जाफ़री साहेब आप ‘बेहद सम्वेदनशील’ इन्सान थे, क्योंकि आप आज़ादी से पहले जन्म लिए…..

जगदीप जाफ़री, फोटो:  Ghaintpunjab
जगदीप जाफ़री, फोटो:  Ghaintpunjab

सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी यानि जगदीप जाफ़री यानि ‘सूरमा भोपाली’ नहीं रहे। विगत रात उनका निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।  अपने हास्य अभिनय से लाखों फिल्म प्रेमियों के चहेते जगदीप ने शोले फिल्म में शूरमा भोपाली की भूमिका से अपनी अमिट छाप छोड़ी।

मध्यप्रदेश के दतिया में 29 मार्च 1939 को जन्मे जगदीप को अपने अभिनय के लिए आइफा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिला था। जगदीप ने 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया था लेकिन शोले फिल्म में ‘सूरमा भोपाली’ की भूमिका से उन्हें बड़ी शोहरत मिली। जगदीप ने फिल्मी सफर 1951 में शुरु किया था। अपने कॉमिक अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले दिग्गज अभिनेता जगदीप के निधन पर बॉलीवुड के सितारों ने शोक व्यक्त किया है।

बॉलीवुड में अपने कॉमिक अभिनय से पांच दशक से अधिक समय तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले जगदीप को अपनी पहली फिल्म के लिये छह रुपये मिले थे। मध्यप्रदेश के दतिया में जन्में जगदीप उर्फ सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी ने बचपन के दिनों में गरीबी काफी करीब से देखी थी। जगदीप महज सात-आठ साल के थे तभी पिता का निधन हो गया। भारत-पाक बंटवारे के बाद जगदीप अपनी मां के साथ ग्वालियर से मुंबई आ गये। कहा जाता है कि जगदीप की मां यतीम खाने में खाना बनाने का काम करतीं जिससे वह अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा सके और उसे पाल सके। एक दिन जगदीप ने निश्चय किया कि घर की परिवार की मदद के लिये उन्हें कुछ काम करना चाहिये। हालांकि, मां ने जगदीप को काम करने से मना किया लेकिन वह नहीं माने। जगदीप पढ़ाई छोड़कर पतंगें बनाने लगे, साबुन और कंघी बेचने का काम करने लगे।

जगदीप जहां सड़क पर काम किया करते थे, वहां एक आदमी आया और वह वैसे बच्चों को ढूंढ रहा था जो फिल्म में काम कर सके। उस शख्स ने जगदीप से फिल्मों में काम के बारे में पूछा कि क्या तुम काम करोगे। जगदीप ने उस शख्स से पूछा कि ये फिल्में क्या होती हैं। जगदीप ने उस समय तक फिल्में नहीं देखी थी। जगदीप ने उस शख्स से पैसे की बात की उन्हें इस काम के लिए कितने मिलेंगे। जिसपर जवाब आया तीन रुपये। जगदीप को महसूस हुआ कि जैसे उनकी लॉटरी लग गयी है। जगदीप तुरंत फिल्मों में काम के लिए तैयार हो गए।

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अगले दिन जगदीप की मां उन्हें लेकर स्टूडियो पहुंच गईं, जहां बच्चों का ही सीन चल रहा था। हालांकि, उस वक्त जगदीप को केवल चुपचाप बैठने वाला रोल मिला था, लेकिन तभी उर्दू में एक ऐसा डायलॉग आया, जिसे कोई बच्चा बोल नहीं पा रहा था। जगदीप ने किसी बच्चे से पूछा कि यदि यह डायलॉग मैंने बोल दिया तो क्या होगा, जवाब आया, पैसे ज्यादा मिलेंगे छह रुपये। जगदीप ने सामने जाकर यह डायलॉग बड़ी ही खूबसूरती से बोल दिया और फिर यहीं से शुरू हुआ उनकी चाइल्ड आर्टिस्ट का सफर। यह फिल्म थी वर्ष 1951 में प्रदर्शित बी. आर. चोपड़ा की ‘अफसाना’। इसके बाद जगदीप ने सफलता की बुलंदियों को छुआ और एक से बढ़कर एक फिल्मों में अपने लाजवाब कॉमिक अभिनय से दर्शकों को दिल जीता।    

बॉलीवुड में अपने लाजवाब कॉमिक अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले जगदीप मां की एक सीख को सफलता का मूलमंत्र मानते थे। जगदीप ने अपने शुरूआती दिनों में बेहद मुश्किलों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं मानी और संघर्ष कर फिल्म इंडस्ट्री में सशक्त पहचान नायी। जगदीप ने एक इंटरव्यू में अपनी मां के द्वारा कहे गए शेर का जिक्र किया था और बताया था कि कैसे उस शेर ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया।

जगदीप ने कहा था, मेँने जिंदगी से बहुत कुछ सीखा है। मेरी मां ने मुझे समझाया था। एक बार बॉम्बे में बहुत तेज तूफान आया था। सब खंभे गिर गए थे। हमें अंधेरी से जाना था। उस तूफान में हम चले जा रहे थे। एक टीन का पतरा आकर गिरा और मेरी मां के पैर में चोट लगी। बहुत खून निकल रहा था। ये देख मैं रोने लगा, तो मेरी मां ने तुरंत अपनी साड़ी फाड़ी और उसे बांध दिया। तूफान चल रहा था, तो मैंने कहा कि यहीं रुक जाते हैं, ऐसे में कहां जाएंगे, तो उन्होंने एक शेर पढ़ा था। मां ने कहा था, वो मंजिल क्या जो आसानी से तय हो वो राह ही क्या जो थककर बैठ जाये। पूरी जिंदगी मुझे ये ही शेर समझ में आता रहा कि वो राह ही क्या जो थककर बैठ जाए तो अपने एक-एक कदम को एक मंजिल समझ लेना चाहिए। छलांग नहीं लगानी चाहिए, गिर जाओगे।

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जगदीप के निधन पर पूरे सिनेमा जगत में शोक की लहर छा गयी है। बॉलीवुड फिल्म सितारों ने सोशल मीडिया पर जगदीप के निधन पर श्रद्धांजलि दी है। बॉलीवुड के सिंघम स्टार अजय देवगन ने ट्वीट करते हुए लिखा, जगदीप साहब के निधन का दुखद समाचार सुना। हमेशा उन्हें स्क्रीन पर देखने का आनंद लिया। उन्होंने दर्शकों को बहुत आनंद दिया। जावेद और परिवार के सभी सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। जगदीप साहब की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना।

मनोज बाजपेयी ने जगदीप को याद करते हुए लिखा, आरआईपी! धन्यवाद उन तमाम यादों के लिए जो मैंने बचपन में आपकी फिल्में और प्रदर्शन देखकर प्राप्त की थी ! आप हम सबके द्वारा हमेशा याद किए जाओगे !! परिवार के प्रति संवेदना। अनुपम खेर ने ट्वीट कर कहा, ‘एक और सितारा ज़मीन से आसमान में जा पहुँचा। जगदीप साब हिंदी फ़िल्म जगत के एक बहुत ही बेहतरीन कलाकार थे। एक हास्य अभिनेता के नाते उनका कोई सानी नहीं था। एक पार्टी में बहुत साल पहले उन्होंने मुझसे कहा था, बरखुरदार ! हंसना आसान है, हंसाना बहुत मुश्किल है! आपकी कमी बहुत खलेगी।

फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने भी ट्वीट कर कहा, हमारा सात दशकों तक मनोरंजन करने के बाद जगदीप साहब का निधन हो गया है। काफी दुखद है। मेरी संवेदनाएं जावेद, नावेद और पूरे जाफरी परिवार के साथ है। जॉनी लीवर ने अपनी संवेदनाएं जाहिर करते हुए ट्विटर पर लिखा, मेरी पहली फिल्म और जब मैंने पहली बार कैमरा फेस गया वह ‘ये रिस्ता ना टूटे’ जगदीप भाई जैसे लेजेंड के साथ थी। हम आपको बहुत मिस करेंगे… उनकी आत्मा को शांति मिले। हमारी प्रार्थना और संवेदनाएं परिवार के साथ हैं।

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तुषार कपूर ने भी जदगीप के गुज़रने पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा, आरआइपी जगदीप साब, हम जैसे लाखों आपके शानदार अभिनय को स्क्रीन पर देखकर बड़े हुए।विरासत के लिए शुक्रिया और हंसी के लिए भी शुक्रिया। हंसल मेहता ने जगदीप को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है, मेरी संवेदनाएं जावेद जाफरी और पूरे परिवार के साथ हैं। वह हमेशा से ही एक शानदार और व्यापक मुस्कान के लिए याद किए जाएंगे। मुझे उम्मीद है कि लोगों को उनकी प्रतिभा को देखने के लिए प्रियदर्शन सर की मस्कुराहट नामक फिल्म देखने को मिलेगी। यह मेरे पसंदीदा जगदीप साहब के अभिनय में से एक है।

सिंगर विशाल ददलानी ने शोक जताते हुए लिखा, मैं दो साल का था जब मैंने पहली बार शोले देखी और उस उम्र में भी उनके किरदार ने एक अविस्मरणीय छाप छोड़ी। पूरे परिवार, खासकर मेरे भाइयों को प्यार और शक्ति।निर्देशक अनुभव सिन्हा ने लिखा, भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। निर्देशक मिलाप झावेरी ने लिखा, जगदीप सर, आपको एक लीजेंड के रूप में याद किया जाएगा। (वार्ता के सहयोग से)

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