खगड़िया (बिहार) का नाती इतना कमजोर की आत्महत्या कर ले !! तुम इतने ‘कायर’ हो यह नहीं जानते थे शुशांत !!!

मुंडन से पूर्व तुलसी माँ की पूजा करते शुशांत सिंह राजपूत (तस्वीर: युवराज सिंह के सौजन्य से)
मुंडन से पूर्व तुलसी माँ की पूजा करते शुशांत सिंह राजपूत (तस्वीर: युवराज सिंह के सौजन्य से)

फेसबुक पर खगड़िया (उत्तर बिहार) के युवराज सिंह लिखते हैं कि “​तुम इतने कायर हो यह नहीं जानते थे शुशांत सिंह राजपूत।।।।।।।” सच में; क्योंकि “आत्महत्या” किसी भी समस्या का निदान नहीं है। आत्महत्या भले ही चंद लम्हों का निर्णय हो, लेकिन इस घटना के बाद परिवार, समाज, शुभचिंतकों पर क्या प्रभाव पड़ता है – यह मरने वाला क्या समझे ? सुशांत सिंह, आप बिहारियों के हिमालय की चोटी वाले विस्वास को मिटटी-पलीद कर दिया। बिहारी “आत्महत्या” नहीं करते – वे तो दूसरों को जीवन देते हैं, जीवनदान देते हैं। आपने सच में ‘जल्दी में निर्णय ले लिया।”

शुशांत सिंह राजपूत ;पिछले महीने के 13 तारीख को खगरिया के चौथम प्रखंड के बोरेन गाँव स्थित अतिप्राचीन मंदिर मनसा देवी माँ में अपना मुंडन करने गए थे। 

माही यानि बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को बांद्रा स्थित अपने अपार्टमेंट में कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह 34 वर्ष के थे। पश्चिमी क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनोज शर्मा ने बताया, ‘‘उन्होंने बांद्रा में अपने आवास पर आत्महत्या कर ली। हमारी टीम वहां है।’’ 

गौरतलब है कि उनकी मैनेजर 28 वर्षीय दिशा सालियान ने नौ जून को एक इमारत से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। टेलीविजन धारावाहिक ‘‘पवित्र रिश्ता’’ में निभाए किरदार से मशहूर हुए अभिनेता ने 2013 में ‘‘काई पो छे!’’ से फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने ‘‘शुद्ध देसी रोमांस’’, ‘‘एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी’’, ‘‘राबता’’, ‘‘केदारनाथ’’ और ‘‘सोनचिड़िया’’ जैसी फिल्मों में काम किया था।   

ननिहाल में शुशांत सिंह राजपूत (तस्वीर: युवराज सिंह के सौजन्य से)

होनहार अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने मुंबई के बांद्रा घर पर लटका कर अपनी जिंदगी कम कर दी । उनकी मृत्यु के साथ, एक होनहार कैरियर समाप्त होता है । एक स्टार जो फिल्म इंडस्ट्री में बहुत बड़ा बना सकता था, जहां बाहरी लोग अभी भी अंतरिक्ष के लिए संघर्ष करते हैं, सुशांत सिंह राजपूत ने छोड़ कर इसे कम करने का फैसला किया ।

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अपनी 2019 की रिलीज में चिचोर सुशांत सिंह राजपूत अपने ऑन-स्क्रीन बेटे को बताते हुए दिख रहे थे कि छोड़ना समाधान नहीं है । हालात जो भी हो लड़ना चाहिए । और आज वह भूल गया कि ऐसे लोग हैं जो उसे प्यार करते हैं और अगर वह कुछ ऐसा करता है तो उसकी परवाह करते हैं । दुख होता है लेकिन साथ ही क्रोध और घृणा का अहसास भी होता है जो उसने किया है । छोड़ना कभी कोई समाधान नहीं है । लड़ना, लड़ना और लड़ना चाहिए ।  

ये बिहार के पूर्णिया जिले के है । उनका जन्म पटना में हुआ था जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक जीवन प्रसिद्ध सेंट करेन स्कूल में अध्ययन करते हुए बिताया था । 2002. में मां की मृत्यु के बाद वह अपने परिवार के साथ दिल्ली चले गए । उनकी एक बहन राज्य स्तरीय क्रिकेटर है । उन्होंने दिल्ली से अपनी सीनियर स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए नामांकन किया । वह भौतिकी में राष्ट्रीय ओलंपियाड के विजेता हैं और 11 इंजीनियरिंग प्रवेश द्वार को मंजूरी दे दी है ।

एटर वह अभिनय और नृत्य में ध्यान केंद्रित करने लगे, अध्ययन का एक बैकलॉग था और अंत में उन्हें अपने पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में डीसीई छोड़ना पड़ा । शीमक डावर नृत्य अकादमी के हिस्से के रूप में, उन्होंने 2005 में 51 वें फिल्मफेयर पुरस्कार में प्रदर्शन किया और बाद में 2006 में, ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय मंडली का हिस्सा बन गए । वह ऑस्ट्रेलिया से लौटे और अभिनय करने के लिए मुंबई जाने के लिए डीसीई छोड़ दिया ।

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वह नादिरा बब्बर ‘एकदुजे’ की धमकी समूह में शामिल हुए और ढाई साल तक उसके साथ रहे । उनका पहला ब्रेक एक नेस्ले मंच विज्ञापन था जो बहुत लोकप्रिय हो गया था ।  उनका सबसे बड़ा हिट एम एस धोनी था और अंतिम प्रमुख रिलीज केदारनाथ थी, एक फिल्म जिसमें सारा अली खान ने अपना डेब्यू किया था । कुछ बड़े बजट की फिल्में करने के लिए उन्हें मजबूर किया गया था और अब ऐसा होता है ।

बिहार के बहुत कम नाम हैं जिन्होंने बॉलीवुड में इसे बड़ा बनाया है । शत्रुघ्न सिन्हा और मनोज बाजपेयी दो बड़े नाम हैं । सुशांत सिंह राजपूत वो चमकता सितारा था जो राज्य ने दिया था । लेकिन अब हम सुशांत को और नहीं देखेंगे । उसने छोड़ दिया है ।   

बेगूसराय के रजनीकांत पाठक लिखते हैं: सुशांत आप बिहारी थे।क्या बिहारी इतना कामजोड़ हो सकता है।हाल ही में मुम्बई दिल्ली से श्रमिक भाई पैदल घर पहुँचे हैं।उन सबकी हिम्मत से तो प्रेरणा ले सकते थे। केरियर के चढ़ाव में हताश हो खुद को समाप्त कर लेना समाधान नही।संघर्ष कर के मिट जाना था। यह दुःखद है।असहनीय है।माता पिता और आपके चाहने वालो के लिये कठिन घड़ी है।ईश्वर परिजन सहित सबको सहने की शक्ति दे।”

वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिलयानी के अनुसार: “बहुत दुखद खबर! अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने ख़ुदकुशी कर ली है! मुम्बई पोलिस से मिली जानकारी के मुताबिक,जब आत्महत्या की तब सुशांत के दोस्त घर पर थे। मुश्किल से एक घंटे पहले की घटना है। उनके घर से मेडिकल डॉक्युमेंट्स मिला है,कुछ दिनों से डिप्रेशन मे थे।डिप्रेशन का इलाज चल रहा था ।”

फेसबुक पर पूर्णेंदु सिंह लिखते हैं: “हम एक और शानदार अभिनेता के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए फिर से इकट्ठा होते हैं – सुशांत सिंह राजपूत । एक युवा प्रतिभा बहुत जल्द ही चली गई…यह त्रासदी एक मूक अनुस्मारक है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना चाहिए, विशेष रूप से इन मुश्किल समय में । हमें वहाँ एक दूसरे के लिए होना चाहिए ।”  

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केंद्रीय स्वास्थ राज्य मंत्री अश्विनी चौबे लिखते हैं: “बिहार के मूल निवासी, मशहूर बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी की खबर सुनकर बेहद आहत हूँ। उन्होंने लगन, परिश्रम एवं अभिनय क्षमता से बॉलीवुड में एक अलग पहचान बनाई थी। उनका इस तरह चले जाना स्तब्ध करने वाला है। परमपिता परमेश्वर उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें।”
प्रशान्त विप्लवी केअनुसार: “अवसाद सबसे पहले हमारी समझ को मारना शुरू करता है, नहीं संभले तो अंततः समझ को मार ही देता है। इस दरम्यान एक रास्ता बार-बार दिखाई देता है, वैसा रास्ता जहाँ से कोई लौट नहीं पाता है।”

कुंदन कुमार केअनुसार: “कब किसके मन में क्या चलता है कोई नहीं जानता, हमारा लक्ष्य यही होना चाहिए कि कभी भी किसी को बुरा भला ना कहें, जितना हो सके आपस में प्रेम और सद्भाव रखें। कौन कब चला जाएगा ये सिर्फ़ महादेव जानते हैं। ईश्वर उनके परिवार को हिम्मत दे।” 

पंकज कुमार भर्ती के अनुसार: “बिल्कुल होश उड़ाने वाली यह खबर सुनकर बहुत कष्ट हो रहा है “

युवराज सिंह के अनुसार: “तुम इतने कायर हो यह नहीं जानते थे शुशांत सिंह राजपूत तुम्हारी मौत की खबर दिल को झकझोर दिया मेरे भाई पिछले 13 मई 2019 को कितने शान से तुम मिले गले लगे और कितने धूम धाम से मुंडन हुआ। क्या कारण था भाई। मुझे ही नहीं पुरे बिहार गर्व करते थे। एक झटके में सब को तुम छोड़ गये।। 

(कुछ अंश वरिष्ठ पत्रकार श्री सुनील बी​एन झा के सौजन्य से)  

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