लो जी !!!!! अब झूठा अफवाह फैला रहे हैं कि उन्हें सिविल सेवा परीक्षा में संघ लोक सेवा आयोग अनुशंसित किया है …. माने….गजब-गजब के लोग हैं 

संघ लोक सेवा आयोग कार्यालय

नई दिल्ली : बहरहाल, गाँव-घर में एक कहावत है कि लोग अपनी छवि को बनाने-बढ़ाने के लिए क्या-क्या नहीं करते हैं। कभी-कभी नहीं, अक्सरहां, झूठी बातों का भी सहारा लेते हैं। बोलने, बताने में अपनी भाषा और शारीरिक भाषा में इतना अधिक तालमेल बनाते हैं कि सामने वाला व्यक्ति भी भौचक्का हो जाता है। वैसे किसे फुर्सत है कि वक्त की बातों की जांच-पड़ताल करें। वे कर सकते हैं, बसर्ते ‘मुनाफा’ हो। आज के सम्माज में जब तक ‘मुनाफा’ नहीं दीखता, होता, लोग बाद ‘करवट’ भी नहीं लेते। 

विगत दिनों संघ लोक सेवा आयोग कार्यालय के सामने खड़ा था एक कहानी करने के लिए। संघ लोक सेवा आयोग के दोनों द्वारों के बीच मुद्दत से एक चाय वाला है। सुनते हैं रेलवे स्टेशन पर, खेत के आड़ पर, स्ट्रीट लाइट से, रिक्सा चलकर, कुली का काम कर युवक-युवतियां संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा ‘वास्तविक’ रूप से ”क्रेक’ करते हैं, किये हैं। 

लेकिन संघ लोक सेवा आयोग के दोनों द्वारों (प्रवेश और निकास) के बीच मुद्दत से लोगों को चाय की चुस्की देने वाला दुकानदार और उसके परिवार के लोग ‘चाय बेचकर परिवार का भरण-पोषण’ करना श्रेयस्कर समझा, अलबत्ता परीक्षा में बैठने, क्रेक करने से। उनके अनुसार ‘आज के युग में शरीर, स्वास्थ्य और पैसा सबसे महत्वपूर्ण है।’ उसकी सोच गलत नहीं है। अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कितना भी ‘स्लोगन’ देंगे ‘सोच बदलो, देश बदलेगा’ या लोग बाग़ उनके जन्मदिन पर उनकी तस्वीरों को कितना ही लड्डू खिलाएंगे – इस चाय वाला के विचार से बेहतर नहीं है। 

बातचीत के दौरान यह भी ज्ञात हुआ कि भारतवर्ष में अनेकानेक छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जो संघ लोक सेवा आयोग के दफ्तर के सामने जो विशालकाय लाल रंग का बोर्ड लगा है, जिसमें लिखा है ‘UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION’ और जिसने सामने पैदल चले वाले रास्ते पर खड़े होकर अभ्यर्थी तस्वीर लेते हैं – परीक्षा देने से पूर्व, अन्तर्वीक्षा देने से पूर्व, परीक्षा / अन्तर्वीक्षा में ‘क्रेक’ करने के बाद और अंततः परीक्षा के अंतिम परिणाम में चयनित होने के बाद; इस स्थान पर कई ‘अन्य’ अभ्यर्थी भी तस्वीर लेते हैं और कहते नहीं थकते कि वे भी ‘सिविल सर्विसेज की परीक्षा को क्रेक किये’ हैं। 

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अब देश में साक्षरता दरों में महिला-पुरुषों के बीच तो खाई है ही, लोग बाग भी समझ जाते हैं कि ‘ननकिरबा का भाग्य बदल गया।’ कई लोग तो झांसे में आकर अपनी बेटियों की शादी करने/कराने की बात भी सोचने लगते हैं। लेकिन तनिक रुकिए। ऐसे लोगों से सचेत हो जाइये।  

क्योंकि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के संज्ञान में आया है कि दो उम्‍मीदवार झूठा दावा कर रहे हैं कि यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा, 2022 में उन्‍हें अंतिम रूप से अनुशंसित किया है। दोनों उम्‍मीदवारों के दावे फर्जी हैं। उन्होंने अपने दावों के समर्थन में अपने पक्ष में फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं। यूपीएससी की प्रणाली मजबूत होने के साथ-साथ अभेद्य भी है और इस तरह की त्रुटियां संभव नहीं हैं। तत्काल मामलों में फर्जी उम्मीदवारों और निष्‍कर्षों का विवरण निम्नानुसार है :

सुश्री आयशा मकरानी पुत्री श्री सलीमुद्दीन मकरानी जो संघ लोक सेवा आयोग द्वारा अपनी अंतिम सिफारिश का दावा कर रही हैं। उसने अपने पक्ष में दस्तावेजों में हेरफेर करते हुए पाया गया है। उसका असली रोल नंबर 7805064 है। वह 5 जून, 2022 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में उपस्थित हुई और सामान्य अध्ययन पेपर-1 में केवल 22.22 अंक और सामान्य अध्ययन पेपर-2 में 21.09 अंक प्राप्त किए। परीक्षा नियमों के अनुरूप उसे पेपर-2 में कम से कम 66 अंक प्राप्त करने की आवश्यकता थी। वह न केवल पेपर-2 में अर्हता प्राप्त करने में विफल रही है, बल्कि पेपर-1 के कट-ऑफ अंकों की तुलना में बहुत कम अंक प्राप्त किए हैं, जो वर्ष 2022 की प्रारंभिक परीक्षा के लिए अनारक्षित श्रेणी के लिए 88.22 थे। इसलिए, सुश्री आयशा मकरानी प्रारंभिक परीक्षा के चरण में ही असफल रही हैं और परीक्षा के अगले चरणों में आगे नहीं बढ़ सकीं। दूसरी ओर, सुश्री आयशा फातिमा, पुत्री श्री नजीरुद्दीन, रोल नंबर 7811744 है, वास्तविक उम्मीदवार हैं। आयशा फातिमा को संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के अंतिम परिणाम में 184वां रैंक प्राप्‍त करने की सिफारिश की गई है।  

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इसी प्रकार, श्री तुषार का मामला भी सामने आया है। हरियाणा रेवाड़ी के तुषार पुत्र श्री बृजमोहन ने सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2022 के लिए आवेदन किया था। उन्हें इस परीक्षा के लिए रोल नंबर 2208860 आवंटित किया गया था। उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में भाग लिया और सामान्य अध्ययन पेपर-1 में माइनस 22.89 (अर्थात -22.89) अंक और सामान्य अध्ययन पेपर-2 में 44.73 अंक प्राप्त किए। परीक्षा नियमों की आवश्यकता के अनुसार, उसे पेपर-2 में कम से कम 66 अंक प्राप्त करने की आवश्यकता थी। इस प्रकार, यहां श्री तुषार भी प्रारंभिक परीक्षा में ही असफल रहे हैं और परीक्षा के अगले चरणों में आगे नहीं बढ़ सके। दूसरी ओर, यह पुष्टि की जाती है कि बिहार राज्य के श्री तुषार कुमार पुत्र श्री अश्विनी कुमार सिंह रोल नंबर  1521306 है वास्तविक उम्मीदवार हैं। यूपीएससी ने इनके नाम की सिफारिश 44वें रैंक पर की है। 

ऐसा करके सुश्री आयशा मकरानी और श्री तुषार दोनों ने भारत सरकार (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) द्वारा अधिसूचित सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। इसलिए, परीक्षा नियमों के प्रावधानों के अनुसार, यूपीएससी दोनों उम्मीदवारों के खिलाफ उनके धोखाधड़ी मामलों के लिए आपराधिक और अनुशासनात्मक दंडात्मक कार्रवाई दोनों पर विचार कर रहा है।

उपर्युक्त मामलों की सूचना इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया में व्यापक रूप से दी गई है। ऐसे ही एक मीडिया चैनल ने गैर जिम्मेदाराना तरीके से खबर दी है कि यूपीएससी ने उपरोक्त दो मामलों में से एक में अपनी गलती सुधार ली है और मामले की जांच की जा रही है कि ऐसी त्रुटि कैसे हुई। कई अन्य मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया पोर्टलों ने भी बिना किसी सत्यापन के खबर प्रसारित की है। उक्त मीडिया चैनल ने गैर-पेशेवर कार्य किया है। यूपीएससी की प्रणाली कथित प्रकृति की ऐसी किसी भी त्रुटि को खत्म करने के लिए मजबूत और अभेद्य है। मीडिया चैनलों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने प्रिंट/मीडिया चैनलों के माध्यम से ऐसे फर्जी दावों की खबरें प्रसारित/प्रकाशित करने से पहले संघ लोक सेवा आयोग से ऐसे दावों की वास्तविकता की पुष्टि करें।
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