान मंत्री का आह्वान और सांसदों का नैतिक जिम्मेदारी !! किसको नमन करूँ मैं भारत किसको नमन करूँ मैं 
MPLADS राशि, कोरोना वायरस, प्रधान मंत्री का आह्वान और सांसदों का नैतिक जिम्मेदारी !! किसको नमन करूँ मैं भारत किसको नमन करूँ मैं 

​मुद्दत पहले – अस्सी के दसक के प्रारंभिक दिनों में – दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र “जनसत्ता” में एक समाचार प्रकाशित हुआ था। उन दिनों के पत्रकार और राजनेतागण अवश्य पढ़े होंगे। समाचार का शीर्षक था “सभी कोष डकार गए सरकारी कुत्ते” और कहानी के लेखक थे बिहार के जनसत्ता के सम्वाददाता श्री सुरेन्द्र किशोर। विषय था प्रदेश के विकास के निमित्त सरकार द्वारा आवंटित धन राशि और सरकारी अनुदान। 

इन कार्यों के लिए राशियों का आवंटन हुआ था उन कार्यों को कागज के मोटे-मोटे फाइलों में दौड़ा-दौड़ा कर प्रदेश के पंचायत से पटना सचिवालय के वातानुकुलित कक्षों में इत्र-से-नहाये छोटका नेता से लेकर बड़का नेता तक, 40 किलो वजन वाले अधिकारीयों से लेकर 240 किलो वजन वाले अधिकारीगण तक कागजों पर CR – DR बराबर कर आमदनी-खर्च को बराबर कर दिए थे। तत्कालीन मुख्य मंत्री महोदय का  कार्यालय भी गोलका मोहर के साथ हस्ताक्षर कर दिए थे। 

आज जब सम्पूर्ण विश्व, भारत भी, कोरोना वायरस नामक महामारी के चपेट में है, भारत के नेताओं को, चाहे सांसद हों या विधायक, सरकारी पैसे भी निकालने में सांस अटक रहा है। ये सभी सांप के तरह उन पैसों पर बैठे हों जबकि ये सभी पैसे जनता की सुविधा, संसदीय और विधान सभा क्षेत्रों के विकास हेतु निमित्त है। 

कितना बदल गया इंसान। 

अब उन्हें कौन समझाए “अगर जिन्दा रहेंगे तो चुनाब लड़ पाएंगे सांसद महोदय, विधायक महोदय। संसदीय /  विधान सभा ​क्षेत्रों के मतदातागण जीवित रह पाएंगे तभी ​आपके पक्ष में ​मतदान भी ​कर पाएंगे। ​आप ​ ​संसदीय / विधान सभा क्षेत्रों के विकास हेतु “सरकारी पैसे” का उपयोग कर पाएंगे, भले ही उस राशि का 20 फीसदी ही उपयोग हो पाए – क्योंकि सरकारी पैसे खर्च करने में भी आपकी साँसे अटक ​रही है। वजह भी है: गटकना चाहते हैं​,​ लेकिन ​भारत का ​वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ​बिहार के तत्कालीन मुख्य मंत्री जैसा नहीं हैं। ये तो गुजरती हैं जो गले में हाथ डालकर निकालने ​में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे। ​

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​मार्च 27, 2019 तक ​1734 . 42 करोड़ ​रूपया बिना इस्तेमाल के सड़ रहे हैं। ये सभी पैसे संसदीय क्षेत्रों के विकास पर खर्च होना था, नहीं हो पाया – सांसद की सोच। 

आकंड़ों के अनुसार भारत के लोक सभा में 543 सांसद हैं, जबकि राज्य सभा में 245 यानि कुल 788 सांसद जो देश के 130 करोड़ लोगों का/मतदाताओं का प्रतिनिधित्व  करते हैं ।    

​आज के परिपेक्ष में, जब सम्पूर्ण राष्ट्र कोरोना वायरस के प्रकोप से त्रस्त है, अगर प्रत्येक सांसद अपने कोष से एक साल की राशि यानि पांच करोड़ कोरोना त्रादसी के रोकथाम के लिए  समर्पित करते हैं तो कुल राशि 788  x  50000000 = 39400000000 करोड़ रुपया राष्ट्र को मिलता है।  इसी तरह अगर कुल 4542 विधायक अपनी राशि से 20000000 रुपये देते हैं तो कुल राशि 90840000000 रूपया राष्ट्र को मिलेगा।  यानि कुल 1302800000000 रूपया ।  

नड्डा साहेब सांसदों से प्रधान मंत्री कोष के लिए पैसा दें , या मैं अपना तरीका अपनाऊं  !!! ‘जी’ ‘जी’ ‘जी’ ‘जी’ सर !!!!

​लेकिन, सभी देश  उद्योगपतियों, कलाकारों, फ़िल्मी हस्तियों, धनाढ्यों की ओर टकटकी निगाह से देख रहे है। शायद सोच भी रहे हों की “काश वे अधिक दे दें तो हमारी बच जाएगी।”

एक दिन पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा की “उनके पार्टी के सभी सांसद स्थानीय क्षेत्रों के विकास के निमित्त राशि में से एक करोड़ रूपया इस बीमारी के रोकथाम पर देंगे। प्रधान मंत्री के एलान के बाद पूर्वी दिल्ली के बीजेपी के सांसद और क्रिकेट खिलाडी गौतम गंभीर को छोड़कर किसी ने भी “व्यक्तिगत रूप से अपने हिस्से के मदद की घोषणा नहीं किये”, जब तक पार्टी के स्तर से यह घोषणा किया गया। संभव है “नड्डा साहेब द्वारा की गयी यह घोषणा और निर्णय के पीछे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री श्री अमित शाह का भी ठप्पा हो। वे दोनों बाध्य किये हों सांसदों को राशि देने के लिए। इसका कारण यह भी हो सकता है कि बीजेपी के अलावे अभी तक किसी भी पार्टी के सांसद इस दिशा में पहल नहीं किये हैं। संसद में बीजेपी के ३८६ सांसद है (लोक सभा में ३०३ और राज्य सभा में ८३) और प्रत्येक सांसद को अपने क्षत्रों के विकास के लिए पांच-पांच करोड़ रुपये दिए जाते हैं। 

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​बहरहाल, अब तक प्रधान मंत्री द्वारा बनाये गए ट्रस्ट में निम्नलिखित महानुभावों ने अपना-अपना योगदान दिया है तभी तो “ये सभी महानुभाव” “वो” नहीं हैं : 

महान उद्योगपति श्री रतन टाटा – १५०० करोड़ रूपया, फिल्म स्टार अक्षय कुमार – २५ करोड़ रूपया, महान धावक मिल्खा सिंह – २ लाख रूपया, कार्तिक आर्यन – १ करोड़ रूपया, शिल्पा सेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा – २५ लाख रूपया, डिजाइनर अमित डोंगरे – १.५ करोड़ रूपया, सब्यसाची मुखेर्जी – १ करोड़ रूपया, वरुण धवन – ३० लाख रूपया, गौतम गंभीर – १ करोड़ रूपया, सुरेश रैना – , बीसीसीआई – ५१  करोड़ रूपया, टीम  इंडिया के उप-कप्तान अजिंक्या रहाणे – १० लाख, दक्षिण के फ़िल्मी हस्तियां: प्रभाष- ४ करोड़, महेश बाबू – १ करोड़, अल्लू अर्जुन – १. २५ करोड़, पवन कल्याण – २ करोड़ और टी-सीरीज – ११ करोड़ रूपया। 

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