मिथिला के एक क्वारंटाइन सेंटर से “पीला धोती” पहनकर विदा लिए लोग 

क्वारंटाइन सेंटर से विदा लेते लोग  
क्वारंटाइन सेंटर से विदा लेते लोग  

सरिसब पाही (मधुबनी): देश में शायद पहली बार ऐसा देखने को मिल  रहा है कि कोरोना वायरस से ग्रसित लोगों को, जो देश के विभिन्न क्षत्रों से अपने-अपने घर वापस जाने से पूर्व क्वारंटाइन सेंटर में रहे हैं, स्थानीय लोगों ने उन्हें “पीला-धोती” पहनाकर, सम्मानपूर्वक शुभकामनाओं के साथ विदाई किये। हो भी क्यों नहीं ! 

कहने के लिए तो यह मधुबनी जिला का एक छोटा  सा गाँव है, लेकिन मिथिलाञ्चल के  विद्वानों का गढ़ है । यह गाँव न केवल मिथिला, बल्कि पूरे विश्व पटल पर अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। विद्वता और सोच  तो आज भी “आम-धारणा” से अलग है यहाँ के लोगों का, लेकिन इतिहास कहता है कि यह क्षेत्र सारस्वत साधना का सिद्धपीठ और न्याय-विशेष का प्रधान केन्द्र रहा है । 

स्कन्द पुराण में भी इस गाँव का सिद्धार्थ-क्षेत्र के रूप में जिक्र मिलता है। वराहपुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के अग्रज श्री बलभद्र का अपने मिथिला प्रवास के समय सिद्धार्थ क्षेत्र में “सरिसब की खेती करनेवाली भूमि पर गदा-शिक्षा का अखाडा बनाया था । कहा जाता है कि श्री बलभद्र जब भगवान् कृष्ण से रूठकर मिथिला आये, जहाँ मिथिला के राजा जनक ने पूर्ण सत्कार से अपने यहाँ स्थान दिया एव्ं तीन वर्ष तक मिथिला में निवास किया। बलभद्र ने अपने मिथिला वास के समय सरिसब में माता सिद्धेश्वरी की स्थापना की और सिद्धेश्वर शिव मंदिर को स्थापित किया, माता सिद्धेश्वरी की भव्य म्ंदिर एव्ं शिव म्ंदिर, आज भी सरिसब-पाही में स्थित है। 

इस भूभाग में अतिप्राचीन काल में सरिसब  (पीली सरसों) का वन होता था जिसके पीले फूलों की सुग्ंध से पुरा क्षेत्र उद्भासित रहता था। सरिसब-पाही के बारे में एक अतिप्राचीन कहानी है कि किसी समय यह एक विशाल नगर का मध्य भाग था,जिसे अमरावती नगर कहा जाता रहा था। जो उत्तर में भगवतीपुर (जिला-मधुबनी) से लेकर दक्षिण में बाजितपुर(जिला-दरभ्ंगा) तक बसा हुआ था। जिसका पूर्वी भाग अभी उजान गाँव (जिला-दरभ्ंगा) जाना जाता है एवं इसका पश्चिमी भाग ,जमसम(जिला-मधुबनी) तक माना गया है। 

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बहरहाल, मधुबनी जिले के सरिसब पाही पश्चिमी पंचायत का एक क्वारंटाइन सेंटर का दृश्य कुछ अलग था। इस सेंटर में रह रहे 55 लोगों को क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद उनके घर रवाना किया गया। इस मौके पर पंचायत के मुखिया रामबहादुर चौधरी ने प्रवासी मजदूरों को जिस अंदाज में विदाई दी, वह न सिर्फ मिथिला की पहचान का प्रतीक, बल्कि एक नजीर भी है। मुखिया ने घर लौट रहे प्रवासियों को मेहमान या कह लें कि दामाद सरीखा सम्मान देते हुए धोती-साड़ी देकर रवाना किया। ऐसा सम्मान देख प्रवासियों की आंखें भर आई।  

सरिसब पाही पश्चिमी पंचायत के मुखिया रामबहादुर चौधरी के अनुसार सरिसब स्थित पाठशाला के क्वारंटाइन सेंटर पर कुल 206 लोगों को ठहराने का इंतजाम किया गया है। इनमें से आज 53 पुरुष, एक महिला और दो बच्चों की क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद घर लौटना। था।  इससे पहले गांव के लोगों से बातचीत की तो ख्याल आया कि मुसीबत की इस घड़ी में क्यों न इन प्रवासियों के लिए कुछ ऐसा करें, जो इन्हें सुकून दे।  साथ ही इससे दूसरी पंचायतों तक अच्छा संदेश भी जाय।  इसी क्रम में प्रवासियों को धोती-साड़ी देकर रवाना करने का ख्याल आया. सरिसब पाही के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अमल झा ने बताया कि मिथिला में पहली बार घर आए मेहमानों को लौटते समय धोती-साड़ी देकर भेजने का रिवाज भी है. मुखिया ने इस परंपरा को निभाकर एक नजीर पेश की है। 

50 से ज्यादा प्रवासियों को धोती-साड़ी देकर रवाना करने पर आए खर्च की बाबत सवाल पूछने पर मुखिया रामबहादुर चौधरी ने बताया कि यह सब खर्च उन्होंने निजी स्तर पर किया है. इस क्वारंटाइन सेंटर से जितने भी लोग अगले कुछ दिनों में जाने वाले हैं, चौधरी सभी को धोती-साड़ी देकर रवाना करेंगे. यहां तक कि आज जिन बच्चों को वह कपड़े नहीं दे पाए, उन्हें बाद में देने का भरोसा दिलाया है. चौधरी ने बताया कि इतनी मात्रा में धोती-साड़ी खरीदने के लिए गांव के भी कई लोगों ने मदद की बात कही है. जो भी लोग इस काम में मदद करेंगे, वह सबका सहयोग लेंगे. चौधरी ने बताया कि उन्होंने अपने गांव के आसपास की अन्य पंचायतों के मुखिया को भी इस तरह की पहल करने की बात कही है।  

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सरिसब पाही गांव के क्वारंटाइन सेंटर से प्रवासियों को धोती-साड़ी देकर विदा करने की मुखिया की इस पहल की गांव के लोग भी तारीफ कर रहे हैं. क्वारंटाइन सेंटर पर धोती-साड़ी वितरण के समय मौजूद रहे नवटोल निवासी अनुराग मिश्र ने बताया कि मुखिया रामबहादुर चौधरी पहले भी सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते रहे हैं. मुखिया ने बताया कि अयाची डीह पर वर्ष 2017 में हुए कार्यक्रम में उनकी पहल पर ही अयाची मिश्र की प्रतिमा का अनावरण हुआ, जिस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आए थे. इसके अलावा सुलभ इंटरनेशनल भी रामबहादुर चौधरी को सम्मानित कर चुका ​है। (hindi.news18 के सहयोग से) ​ ​

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