मोदी ने कहा: “​अंकगणित के आगे एक केमेस्ट्री भी होती है​,” इसे सियासी पंडितों को अब मानना होगा

उप-राष्ट्रपति श्री एम वेंकैय्या नायडू से मुलाकात करते प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी
उप-राष्ट्रपति श्री एम वेंकैय्या नायडू से मुलाकात करते प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि पार्टी की जीत के इस सिलसिले को देखते हुए अब सियासी पंडितों को मानना पड़ेगा कि अंकगणित के आगे भी आदर्शों और संकल्पों की एक ‘केमेस्ट्री’ होती है।

मोदी ने भाजपा को देश में राजनीतिक हिंसा की सबसे बड़ी शिकार पार्टी करार देते हुए कहा कि इस हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दी गयी है। यह हमारे सामने बहुत बड़ा संकट है। वाराणसी से दोबारा सांसद बनने के बाद पहली बार काशी आये मोदी ने कार्यकर्ताओं से खुलकर अपने दिल की बात कही।

उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश पूरे देश में लोकतंत्र की नींव को और मजबूत कर रहा है लेकिन वर्ष 2014, 2017 और 2019 की चुनावी विजय की हैट्रिक कोई मामूली चीज नहीं है। तीन चुनाव के बाद भी अगर राजनीतिक पंडितों के दिमाग नहीं खुलते तो समझना चाहिये कि उनके विचार, उनके तर्क 21वीं सदी के लिये नहीं रह गये हैं।

मोदी ने कहा ‘‘इस हैट्रिक के बाद राजनीतिक पंडितों को मानना होगा कि अंकगणित के आगे भी एक ‘केमेस्ट्री’ होती है। देश में आदर्शों और संकल्पों की जो केमेस्ट्री है, वह पूरे अंकगणित को पराजित कर देती है। इस बार यही हुआ है।’’

प्रधानमंत्री ने भाजपा को राजनीतिक हिंसा की सबसे बड़ी शिकार पार्टी बताते हुए कहा ‘‘चाहे केरल हो, कश्मीर हो, बंगाल या फिर त्रिपुरा हो, वहां हमारे कई कार्यकर्ताओं ने शहादत मोल ली है। उन्हें सिर्फ राजनीतिक विचारधारा के कारण मौत के घाट उतार दिया गया। बंगाल में आज भी हत्याओं का दौर नहीं रुक रहा। केरल में भी हमें मौत के घाट उतार दिया जाता है। शायद ही कोई दल इतनी व्यापक हिंसा का शिकार हुआ है। हिंसा को एक प्रकार से मान्यता दी गयी है। यह हमारे सामने बहुत बड़ा संकट है।’’

उन्होंने कहा ‘‘दुर्भाग्य से हमारे देश में राजनीतिक छुआछूत दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। भाजपा का नाम लेते ही यह कहा जाता है कि इन्हें छुओ नहीं, ये खतरनाक हैं। दरअसल, हम विभाजन के पैरोकार नहीं है। हम एकता के मार्ग पर चलते हैं। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब मैंने उसके प्रचार-प्रसार के लिये फिल्म जगत की मदद ली, तो शोर मच गया कि अरे आप और गुजरात ! दरअसल कमियां हममे में भी होंगी, लेकिन इरादे हमारे नेक हैं।’’

मोदी ने कहा कि देश की राजनीति में ईमानदारी से लोकतंत्र को रग—रग में लेकर जीने वाला अगर कोई दल है तो वह भाजपा ही है। ‘‘जब दूसरे लोग सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का नाम नहीं होता, मगर हम जब सत्ता में आते हैं तो विपक्ष का अस्तित्व शुरू होता है। त्रिपुरा को देख लीजिये, वहां 30 साल तक कम्युनिस्टों की सरकार थी, क्या वहां कोई विपक्ष था? कभी कोई चर्चा नहीं हुई। आज हम त्रिपुरा में सत्ता में हैं, आज वहां जानदार शानदार विपक्ष है, उसकी आवाज सुनी जाती है। संविधान हमें जिम्मेदारी देता है कि विपक्ष की आवाज को महत्व दें।’’

मोदी ने कहा कि हमारे देश के लोकतंत्र को वोट बैंक की राजनीति ने कुचल दिया है। वोट बैंक की राजनीतिक के दबाव में कोई सही बात रखने की हिम्मत नहीं करता था। मगर भाजपा ने इस चलन को बदला है। (भाषा के सौजन्य से)

बहरहाल, बनारस से अजय मिश्र लिखते हैं:

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले यहां की मूलभूत समस्याओ सड़क बिजली पानी के साथ रेल और जल हवाई परिवहन संसाधनों के विकास इत्यादि की समस्या को दूर करने के प्रयास किया गया। हालांकि दो वर्ष तक प्रदेश में सपा के अखिलेश यादव की सरकार होने के कारण शहर में विकास की रफ़्तार कुछ ख़ास नहीं बदली प्रधानमंत्री ने केंद्रीय एजेंसियों के द्वारा वाराणसी में विद्युत व्यवस्था व सड़क यातायात की व्यवस्था पर काम किया गया। स्पष्ट तौर पर एक बनारसी नजरिए से कहा जाय तो नरेंद्र मोदी के वाराणसी से सांसद और देश का प्रधानमंत्री बनने से पहले तक यानी पिछले छह – सात दशकों में यहां दुश्वारियों का पहाड़ था। दूसरे शहरों की तरह यहां भी बदइंतजामी थी, सड़कें जर्जर, बिजली-पानी का संकट, इत्यादि। बदलते हुए बनारस में आपका स्वागत है। जिंदादिल लोगों से भरा यह जिंदा शहर कभी सोता नहीं, बल्कि अपने जर्रे-जर्रे की खबर लेता-देता रहता है। इसके गली-मोहल्ले चौराहो पर सतर्क निगहबानों की देख-रेख में वाराणसी आहिस्ता-आहिस्ता विकास ओर बढ़ रही है। अब कोई पान की पीक सड़क पर थूक कर आसानी से नहीं निकल पाता। अगर बनारसी शब्दों में कहा जाए, तो बनारसी उसे घेर उसकी पीक को वापस उसके कंठ में उतार देने तक की फजीहत कर देते हैं।

बड़े ही कम समय में भी किसी शहर को इच्छा शक्ति के अनुरूप बदलने की लगन की वाराणसी एक जीती-जागती मिसाल बनी। यहां के मौजूदा सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान वाराणसी में सबसे पहले यहां सडको गलियों में लटकते विद्युत तारो को हटाने और उन्हें भूमिगत करने की दिशा में काम करते हुए एकीकृत विद्युत विकास योजना (आइपीडीएस) लागू करते हुए यहां पर पहले चरण के दौरान गंगा से दो किलोमीटर के दायरे के क्षेत्र में पुरानी काशी के क्षेत्रो में उपरगामी विद्युत तारो के जाल को भूमिगत किया गया। लगभग 500 करोड़ की लागत वाली इस योजना में शहर के अंदर दो सौ किलोमीटर से ज्यादा के विद्युत तारो को भूमिगत कर दिया गया तो वही दो नए विद्युत उपकेंद्रों की स्थापना भी हुई। वाराणसी में इस योजना से जहां विद्युत चोरी रुकी वही सडको से विद्युत खम्बो को हटा कर उनकी जगह हेरिटेज खम्भे लगाए गए। जिससे सडको की चौड़ाई के साथ सुंदरता भी बढ़ी और विद्युत व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाया गया तो वही सड़क बदलती नज़र आने लगी। आइपीडीएस की सौगात दी तो शहर की कई कालोनियों और मुहल्लों में बिजली के तार भूमिगत हो गए, अब पूरे शहर में यह कवायद बढ़ चली है। वाराणसी का सबसे बड़ा यानी 765 – 400 केवी का विद्युत उपकेंद्र की शुरुआत हुई इसके पूर्ण रूप से चालू होने पर सिर्फ वाराणसी ही नहीं, आसपास के कई जिलों में निर्बाध् विद्युत आपूर्ति होगी. अभी तक जिले में सबसे बड़ा उपकेंद्र डुबकियां में स्थापित 500-220-132 केवी का है. यह उपकेंद्र देश के सभी ग्रिड से जुड़ा हुआ है. वाराणसी के ठठरा में स्थापित 765- 400 केवी विद्युत उपकेंद्र को यह दर्जा मिल गया. यह उपकेंद्र गैस इंसुलेटेड सिस्टम पर है. यह पूर्वी उत्तर-पूर्व क्षेत्रो से लेकर उत्तरी क्षेत्रा तक बिजली के आयात का प्रवेश द्वार है।

ये भी पढ़े   प्रधानमंत्री गलत तथ्यों का उल्लेख करें, पर राहुल गांधी जल्दी में क्यों हैं?

मोदी की चाहत के अनुरूप विकास की ओर बढ़े कदमों से शहर में लटकते बिजली के तारों और उनके घने जाल को गायब हो चुके है। काशी की प्राचीनता से मिलते जुलते हेरिटेज खंभे से निकलती दूधिया रोशनी की चादर हर तरफ लोगो का स्वागत करती मिलेगी यह रोशनी सूर्यास्त से सूर्योदय तक किसी का साथ ही नहीं छोड़ेगी। वाराणसी की सफाई व्यवस्था में भी प्रधानमंत्री ने अहम् योगदान दिया, यहां गंगा किनारे लगभग सात किलोमीटर के दायरे में 84 घाट है, इनकी साफ-सफाई एक बड़ी समस्या रही है। प्रधानमंत्री बनने के बाद जब नरेंद्र मोदी ने अस्सीघाट पर फावड़ा चलाया तो जैसे यहां पर नगर निगम के अधिकारियो संग पूरे प्रशासनिक लोगो की निद्रा भंग हुई लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक हुए, और इसके बाद तो स्वच्छता की बयार निकल पड़ी। प्रमुख गंगा घाटों पर साफ-सफाई दिखाई पड़ने लगी। अधिकारी व कर्मचारी अब लोगो से कहते हुए मिल जाएंगे कि देश-विदेश के लोग इसी रास्ते से गंगा किनारे जाएंगे, अगर ज़रा सा भी गंदगी दिख जाएगी तो हमारे बनारस शहर की बहुत बदनामी होगी। सफाई के पहरु रात के 2.30 बजे अस्सी घाट से गोदौलिया समेत विभिन्न मार्गो से झाड़ू लगाकर कूड़ा लादते मिल जाएंगे। यहां बड़ी ही खामोशी से अपने शहर में स्वच्छता की इबारत लिखा जा रहा है। पिछले पांच वर्षो में गांधी के उस कथन को भी मिथ्या बना दिया गया जिसमे उन्होंने बनारस की गलियों में गंदगी का सवाल उठाया था। स्वच्छता आज एक ऐसी लगन बन गई है कि कोई किसी गली के भी किसी भी कोने को गंदा नहीं छोडऩा चाहता। वाराणसी के लोगों के अनुसार शहर के आंतरिक ढांचे में बहुत बदलाव संभव नहीं है. यहां के पूर्व नगर आयुक्त लालजी राय ने बताया कि वाराणसी को 21वीं सदी का स्मार्ट शहर बनाना है तो यहां नए वाराणसी की परिकल्पना को साकार करना होगा और उसे योजनाबद्ध तरीके से विकसित करना होगा. पुराने शहर में बहुत गुंजाइश नहीं है, वही जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे वाराणसी आए तो मोदी ने जापान के सहयोग से वाराणसी में 78 करोड़ की लागत से एक कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष की स्थापित करने की घोषणा की, यह परियोजना अभी मूर्त रूप लेने लगी है। इसके अलावा जापान ने वाराणसी विकास में सहयोग का भरोसा दिया था।

वाराणसी में बहुत कुछ बदला है। शिक्षा, कला और स्थापत्य कला की इस राजधानी की आन बान और शान यहां के 84 गंगा घाट है। पांच वर्ष पहले तक घाटों का टूटना, दरकना और उनका चमक खोना परेशानहाल लोगो के माथे पर लकीरें खींच देता था, लेकिन आज फिर से घाट उसी तरह चहल कदमी होने लगी हैं। घाट वाक् करने के साथ स्नान-ध्यान, पूजन-अर्चन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के सुर-सागर की सरिता में गोते लगाने वालों की संख्या में कई गुना का इजाफा हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि बीते पांच वर्षों में लगभग 25 प्रतिशत तक देशी विदेशी पर्यटकों के आवागमन में वृद्धि हुई है। लेकिन अभी भी कुछ दुश्वारियां हैं। मां गंगा की पीड़ा हर कोई महसूस कर रहा है। काशी के तीर्थ नगरी के स्वरूप में छेड़छाड़ न हो, इसको लेकर भी कभी-कभी आवाज उठती है। फिर भी घाटों पर उमड़ता आस्था का सैलाब इस बात की तस्दीक करता है कि आज जो है, वो कल से बेहतर है, और कल जो होगा, आज से भी शानदार होगा। दूसरी तरफ वाराणसी हथकरघा और हस्त शिल्प की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है और बनारसी रेशमी साड़ियां व शिल्प भारतीय परिदृश्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यही नहीं वाराणसी हथकरघा भारत की विरासत को गौरव प्रदान करता है. यहां के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों को उनके बेहद कलात्मक डिजाइन, रंग संयोजन, बेहतर शिल्प कला और टिकाऊपन के कारण समूचे देश में और देश से बाहर व्यापक पहचान मिली है.लेकिन पिछले कुछ दशकों में यहां की सांस्कृतिक विरासत ने अपनी पहचान खो रखी थी जिसे संजोने में प्रधानमंत्री ने यहां की विरासत को बचाने के लिए वाराणसी और इसके आसपास के इलाकों के हथकरघा और हस्त शिल्प उद्योग को बाजार के अनुकूल बनाने के साथ-साथ बुनकरों, कारीगरों और व्यवसायियों को देशी और विदेशी बाजारों में उनके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधनमंत्राी मोदी ने नवंबर, 2014 को बड़ा लालपुर में एक व्यापार सुविधा केन्द्र और शिल्प संग्रहालय की आधरशिला रखी, दिसंबर 2016 को नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्र व म्यूजियम, क्राफ्रट बाजार एवं प्रवेश प्लाजा का उद्घाटन किया गया। बुनकरों के शहर के लिए 64 करोड़ रुपये का यह एक महत्वपूर्ण योजना दिसंबर 2015 में शुरू हुआ जो अब मूर्त आकार लेने की दिशा में अग्रसर है। चौकाघाट में हैंडलूम टेक्नोलाजी इंस्टीट्यूट के साथ में बन रहे इस काम्प्लेक्स में कपड़ा और हथकरघा उद्योग से जुड़ी हर सहायता मौजूद होगी।

ये भी पढ़े   रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.75 % घटायी: कोरोना पर भी विजय पाएंगे और अर्थव्यवस्था पर भी। आप सभी सोसल-डिस्टेंस बनाये रखें

मोदी के सांसद बनने के बाद से वाराणसी की परियोजनाओं पर काम सही ढंग से चलने से यहां के लोग गदगद भी हैं. इनमें एक और काम हुआ बाबतपुर हवाई अड्डे से वाराणसी शहर के बीच की सड़क जहां पहले लोगो को 20 किलोमीटर की दूरी तय कर हवाई अड्डे तक जाने के लिए दो घंटे से ज्यादा का समय लग जाता था अब चार लेन की राजधानी जैसी सड़क बनने से यह सड़क अच्छी और जाममुक्त हो गई अब लोगों की हवाई यात्रा बेहद आसान हो गई। मोदी राज में एक और बड़ा काम रिंग रोड परियोजना है। सुधीर मिश्रा ने बताया कि लगभग 12 सौ करोड़ वाली यह परियोजना के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है. इसके बन जाने से मुख्य शहर पर थोड़ा दबाव कम होगा और शहर को विस्तार मिलेगा। शहर के चौक इलाके में कपड़े के कारोबारी ऋषिकेश अग्रवाल ने बताया कि मोदी के इरादे पर यहां के लोगों को कोई संदेह नहीं है. वे जहां भी रहे हैं, उन्होंने काम किया है. हम लोगों को जो उम्मीद थी उससे भी ज्यादा और कम समय में कर दिखाया। वही कुछ समय पहले यानी प्रदेश में अखिलेश सरकार के सहयोग ना देने से वाराणसी के विकास में बाधा पहुंची और लोग यहां कहते रहे कि अगर प्रधानमंत्री होकर भी नरेंद्र मोदी उऩके शहर का कायाकल्प नहीं कर पाए तो फिर आगे किसी भी तरह की उम्मीद रखना सही नहीं होगा. इनमें से भी कुछ लोगों का यह मानना है कि देश के प्रधानमंत्री अगर भारतीय संस्कृति और परंपराओं के सबसे बड़े प्रतीक और अपने संसदीय क्षेत्र को सुधारने के लिए राज्य सरकार के साथ समन्वय नहीं बना पाते हैं तो इसे उनकी राजनीतिक विफलता के तौर पर भी देखा गया।

इतना ही नहीं केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से वाराणसी शहरी गैस वितरण परियोजना ऊर्जा गंगा की शुरुआत हुई और और अभी तक लगभग दस हजार घरो को पाइप लाइन के माध्यम से स्वच्छ गैस की आपूर्ति शुरू हो गई है फिर भी यह कार्य प्रगति पर है। इससे 1535 वर्ग किमी क्षेत्रा में फैले जिले के करीब 36.8 लाख आबादी को लाभ होगा। आठ सौ इंच की स्टील और एमडीपीई पाइप लाइन का नेटवर्क होगा. पांच वर्ष में करीब 50 हजार घरों में पीएनजी कनेक्टिविटी हो जाएगी. इसके बाद शहर में सिलेंडरों की आपूर्ति कम होगी तो उसे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानान्तरित किया जाएगा। वाराणसी में करीब डेढ़ दशक पूर्व गंगा नदी पर रामनगर-सामनेघाट पुल के निर्माण का खाका तैयार हुआ था. समय बीतता गया लेकिन गंगा नदी पर सामने घाट और रामनगर शहर को जोड़ने के लिए बनने वाला यह पुल अधूरा रहा. निर्माण कार्य अधूरे में लटका देख मात्र छह माह में मोदी सरकार ने इसे पूर्ण कराया. अब बीएचयू आने वाले विद्यार्थियों और रामनगर, चंदौली व बिहार झारखण्ड अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाने वाले मरीजों के लिए यह महत्वपूर्ण माध्यम बना है. अब एंबुलेंस और आपात वाहनों को बाईपास होकर नहीं जाना पड़ता है.तो दूसरे छोर पर चंदौली जनपद की सीमा. स्थानीय निवासियों को चंदौली जाने के लिए वाराणसी शहर से होकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. उस पार के लोगों को भी वाराणसी आने के लिए 40-50 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, धानापुर-चहनियां मार्ग पर बने 981.69 मी. लम्बे सेतु का निर्माण हो जाने से धानापुर क्षेत्र के कई गांवों की लगभग 10 लाख की आबादी लाभान्वित हुई.

वाराणसी को चिकित्सा पर्यटन से जोड़ने की दिशा में भी प्रधानमंत्री मोदी ने काम करते हुए यहां पर जहां सरसुंदर लाल चिकित्सालय को एम्स का दर्जा दिया तो वही वाराणसी और पूर्वांचल सहित पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती इलाकों के मरीजों के लिए बीएचयू में 500 करोड़ की लागत से महामना मालवीय कैंसर हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की शुरुआत की तो वही बीएचयू में 200 करोड़ के शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी सेंटर की स्थापना बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधओं को सुदृढ़ करने के लिहाज से की जा रही है. 450 बेड वाले इस काम्प्लेक्स में यहां हृदय, गुर्दा, मस्तिष्क संबंधी गंभीर बीमारियों का इलाज एक ही छत के नीचे हो सकेगा. इसके साथ ही इस काम्प्लेक्स में 100 बेड का मानसिक रोग चिकित्सालय खोलने की भी तैयारी की जा रही है।

ये भी पढ़े   The Supreme Court cautioned Rahul 'more careful in making the alleged remarks' and 'stayed' order of the conviction

यहां के प्रमुख औद्योगिक आस्थान डीजल रेल इंजन कारखाना ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रोत्साहन के बाद स्थापना के 52वें साल में डीजल रेल इंजनों को विद्युत रेल इंजनों में परिवर्तित करने की विधा हासिल कर ली और अपनी प्रकृति के विपरीत विद्युत रेल इंजन का निर्माण शुरू कर दिया। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री ने डीरेका को कई और परियोजनाओं की सौगात दी तो वही दूसरी तरफ मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया गया तथा इसकी दूसरे प्रवेश द्वार व भवन का निर्माण कर इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का प्रयास किया गया। दूर से इसे हवाई अड्डे जैसा देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने वाराणसी से नई दिल्ली की दूरी को कम करने के लिए हाई स्पीड ट्रेन वंदेभारत की सौगात भी यहां दी। किसानो के लिए यहां पर फल व सब्जियों को सुरक्षित रखने और उचित मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने टेरी अरबन योजना की शुरुआत की. किसानों का प्रयास रंग लाया. इसके तहत राजा तालाब स्टेशन के पास पेरिशेबल कार्गो सेंटर, डिपो की शुरुआत की गई। राजा तालाब के 26 किसान समूहों ने राजेश्वर फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी बनाई. कंपनी ने जमीन तलाशी जहां इसकी शुरुआत हो गई है. वातानुकूलित केंद्र में फल, सब्जी और फूल को विपरीत और असामान्य तापमान पर 15 दिन सुरक्षित रखा जा सकेगा. डिपो से किसान उत्पाद को रेल व सड़क मार्ग से देश भर में कहीं भी ले जाकर उचित मूल्य प्राप्त कर सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतौर सांसद पिछले 5 वर्षो में वाराणसी समेत पूर्वांचल के विकास के लिए कई द्वार खोले, जिसमे वाराणसी में राष्ट्रीय जल मार्ग संख्या एक गंगा नदी पर जल मार्ग की सुविधा उपलब्ध कराते हुए यहां पर वाराणसी से हल्दिया तक लगभग साढ़े 13 सौ किलोमीटर तक जलपरिवहन को सुलभ कराया जिसके तहत वाराणसी से हल्दिया तक कम खर्च में जल पोत के द्वारा सामानो के आवागमन के साथ गंगा में क्रूज़ संचालन को प्रोत्साहित कर कारोबार और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए यहां पर रामनगर क्षेत्र में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण मल्टी मॉडल टर्मिनल की स्थापना की। तो वही अब प्राधिकरण वाराणसी शहर की यातायात समस्या के निदान के लिए गंगा में फेरी सेवा उपलब्ध कराने की योजना बना रही है।

केंद्र सरकार के पांच वर्षों में वाराणसी को बहुत कुछ मिला, 350 से ज्यादा केंद्रीय परियोजनाओं को धरातल पर उतारा गया है। शहर को 25 हजार करोड़ से अधिक की सौगात मिल गई। कई स्वीकृत परियोजनाएं अभी भी इंतज़ार में है जो धरातल पर उतरने को बेताब है। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से अब तक 350 बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हुईं इनमें अब तक लगभग 280 ज्यादा परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। निर्माणाधीन योजनाओं के पूरा होने के बाद यातायात से लेकर तमाम अन्य दिक्कतें भी खत्म हो जाएंगी। वही वाराणसी में कुछ परियोजाएं जो पूरी हुई उनमे व्यापार सुविधा केंद्र, बड़ा लालपुर, मालवीय एथीक्स सेंटर बीएचयू, 250 सामुदायिक शौचालयों की निर्माण, 70 स्थलों का हेरिटेज विकास, हृदय योजना से 29 हेरिटेज सड़कें बनाईं, दुर्गाकुंड, लक्ष्मी कुंड समेत तीन तालाबों का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण, जलापूर्ति योजना प्रथम चरण, डी सेंट्रलाइज्ड वेस्ट टू एनर्जी पहडिय़ा प्लांट, 40 हजार एलईडी स्ट्रीट लाइट, 4 हजार हेरिटेज पोल, गेल द्वारा वाराणसी शहरी गैस वितरण योजना( गंगा ऊर्जा), सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बाबतपुर से वाराणसी तक फोर लेन, बुद्ध थीम पार्क सारनाथ, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आराजीलाईन में 30 बेड मैटरनिटी विंग, सारंग नाथ तालाब सारनाथ सुंदरीकरण, गुरुधाम मन्दिर, मार्कण्डेय महादेव मन्दिर, कैथी में गंगा घाट का विकास, किसान ऋण मोचन योजना, नगर निगम क्षेत्रा अन्तर्गत गृह जल संयोजन का कार्य, राजकीय पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र आराजी लाईन्स, अमृत योजनान्तर्गत के कार्य पूर्ण हो चुके हैं इत्यादि वही जो निर्माणाधीन परियोजना में एनएचएआइ द्वारा एनएच 56, एनएच 233, एनएच 29 व रिंग रोड द्वितीय चरण सहित कुछ कार्य शेष है।

2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी शहर के कायाकल्प करने का जो संकल्प लिया उसे भरपूर पूरा करने का भी प्रयास किया और इसके लिए लगातार घोषणाएं भी की जाती रहीं, जिन मूल समस्याओं से यहां के लोग (मोदी के यहां से सांसद बनने के पहले से) जूझ रहे थे, वे समस्याएं आज भी वैसी ही हैं. आज भी इस शहर की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक यातायात व्यवस्था है, यहां छोटी से छोटी दूरी तय करने में जाम की वजह से काफी वक्त लग जाता है. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के सांसद बनने के बाद यातायात प्रबंधन के लिए एकीकृत व्यवस्था बनाने की घोषणा हुई थी और इस पर कुछ काम भी हुआ है लेकिन हकीकत यह है कि जाम अभी भी लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here