महात्मा गांधी, किसान, नील की खेती, चंपारण, फ़लक खान और चंपारण मटन = ऑस्कर में नामांकन

'चम्पारण मटन'

नई दिल्ली: समय। कालचक्र। समय का ऐसा चक्र चला कि जिस चंपारण को 1917 ई. में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली सबसे बड़ी पहचान अहिंसा के उपासक महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के कारण मिली उसी चंपारण को आज 2023 ई. में एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय पहचान चंपारण मटन के कारण मिल रही है जो मांसाहार और हिंसा का प्रतीक है।

देश के कोने-कोने में प्रसिद्ध हो चुके चंपारण मटन की ख्याति शर्ट फिल्म चंपारण मटन के जरिए आज पूरी दुनिया में फैल गई और अंततः ऑस्कर के सेमीफाइनल में शामिल हुई चम्पारण मटन। मिट्टी के मटके में कोयले की आंच पर धीमे-धीमे पकते इस मांस को जिसे पूरी दुनिया चंपारण मटन कहती है हम चंपारण वासी उसे अहुना मीट कहते हैं। आज पूरे भारत में दिल्ली, बेंगलुरू समेत सभी बड़े से बड़े शहरों में आप चंपारण मटन को बनाने वाले विशेष होटलों को देख सकते हैं।

अमेरिका की अकेडेमी  ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज के द्वारा आयोजित अकेडमी अवॉर्ड्स यानी ऑस्कर पुरस्कार दुनिया के सबसे सम्मानित अवॉर्ड्स में से एक है। इस अवार्ड को जीतने का हीं नहीं, बल्कि इससे जुड़ने मात्र का सपना भी सिने जगत से जुड़े हर बड़े से बड़े सितारे का सपना होता है। हाल हीं में बिहार की रहने वाली अदाकारा फलक खान का नाम ऑस्कर अवॉर्ड से जुड़ा है जो पूरे बिहार वासियों के लिए गर्व का विषय है। विशेषकर हम चंपारण वासियों के लिए यह दोहरी खुशी का क्षण है क्योंकि जिस चंपारण मटन को केंद्र में रखकर इस फिल्म को बनाया गया है वह चंपारण की ही देन है।

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फलक खान

अचानक लाइमलाइट में आईं ‘चम्पारण मटन’ की लीड हीरोइन फलक खान के बारे में बात करें तो वह बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं। वह अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर फिल्मों में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं। फलक अपनी फिल्म ‘चम्पारण मटन’ के ऑस्कर अवॉर्ड में पहुंचने को लेकर काफी ज्यादा चर्चा में हैं। यह मूवी ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवॉर्ड्स 2023 के सेमीफाइनल में शामिल हो गई है। इस अवार्ड के लिए दुनियाभर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों की 1700 से अधिक फिल्मों का नामांकन हुआ था । स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड चार अलग-अलग श्रेणियों में दिया जाता है। इसमें फलक खान की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में सेमीफाइनल में चुनी गई 16 फिल्मों से मुकाबला करेगी।

दिलचस्प बात यह है कि खुद चंपारण में रहने वाले लोग भी एक दशक पहले तक चंपारण मटन के बारे में बहुत सुपरिचित नहीं थे। चंपारण में मटन के एक से बढ़कर एक अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। जिनमें से एक प्रकार वह है जिसे मिट्टी के मटके में रखकर बनाया जाता है इसे अहुना कहते हैं। यूं तो चंपारण के हर चौक-चौराहे पर यह आसानी से उपलब्ध है किंतु इसका विशेषज्ञ मोतिहारी के जयसवाल होटल को माना जाता है। 

दूसरा प्रकार वह है जिसमें मटन को बड़े से तावा पर पकाकर  तैयार किया जाता है उसे मटन हांडी कहते हैं। नरकटियागंज के संजय पटेल मेरी निगाहों में इस के पूरे चंपारण में विशेषज्ञ हैं। साथ ही मटन कबाब जिसके विशेषज्ञ बन्हौरा बाजार के झोंपड़ीनुमा होटल वाले हैं के साथ हीं बेतिया का मटन इस्टू भी चंपारण मटन के विशेष प्रकार के व्यंजन हैं। संयोग से चंपारण मटन के एक खास प्रकार अहुना को ही चंपारण मटन के रूप में आज विशेष ख्याति मिली हुई है।

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मांसाहारी व्यंजनों में मटन की तमाम विशेष प्रकार के व्यंजनों के अतिरिक्त चंपारण में चिकेन का ताश तथा गंडक नदी तट पर पनियहवा एवं धनहा में नदी से निकली ताज़ी मछलियों का फ्राई एवं करी अपने विशिष्ट स्वाद के कारण अति प्रसिद्ध है।

पटना स्थित अघोर शिशु विद्या मंदिर के श्री घोष बाबू के सौजन्य से

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